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मॉनसूनी बारिश का कमाल: देहरादून की हवा 45 दिन तक ‘गुड’ कैटेगरी में, AQI गिरकर पहुँचा 17 पर

लगातार बारिश, निर्माण कार्यों में सुस्ती और सख्ती ने मिलकर की हवा को शुद्धचार साल में पहली बार इतना लंबा ‘गुड एयर’ पीरियड, डॉक्टर बोले—दमा व सांस रोगियों को बड़ी राहत

जन एक्सप्रेस देहरादून: देहरादून की फिजाओं में इन दिनों कुछ अलग ही ताजगी है। बीते डेढ़ महीने से राजधानी की आबोहवा लगातार ‘गुड’ श्रेणी में बनी हुई है। 16 जून 2025 से लेकर अब तक एक भी दिन ऐसा नहीं गया जब एक्यूआई 50 से ऊपर गया हो। बीते शुक्रवार को तो एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 17 दर्ज किया गया—जो इस वर्ष का अब तक का सबसे न्यूनतम स्तर है। दून विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभाग द्वारा जारी रियल टाइम डेटा के अनुसार, यह स्थिति पिछले चार वर्षों में पहली बार देखी गई है, जब इतने लंबे समय तक हवा इतनी साफ रही हो।

हवा साफ, सांसें राहतभरी

दून अस्पताल के वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. कुमारजी कौल ने बताया कि वायु प्रदूषण में कमी से दमा, टीबी और अन्य श्वसन रोगों से जूझ रहे मरीजों को काफी राहत मिलेगी। “यह सिर्फ रोगियों ही नहीं, सामान्य लोगों के फेफड़ों के लिए भी एक वरदान है,” उन्होंने कहा।

बारिश और नमी बनी वरदान

विशेषज्ञों के मुताबिक, इस बार मानसून की नियमित बारिश ने शहर की हवा को बेहतरीन बनाए रखा। इसके प्रमुख कारण रहे:

लगातार बारिश: बारिश ने हवा में मौजूद धूलकणों को जमीन पर बैठा दिया।

नमी का असर: वातावरण में बनी नमी ने धूल को उड़ने से रोका।

गीली ज़मीन: मिट्टी और निर्माण स्थलों की धूल उड़ नहीं सकी।

निर्माण गतिविधियों में कमी: कम कंस्ट्रक्शन से भी प्रदूषणकारी कण घटे।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की सख्ती: नियमों के पालन में आई गंभीरता का असर भी साफ दिखा।

वाहनों की बढ़ती संख्या अब भी बड़ी चुनौती

हालांकि हालात सुधरे हैं, लेकिन लंबे समय तक हवा को स्वच्छ बनाए रखने के लिए वाहनों की अंधाधुंध बढ़ती संख्या पर लगाम लगाना जरूरी है। आरटीओ के आंकड़ों के मुताबिक, देहरादून में अब तक करीब 10 लाख वाहन पंजीकृत हो चुके हैं। हर साल औसतन 60,000 नए वाहन जुड़ते हैं।आरटीओ-प्रवर्तन अधिकारी डॉ. अनीता चमोला ने बताया कि हर महीने 800 से अधिक चालान प्रदूषण जांच न करवाने वालों के खिलाफ किए जा रहे हैं।

2022 से अब तक का सबसे लंबा ‘गुड एयर’ रिकॉर्ड

दून विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभाग के प्रमुख प्रो. विजय श्रीधर बताते हैं, “हम 2022 से लगातार रियल टाइम AQI की निगरानी कर रहे हैं। 2025 में पहली बार ऐसा हुआ है कि लगातार 45 दिन तक एक्यूआई ‘गुड’ श्रेणी में रहा।”
वहीं 2022, 2023 और 2024 में यह स्थिति 15 दिन से ज्यादा नहीं बनी थी।

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