स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव के आय से अधिक संपत्ति मामले में आज भी क्लोजर रिपोर्ट का इंतजार
याचिकाकर्ता विश्वनाथ चतुर्वेदी ने स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव से जुड़े आय से अधिक संपत्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक इंटरलोक्यूटरी एप्लीकेशन (आईए 539/2019) दायर की थी
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पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने मामले को खारिज कर दिया था
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तर्क था कि सीबीआई ने मामले को बंद कर दिया है और क्लोजर रिपोर्ट केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को सौंप दी है
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जब चतुर्वेदी ने सीवीसी से सूचना के अधिकार के माध्यम से जानकारी मांगी, तो जवाब मिला कि सीवीसी के पास मामले के संबंध में कोई रिकॉर्ड या जानकारी नहीं है
जन एक्सप्रेस
लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता विश्वनाथ चतुर्वेदी को स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव के आय से अधिक संपत्ति मामले में आज भी क्लोजर रिपोर्ट का इंतजार है। बतौर याचिकाकर्ता न्यायिक प्रक्रिया के तहत उन्हें क्लोजर रिपोर्ट प्राप्त करने का अधिकार भी है। इसके बावजूद उन्हें अभी तक क्लोजर रिपोर्ट नहीं मिली है।
याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट के वकील विश्वनाथ चतुर्वेदी ने मुलायम सिंह यादव से जुड़े आय से अधिक संपत्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक इंटरलोक्यूटरी एप्लीकेशन (आईए 539/2019) दायर की थी, जिसमें उन्होंने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से क्लोजर रिपोर्ट या स्टेटस अपडेट का अनुरोध किया था। चतुर्वेदी के अनुसार जवाब में, पूर्व मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने यह कहते हुए मामले को खारिज कर दिया था कि सीबीआई ने मामले को बंद कर दिया है और क्लोजर रिपोर्ट केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को सौंप दी है। हालाँकि, जब चतुर्वेदी ने सीवीसी से सूचना के अधिकार (आरटीआई) के माध्यम से जानकारी मांगी, तो उन्होंने जवाब दिया कि उनके पास मामले के संबंध में कोई रिकॉर्ड या जानकारी नहीं है।
क्लोजर रिपोर्ट की हकीकत जाने बिना खारिज कर दिया गया मामला!
पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने इस मामले को जल्दबाजी में खारिज कर दिया। इस बात की भी पुष्टि नहीं की गई कि क्या सीवीसी के पास वास्तव में क्लोजर रिपोर्ट थी, जैसा कि सीबीआई ने दावा किया था। कानून के अनुसार, क्लोजर रिपोर्ट प्राप्त करना याचिकाकर्ता का अधिकार है, फिर भी पर्याप्त जांच या इस अधिकार पर विचार किए बिना बर्खास्तगी हुई।
पद्म विभूषण सम्मान मिलना उठाता है भाजपानीत केंद्र सरकार पर सवाल
जिस वक्त विश्वनाथ चतुर्वेदी ने इंटरलोक्यूटरी एप्लीकेशन की बाद में जिसे बर्खास्त कर दिया गया। न्यायिक की साथ ही राजनीतिक दृष्टिकोण से भी उस समय स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव को उपकृत किया गया। उन्हें पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया। चतुर्वेदी के अनुसार यह न सिर्फ कार्यवाही की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल उठाता है भाजपानीत केंद्र सरकार की राजनीतिक इच्छाशक्ति और मंशा पर भी सवाल उठता है।