उत्तर प्रदेशबलरामपुर

एग्रो इनपुट डीलर्स एसोसिएशन ने धरना प्रदर्शन कर सौंपा ज्ञापन

विधायक ने मुख्यमंत्री से वार्ता करने का दिया आश्वासन

जन एक्सप्रेस/बलरामपुर : जानकारी के अनुसार 28 जून को एग्रो इनपुट डीलर्स एसोसिएशन के पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं के साथ जिले भर के फुटकर उर्वरक विक्रेताओं ने कलेक्ट्रेट परिसर में जोरदार धरना प्रदर्शन किया । सभी विक्रेता विकास भवन के पास एकत्रित हुए और वहीं से प्रदर्शन करते हुए कलेक्ट्रेट पहुंचे, जहां पर मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन अपर जिलाधिकारी को सौंपा । संगठन के जिला अध्यक्ष महेश मिश्रा ने बताया कि थोक व्यापारियों द्वारा बढ़े दामों पर यूरिया तथा डीएपी उर्वरक उपलब्ध कराया जा रहा है साथ में जिंक, नैनो यूरिया व फास्फोरस जैसे सहायक उत्पाद टैग करके दिया जा रहा है । फुटकर व्यापारी से किसान सहायक प्रोडक्ट नहीं खरीद रहा है । साथ ही बढ़े दामों पर यूरिया भी खरीदने को तैयार नहीं हैं । जिला प्रशासन निर्धारित मूल्य पर उर्वरक बिक्री करने का निर्देश जारी कर रहा है । उन्होंने बताया कि बढ़े दामों पर खरीदी गई यूरिया व डीएपी सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य पर बिक्री कर पाना संभव नहीं है । व्यापारियोंके समस्याओं से सम्बंधित तीन सूत्रीय मांग पत्र सौंपा गया है । उन्होंने बताया कि मांगों पर विचार नहीं किया गया, तो प्रदेश भर के उर्वरक व्यापारी दुकानों को बंद करके हड़ताल पर चले जाएंगे । मांगों में प्रमुख रूप से भारत सरकार के नियमों के अनुसार सभी खाद रिटेलर के गोदाम तक एफओआर सुविधा के तहत पहुंचने चाहिए, लेकिन कोई भी कम्पनी एफओआर नहीं दे रही है, बल्कि व्यापारियों को अलग से भाड़ा वहन करना पड़ता है, जिसे तत्काल बंद किया जाए । सरकार द्वारा घोषित मूल्य 266.50 रुपए, इसके अलावा 30 से लेकर 40 प्रतिशत तक अन्य उत्पाद भी टैगिंग किया जा रहा है, वह जबरन दिया गया उत्पाद व्यापारियों के गोदाम में पड़ा रह जाता है और उसके कारण व्यापारियों की लागत बढ़ती जा रही है ।ऐसे में सरकार द्वारा निर्धारित रेट 266.50 रुपए पर यूरिया किसानों को कैसे दी जाये जब व्यापारी को मिल ही नहीं रही है। यही स्थिति डीएपी तथा एनपीके पर भी है । विभाग द्वारा कीटनाशक की गुणवत्ता पर सवाल उठाकर व्यापारी के खिलाफ लाइसेंस निलम्बन और मुकदमे की कार्यवाही की जा रही है, जबकि उनकी सेल परमीशन लखनऊ से ही होती है और सभी के गोदाम भी वहीं पर हैं, क्या उनकी वहाँ बगैर जांच किये परमीशन दी जा रही है । कीटनाशक अधिनियम की धारा 30 (3) के तहत व्यापारियों को यह साबित करने के लिए समय दिया जाना चाहिए कि उसने कम्पनी के मूल उत्पादन में बिना छेड़छाड़ किये माल बेचा है, तो सम्पूर्ण जवाबदारी निर्माता कम्पनी की है, विक्रेता की नहीं। ऐसी स्थिति में यदि कोई कीटनाशक अमानक पाया जाता है तो सम्पूर्ण जवाबदारी निर्माता कम्पनी की होनी चाहिए, न कि विक्रेता की, क्योंकि कम्पनी के मूल पैकिंग में ही माल बेचते हैं और सिर्फ वही कम्पनियों के उत्पाद बेचते हैं, जिन्हें उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश में बेचने की अनुमति जारी की जाती है। एसोसियेशन की मांग है कि हम सरकार और किसानों के साथ है, हमें फर्टिलाइजर 3 शासन द्वारा निर्धारित रेट में दिलाया जाये और सभी प्रकार की टैगिंग बन्द की जाए तथा कार्यवाही व्यापारी पर न होकर केवल निर्माता कम्पनी पर की जाये। प्रदेश में जिन व्यापारियों पर कार्यवाही की गयी है और मुकदमा दर्ज हुआ है, उसे निरस्त किया जाए। उन्होंने शासन प्रशासन को चेतावनी दी कि संगठन के आवाहन पर एक दिन की सांकेतिक प्रादेशिक बन्दी की गई है, यदि हमारी इन बातों पर गम्भीरता पूर्वक विचार नहीं किया जाता है, तो हमें अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के लिए मजबूर होना पडेगा और आगामी खरीफ सीजन में प्रदेश के किसानों को खाद बीज एवं कीटनाशक प्राप्त करने में परेशानी होगी । उन्होंने अपील किया कि हमारी मांगों पर गम्भीरता पूर्वक विचार कर स्थिति का उचित समाधान किया जावे अन्यथा हम सब व्यापारी लाइसेंस समर्पण करने का कार्य करेंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button