वाराणसी:गंगा का जलस्तर खतरे के निशान के समीप,तटवर्ती क्षेत्र टापू बने
वाराणसी । जिले में गंगा का जलस्तर अब खतरे के निशान की ओर बढ़ रहा है। गंगा की लहरें आबादी क्षेत्र में पहुंच गई है। तटवर्ती क्षेत्र के गांव और मोहल्ले चारों ओर से बाढ़ के पानी से घिर गए है। गंगा की सहायक नदी वरूणा में पलट प्रवाह से बाढ़ का पानी अब मोहल्लों में कहर बरपाने लगा है। लोग घर छोड़ कर सुरक्षित जगहों पर रह रहे है।
केंद्रीय जल आयोग की ओर से जारी बाढ़ बुलेटिन के अनुसार सोमवार को सुबह आठ बजे तक गंगा का जलस्तर 70.72 मीटर दर्ज किया गया। गंगा में खतरे का निशान 71.262 मीटर है। गंगा के जलस्तर में लगभग तीन सेंटीमीटर प्रति घंटे वृद्धि हो रही है। जलस्तर में लगातार बढ़ाव से मोक्षतीर्थ मणिकर्णिका घाट की गलियों में अब नावें चलने लगीं है। यहां अंतिम संस्कार के लिए लोग नावों का सहारा ले रहे है। शवों को नावों पर लादकर घाट के उपरी प्लेटफार्म पर लाकर दाह संस्कार किया जा रहा है। गंगा के सभी घाट गंगा की लहरों में डूब गए हैं। गलियों के रास्ते बाढ़ का पानी घरों में पहुंच गया है। सामने घाट स्थित नाले और उस पर बने आटोमैटिक चैनलगेट बाढ़ के दबाव से तेजी से रिसने लगा है। इससे बाढ़ का पानी निकटवर्ती कॉलोनियों में घुस गया है। दर्जनों मकान का निचला तल बाढ़ के पानी से भर गया है।
नगवां और आसपास के सैकड़ों घर टापू जैसे नजर आ रहे है। गंगोत्री बिहार, संगमपुरी, डुमरांव बाग कॉलोनी के वाशिंदों की नींद उड़ गई हैं। ग्रामीण अंचल के ढ़ाब क्षेत्र में किसानों के सामने बढ़ा संकट खड़ा हो गया है। सैकड़ों एकड़ में खड़ी फसल और सब्जियां बाढ़ के पानी खराब होने के कगार पर हैं। रामपुर ढाब, गोबरहा और मोकलपुर गांव बाढ़ से घिर गए हैं। किसानों के सामने पशुओं के चारे का संकट भी खड़ा होने लगा है।
चौबेपुर थाना क्षेत्र के पिपरी गांव और आसपास के गांवों में बाढ़ का पानी पहुंच गया है। नाद और गोमती नदी के पानी से मुख्य मार्ग का सम्पर्क कट गया है। लोग बाढ़ के पानी में चलकर आ जा रहे है।