“थैंक यू नेचर” से गूंज उठा झाला गांव: युवाओं ने रच दिया स्वच्छता और प्रकृति प्रेम का नया इतिहास
प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री धामी ने सराहा झाला के युवाओं का अनोखा प्रयास

जन एक्सप्रेस/ उत्तरकाशी: भारत-चीन सीमा के समीप बसे उत्तरकाशी के सुदूरवर्ती झाला गांव ने स्वच्छता और पर्यावरण प्रेम के क्षेत्र में “थैंक यू नेचर” अभियान से एक नई मिसाल कायम की है। ग्राम प्रधान अभिषेक रौतेला की सोच और गांव के युवाओं की भागीदारी ने यह सिद्ध कर दिया है कि जब नियत साफ हो, तो गांव भी दुनिया के लिए प्रेरणा बन सकता है।
“थैंक यू नेचर” केवल अभियान नहीं, प्रकृति को नमन करने की संस्कृति है
वर्ष 2023 में शुरू हुए इस अभियान का उद्देश्य प्राकृतिक सौंदर्य को बनाए रखना और गांव को कचरा मुक्त बनाना है। युवाओं ने अपने अवकाश के दिन प्रकृति सेवा को समर्पित कर दिए।
प्रकृति हमें सब कुछ देती है, इसे स्वच्छ रखना हमारा नैतिक दायित्व है,” — अभिषेक रौतेला, ग्राम प्रधान, झाला
शुरुआत में कुछ ही युवा जुड़े, लेकिन आज यह हर गांववासी की सामूहिक जिम्मेदारी बन चुका है। बच्चे तक स्कूल से लौटकर कूड़ा इकट्ठा करते हैं और वैज्ञानिक ढंग से उसका निस्तारण करते हैं।
प्रधानमंत्री ने मन की बात में किया उल्लेख, गांव को मिली राष्ट्रीय पहचान
माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम “मन की बात” में झाला गांव के “थैंक यू नेचर” अभियान का ज़िक्र कर देशभर को इससे प्रेरणा लेने की बात कही।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी युवाओं के प्रयास को सराहते हुए इसे “उत्तराखंड की असली शक्ति” बताया।
5 लोगों से शुरू हुआ सफर, अब गांव बना आंदोलन का पर्याय
8 जुलाई 2023 को अभिषेक रौतेला के नेतृत्व में प्रियांशु रौतेला, तनुजा उनियाल, प्रवेश रौतेला, अभिराज रौतेला और आदेश रौतेला ने मिलकर इस अभियान की शुरुआत की। आज यह गांव की जीवनशैली बन चुकी है।
ग्राम सभा में अब हर आयु वर्ग का नागरिक इस कार्य में जुटा है।
सेब, संस्कृति और स्वच्छता का संगम
झाला गांव की पहचान सिर्फ सेब उत्पादन और धार्मिक परंपराओं तक सीमित नहीं रही। अब यह गांव
स्वच्छता आंदोलन,
पर्यावरण संरक्षण,
और सामुदायिक सहभागिता का जीता-जागता उदाहरण बन गया है।
गंगोत्री धाम की ओर जाने वाले तीर्थयात्री भी यहां की स्वच्छता और प्राकृतिक सुंदरता को“थैंक यू नेचर” से गूंज उठा झाला गांव: युवाओं ने रच दिया स्वच्छता और प्रकृति प्रेम का नया इतिहास
प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री धामी ने सराहा झाला के युवाओं का अनोखा प्रयास
ग्राम प्रधान अभिषेक रौतेला की पहल बनी गांव की नई पहचान
बच्चे-बूढ़े, युवा—सब जुटे प्रकृति को धन्यवाद कहने में
गांव के हर कोने से उठ रही है वसुंधरा को स्वच्छ रखने की अलख
जन एक्सप्रेस, उत्तरकाशी:
भारत-चीन सीमा के समीप बसे उत्तरकाशी के सुदूरवर्ती झाला गांव ने स्वच्छता और पर्यावरण प्रेम के क्षेत्र में “थैंक यू नेचर” अभियान से एक नई मिसाल कायम की है। ग्राम प्रधान अभिषेक रौतेला की सोच और गांव के युवाओं की भागीदारी ने यह सिद्ध कर दिया है कि जब नियत साफ हो, तो गांव भी दुनिया के लिए प्रेरणा बन सकता है।
