धार्मिक स्थानों पर शराब की बिक्री: क्या यूपी सरकार को भी उठाना चाहिए कदम?
धार्मिक स्थानों पर शराब की बिक्री – यूपी और एमपी में दोहरे मापदंड

जन एक्सप्रेस चित्रकूट:भारत में एकता और अखंडता का सपना हर नागरिक की आँखों में बसा होता है। लेकिन जब हम उत्तर प्रदेश (यूपी) और मध्य प्रदेश (एमपी) की सरकारों की नीतियों पर गौर करते हैं, तो यह सवाल खड़ा होता है: आखिर एक ही पार्टी की सरकार होते हुए, दोनों राज्यों में नीतियों का यह भेदभाव क्यों? मध्य प्रदेश सरकार ने धार्मिक स्थानों के पास शराब की दुकानों पर पाबंदी लगाकर एक नेक कदम उठाया, लेकिन उत्तर प्रदेश में धार्मिक स्थानों के नजदीक शराब की दुकानों का खुलना न केवल विवादों का कारण बन रहा है, बल्कि यह तीर्थ यात्रियों और स्थानीय लोगों के लिए परेशानियों का कारण भी बन रहा है। विशेषकर चित्रकूट जैसे धार्मिक स्थान पर, जहां यूपी और एमपी का सीमा विवाद भी है, शराब की दुकानों का खुलना तीर्थयात्रियों और श्रद्धालुओं के लिए एक अभिशाप बन चुका है।
चित्रकूट, जो एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जहां हर दिन लाखों श्रद्धालु आते हैं, वहां शराबी शराब पीकर उत्पात मचाते हैं और तीर्थ यात्रियों से बदसलूकी करते हैं। क्या यह सच में हमें इस भारत के धार्मिकता और सभ्यता को खतरे में डालने की अनुमति देनी चाहिए? क्या यूपी सरकार को भी मध्य प्रदेश की तरह कड़े कदम नहीं उठाने चाहिए?
धार्मिक स्थल और शराब की दुकानों का विवाद – सामाजिक और धार्मिक लिहाज से खतरा
यूपी के चित्रकूट में, जहां धार्मिक श्रद्धा का माहौल होना चाहिए, वहां शराब की दुकानों का होना न केवल धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाता है, बल्कि यह सामाजिक स्थिरता के लिए भी खतरे की घंटी है। क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि तीर्थ यात्रियों के बीच शराबी उत्पात मचाते हों, शराब पीकर बेवजह शोर-शराबा करते हों, और यह स्थिति आए दिन उत्पन्न हो? यही नहीं, शराब की दुकानों के पास से गुजरते हुए श्रद्धालुओं को जो मानसिक तनाव और असमंजस का सामना करना पड़ता है, वह बहुत ही दुखद है। मध्य प्रदेश ने तो इसको लेकर सख्त कदम उठाए हैं, लेकिन यूपी सरकार की खामोशी समझ से परे है। क्या यह यूपी सरकार की नीतियों में छुपा एक दोहरा मापदंड नहीं है?
धार्मिक स्थलों को शांतिपूर्ण और पवित्र बनाना सभी सरकारों का कर्तव्य है। यूपी में शराब की दुकानों की अव्यवस्था और धार्मिक स्थलों के पास शराब की बिक्री से एक सशक्त समाज और सशक्त राष्ट्र की भावना को धक्का लग सकता है। क्या ये भ्रामक नीतियां समाज में हिंसा, असमर्थता और धार्मिक विश्वासों को कमजोर नहीं करेंगी?
क्या यूपी सरकार को भी धार्मिक स्थानों पर शराब पर पाबंदी लगानी चाहिए?
उत्तर प्रदेश सरकार को इन घटनाओं पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। धार्मिक स्थानों के पास शराब की बिक्री को रोकना न केवल कानून का पालन करने की जिम्मेदारी है, बल्कि यह समाज में धार्मिक सौहार्द बनाए रखने के लिए भी आवश्यक है। क्या हम वाकई एक ऐसे भारत में विश्वास करते हैं जहां धार्मिक स्थलों का अपमान करना जायज हो? क्या यह भी एक भारत श्रेष्ठ भारत के विचार के विपरीत नहीं है?