मध्यप्रदेश

महिलाओं को अपने मायके जाने के लिए पति पर नहीं रहना पड़ेगा निर्भर

श्योपुर। शहर हो या गांव शादी के बाद औरतों को आज भी भारतीय समाज में अपने परिवार और पति के की सलाह और मदद कभी न कभी लेनी पड़ती हैं। यहां तक की कई अधिकतर घरों में महिलाओं को शादी के बाद अपने माइके जाने के लिए भी पति पर आर्थिक और मानसिक रुप से निर्भर रहना पड़ता हैं लेकिन अब सरकार कुछ ऐसा करने जा रही हैं जिससे महिलाओं को माइके जाने के लिए पति पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बृहस्पतिवार को कहा कि राज्य सरकार की लाडली बहना योजना के तहत महिला लाभार्थियों को दी जाने वाली एक हजार रुपये प्रति माह की राशि चरणबद्ध तरीके से तीन गुना बढ़ाई जाएगी। करीब 1.25 करोड़ महिलाओं को जोड़ने वाली इस योजना की घोषणा राज्य में साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले की गई है।

मुख्यमंत्री ने यहां समारोह में भाई- बहन के बीच प्यार जाहिर करने वाले पुराने जमाने की ब्लॉकबस्टर फिल्म हरे रामा हरे कृष्णा के हिट गीत ‘‘ फूलों का तारों का सबका कहना है…एक हजारों में, मेरी बहना है’’ की कुछ पंक्तियां भी गाई। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना के तहत 12 हजार रुपये की वार्षिक राशि को चरणबद्ध तरीके से बढ़ाकर 36 हजार रुपये प्रतिवर्ष किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह योजना उन्हें आत्मनिर्भर बनाएगी और महिलाओं को अपने मायके जाने के लिए (धन के लिए) अपने पति पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।

संयोग से राज्य के 5,39,87,876 मतदाताओं में से 2,60,23,733 महिलाएं हैं। अपने संबोधन के दौरान चौहान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की भी सराहना की और कहा कि उनका नेतृत्व देश को विकास की नई ऊंचाइयों पर ले जा रहा है। उन्होंने विजयपुर में आयोजित समारोह में कहा, प्रधानमंत्री के नेतृत्व में नौ स्वर्णिम वर्षों में हमारे देश ने सभी क्षेत्रों में तेजी से प्रगति की है और दुनिया का सिरमौर बन गया है। इस समारोह में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेंद्र तोमर भी मौजूद थे

चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने यहां कूनो राष्ट्रीय उद्यान में महत्वाकांक्षी चीतों को बसाने की परियोजना शुरू की है जो राज्य के पिछड़े चंबल क्षेत्र में पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देगी। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने अपने संबोधन में कहा कि श्योपुर के विजयपुर और करहल क्षेत्रों में 2003 से पहले (जब भाजपा राज्य में सत्ता में आई थी) सुरक्षित पेयजल तक पहुंच नहीं थी, लेकिन अब प्रचुर मात्रा में पीने योग्य पानी है और यह इलाका सिंचाई के मामले में आत्मनिर्भर है।

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