“थैंक यू नेचर” केवल अभियान नहीं, प्रकृति को नमन करने की संस्कृति है
वर्ष 2023 में शुरू हुए इस अभियान का उद्देश्य प्राकृतिक सौंदर्य को बनाए रखना और गांव को कचरा मुक्त बनाना है। युवाओं ने अपने अवकाश के दिन प्रकृति सेवा को समर्पित कर दिए।
प्रकृति हमें सब कुछ देती है, इसे स्वच्छ रखना हमारा नैतिक दायित्व है,” — अभिषेक रौतेला, ग्राम प्रधान, झाला
शुरुआत में कुछ ही युवा जुड़े, लेकिन आज यह हर गांववासी की सामूहिक जिम्मेदारी बन चुका है। बच्चे तक स्कूल से लौटकर कूड़ा इकट्ठा करते हैं और वैज्ञानिक ढंग से उसका निस्तारण करते हैं।
प्रधानमंत्री ने मन की बात में किया उल्लेख, गांव को मिली राष्ट्रीय पहचान
माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम “मन की बात” में झाला गांव के “थैंक यू नेचर” अभियान का ज़िक्र कर देशभर को इससे प्रेरणा लेने की बात कही।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी युवाओं के प्रयास को सराहते हुए इसे “उत्तराखंड की असली शक्ति” बताया।
5 लोगों से शुरू हुआ सफर, अब गांव बना आंदोलन का पर्याय
8 जुलाई 2023 को अभिषेक रौतेला के नेतृत्व में प्रियांशु रौतेला, तनुजा उनियाल, प्रवेश रौतेला, अभिराज रौतेला और आदेश रौतेला ने मिलकर इस अभियान की शुरुआत की। आज यह गांव की जीवनशैली बन चुकी है।
ग्राम सभा में अब हर आयु वर्ग का नागरिक इस कार्य में जुटा है।
सेब, संस्कृति और स्वच्छता का संगम
झाला गांव की पहचान सिर्फ सेब उत्पादन और धार्मिक परंपराओं तक सीमित नहीं रही। अब यह गांव
स्वच्छता आंदोलन,
पर्यावरण संरक्षण,
और सामुदायिक सहभागिता का जीता-जागता उदाहरण बन गया है।
गंगोत्री धाम की ओर जाने वाले तीर्थयात्री भी यहां की स्वच्छता और प्राकृतिक सुंदरता को सराहे बिना नहीं रह पाते।
नन्हे हाथों ने भी थामा स्वच्छता का झंडा
गत दिवस स्कूली बच्चों ने अवकाश के बाद अपने गांव को स्वच्छ रखने में हिस्सा लिया। न केवल सफाई की, बल्कि लोगों को जागरूक भी किया। यह दृश्य साफ दर्शाता है कि यहां संस्कारों में है स्वच्छता की सीख।
झाला गांव आज केवल उत्तराखंड नहीं, पूरे देश के लिए एक “सस्टेनेबल मॉडल” बन गया है। जब ग्रामीण युवा नेतृत्व, सरकारी सहयोग और सामूहिक चेतना मिलती है, तो एक नया इतिहास रचा जा सकता है।
“थैंक यू नेचर” सिर्फ शब्द नहीं, यह एक भावना है — प्रकृति के प्रति आभार जताने की, और धरती को संवारने की। सराहे बिना नहीं रह पाते।
नन्हे हाथों ने भी थामा स्वच्छता का झंडा
गत दिवस स्कूली बच्चों ने अवकाश के बाद अपने गांव को स्वच्छ रखने में हिस्सा लिया। न केवल सफाई की, बल्कि लोगों को जागरूक भी किया। यह दृश्य साफ दर्शाता है कि यहां संस्कारों में है स्वच्छता की सीख।
झाला गांव आज केवल उत्तराखंड नहीं, पूरे देश के लिए एक “सस्टेनेबल मॉडल” बन गया है। जब ग्रामीण युवा नेतृत्व, सरकारी सहयोग और सामूहिक चेतना मिलती है, तो एक नया इतिहास रचा जा सकता है।
“थैंक यू नेचर” सिर्फ शब्द नहीं, यह एक भावना है — प्रकृति के प्रति आभार जताने की, और धरती को संवारने की।






