अपने अधीनस्थ अधिकारियों की निजी स्वार्थ की पूर्ति का खेल कब देखेंगे? अंसल ग्रुप मामले में योगी सरकार पर उठे सवाल

जन एक्सप्रेस/गाजियाबाद: अंसल ग्रुप पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नजरें टेढ़ी होने के बाद शहरी निकाय के सभी विभागों के उच्च अधिकारियों की कुंभकर्णी निद्रा टूटी है। मुख्यमंत्री के अधीन इस विभाग में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की शिकायत जमकर होती है , लेकिन कार्यवाही केवल कागजी होती है। विभागीय अधिकारियों की कार्यशैली। कागज़ी ज्यादा और भौतिक स्तर पर कम ही देखने को मिलती है । जिसकी पुष्टि कोई भी अपनी आंखों से कहीं भी देख सकता है। मल्टी यूनिट सहित मानचित्र से विपरीत बने निर्माण हो या आवासीय के नाम पर व्यवसायिक प्रतिष्ठान खोलकर सरकारी नियम कानून से खिलवाड़ करने वाले रेस्टोरेंट और व्यवसायिक प्रतिष्ठान , हर नुक्कड़ पर ऐसे नियम विपरीत कार्य आम हैं। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण परिक्षेत्र के कौशांबी ,वैशाली और इंदिरापुरम क्षेत्र में भ्रष्टाचार और विभागीय नियमावली की अनदेखी का मामला सर्वाधिक है। क्षेत्र में लगातार संपत्ति की बढ़ती कीमतों से व्यवसायिक प्लॉट में व्यापार संचालन कठिन होता जा रहा है। जिसके कारण आवासीय क्षेत्रों सहित मुख्य सड़कों के किनारे तेजी से व्यवसायिक गतिविधियों का नया ट्रेंड शुरू हुआ है। जिनको जीडीए के ही अवर अभियंता से लेकर बड़े अधिकारियों का खुला संरक्षण मिलता है। नोटिस से शुरू हुई कहानी विभाग के फाइलों में ध्वस्तीकरण और एफआईआर के बाद बंद होने का प्रचलन हो गया है। जिसके आड़ में जमकर निजी स्वार्थ की पूर्ति का खेल खेला जाता है। इस खेल के कई विभाग और उसके अधिकारी जमकर अपने हाथ धोते हैं। बिजली विभाग, नगर निगम , श्रम विभाग के साथ साथ छूट भैया नेता और सामाजिक कार्यकर्ता भी अपने तरीकों से अपनी निजी स्वार्थ की पूर्ति करने में लगे हैं।
शक्ति खंड ,नीति खंड और ज्ञान खंड में नियुक्ति के लिए एड़ी चोटी का जोर
जीडीए के क्षेत्र इंदिरापुरम में विभिन्न खंडों के अलावा शक्ति खंड, नीति खंड और ज्ञान खंड क्षेत्रों में आवासीय क्षेत्रों में जमकर व्यवसायिक गतिविधियों का प्रचलन बढ़ा है। बड़े बड़े शो रूम और प्रतिष्ठान लगातार खुल रहे हैं। जिसमें कई तो बैंक्वेट हाल तक संचालित हो रहे हैं। जबकि ओयो होटल और अन्य रेस्टोरेंट , दुकान की तो बाढ़ आई हुई है । राजनीतिक संरक्षण और विभागीय अधिकारियों की कृपा से ऐसे अवैध कार्यों का केंद्र यह क्षेत्र लगातार बनता जा रहा है। सूत्रों की माने तो इस क्षेत्र के प्रभार ही अधिकारी के रुतबे और प्रभाव को दिखाता है। लखनऊ से लेकर मुख्यालय तक की जबरदस्त सेटिंग के कारण ही अधिकारी जमे हुए हैं। जिसके कारण लागतार अवैध निर्माण की शरणस्थली यह क्षेत्र बना हुआ है।
जीडीए उपाध्यक्ष शुरू करें अभियान जनता की शुरू हुई मांग
आवासीय कालोनियों में निवास करने वाली जनता और व्यवसायिक क्षेत्रों में व्यापार संचालित करने वाले व्यापारी समूह ने भी जीडीए उपाध्यक्ष अतुल वत्स का ध्यान वैशाली और इंदिरापुरम की आकृष्ट कराया है। उनकी माने तो जीडीए में उनके कुछ अधीनस्थ अधिकारियों की दूषित सोच और अवैध निर्माण को संरक्षण देने की प्रवृत्ति के कारण पूरे क्षेत्र के विकास पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। शासन की योजनाओं और विकास प्राधिकरण के मास्टर प्लान की धज्जियां वही अधिकारी उड़ा रहे हैं , जिनके कंधों पर उसको बचाने की जिम्मेदारी है। बड़े बड़े शो रूम और व्यवसायिक गतिविधियों वाले आवासीय प्लॉट जीडीए और उपाध्यक्ष के निर्देश के साथ साथ खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विभाग के पारदर्शी कार्य योजना की पोल खोलने को काफी है।
पीला पंजा महज दिखावटी , मीडिया और फाइलों के लिए कार्यवाही
गाजियाबाद विकास प्राधिकरण का पीला पंजा इन अवैध निर्माण के खिलाफ कार्यवाही में हॉफ जाता है। कार्यवाही के नाम पर जीडीए के अधिकारियों की कार्यशैली कागजों तक सीमित रहती है। जिसका प्रमाण हजारों ध्वस्तीकरण के नोटिस और उन ध्वस्तीकरण वाले प्लाटों पर संचालित व्यवसायिक गतिविधि और अवैध बने फ्लैट प्रमुख हैं।