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माननीयों की सुरक्षा घटाए जाने के मुद्दे से विधायकों में रोष

शंकर समेत अपनों पर बरस रही ‘कृपा, अन्य विधायक खफा

संतोष कुमार दीक्षित
जन एक्सप्रेस।राज्य मुख्यालय। उत्तर प्रदेश में माननीयों की सुरक्षा घटाए जाने का मामला राजनीति के अखाड़े का मु्द्दा बनता जा रहा है। पक्ष हो या विपक्ष हर ओर के राजनेता सरकार के इस फैसले पर अंदरखाने नाराज हैं। सुरक्षा को लेकर किए गए मानमर्दन से माननीयों के मन में चिंगारी भड़क रही है और कभी भी राजनीतिक ज्वाला में बदल सकती है। जी हां! ऐसा हम नहीं कह रहे हालिया घटनाक्रम बयां कर रहे हैं। क्योंकि उत्तर प्रदेश के राजनीतिक घटनाक्रम और दबी जुबां हो रहे विरोध के सुर भले ही योगी सरकार को सुनाई न दें, लेकिन ये मुद्दा तूल पकड़ने की तैयारी में है…। कांग्रेस से बीजेपी में आए कृपाशंकर सिंह समेत गोरखपुर के ज्यादातर माननीयों पर योगी सरकार की बरस रही कृपा से अन्य विधायक खफा हैं।

बाबा के गढ़ में माननीयों को मिल रही भरपूर सुरक्षा
सूत्रों की मानें तो प्रदेश भर के विधायकों की सुरक्षा में तैनात चार जवानों में 50% की कटौती कहीं न कहीं विधायकों के मन में घर कर गई है। दूसरी ओर चहेतों और गोरखपुर के विधायकों को मनमाफिक सुरक्षा मिलने से भी सत्ताधारी पार्टी समेत प्रदेशभर के विधायकों में नाराजगी पनप रही है। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री की सुरक्षा व्यवस्था में तैनात पुलिस फोर्स को लेकर विरोध के स्वर सुनाई देने लगे हैं। पूर्वांचल के सत्ताधारी पार्टी विधायकों समेत अन्य विधायकों में विरोध की बड़ी वजह कृपाशंकर और अपनों की बढ़ी सुरक्षा है। देखना ये होगा कि अब सिक्योरिटी का ये मुद्दा कितनी दूर तक जाएगा….।

लोस चुनाव हारे, कोई पद नहीं फिर भी हाई सिक्योरिटी
कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री कृपा शंकर वर्तमान में न किसी पद पर तैनात हैं और न ही एमएलए-एमपी हैं इसके बावजूद उन्हें ‘वाई प्लस’श्रेणी की सुरक्षा दी जा रही है। उनकी सुरक्षा में हमेशा 11 जवान तैनात रहते हैं जिसमें 2-4 कमांडो और पुलिस कर्मी होते हैं। इतना ही नहीं जिला प्रशासन की स्थानीय समिति से भी उन्हें सुरक्षा के लिए जवान मुहैया कराए जाते हैं। लोगों की माने तो उनकी बेटी को भी जिले में आने के बाद सुरक्षा दी जाती रही है। योगी सरकार के इस दोहरे रवैए से अंदरखाने विरोध के सुर फूट रहे हैं।

विधायकों की सुरक्षा में कब क्या?
यहां बताना जरूरी है कि विधायकों को दो सुरक्षाकर्मी शासन की ओर से मुहैया कराए जाते हैं जो रोटेशन बाइज ड्यूटी पर तैनात रहते हैं, वहीं स्थानीय प्रशासन की जिला समिति की ओर से भी उन्हें दो अतिरिक्त सुरक्षाकर्मी मुहैया कराए जाते थे। मगर अब शासनादेश के बाद स्थानीय समिति की ओर से दिए जाने वाले जवानों की ड्यूटी हटा ली गई है। वर्तमान में माननीयों की सुरक्षा के लिए दो जवान हैं जो बारी-बारी से 12-12 घंटे सुरक्षा में तैनात रहते हैं।

गोरखपुर के विधायक, पूर्व विधायक समेत कइयों की सुरक्षा में कटौती नहीं
सहजनवां विधायक प्रदीप शुक्ला, बांसगांव विधायक विमलेश पासवान, गोरखपुर ग्रामीण विधायक विपिन कुमार सिंह, पूर्व विधायक सहजनवां शीतल पांडेय, महापौर मंगलेश श्रीवास्तव, ब्लॉक प्रमुख पाली, शशि प्रताप सिंह, उप्र पिछड़ा वर्ग राज्य आयोग के सदस्य चिरंजीव चौरसिया, डॉ. आरडी सिंह और रविंद्र मणि साहनी, भाजपा कार्यकर्ता प्रिंस अगम सिंह, चिल्लूपार के विधायक राजेश त्रिपाठी समेत गोरखपुर के तमाम ऐसे नाम हैं जिनकी सुरक्षा बढ़ाई गई या बहुत कम निजी खर्च पर उन्हें सुरक्षा दी गई है।

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