गाँव की तरफ कभी नहीं आते प्रधान आद्योपांत में भारी
चित्र। जन एक्सप्रेस
बारिश के दिनों में ग्रामीण इलाकों में बारिश के मौसम में पानी भरना तो सामान्य सी बात है, लेकिन यहां तक कि वहां के लोगों को पता चल जाए तो सहजता से मानक का आकलन किया जा सकता है कि दिल पर क्या फर्क पड़ता है। जी हां मानिकपुर विकासखंड की दादरी माफ़ी पंचायत ग्राम के छोटे बिलहरी गांव में कुछ ऐसे ही हालात हैं। अन्यत्र मार्ग से ईसाइयों को जबरदस्ती रखा जाना। आउट नहीं बनने से अपडेट में काफी खास देखने को मिल रहा है। कई जगहों पर रिक्वेस्ट द्वारा शिकायत करने के बावजूद भी रास्ते की खोज नहीं हो रही है, जिससे भारी संकट पैदा हो रहा है।
मानिकपुर तहसील के दादरी माफिया गांव में लोगों को बारिश के दौरान महंगाई तक पानी और पेट के बीच से सलाह लेना होता है। गांव में एक दशक से यह समस्या है असमानता। अभी तक इस समस्या से इलैक्ट्रिक को इलैक्ट्रिक नहीं मिला है। समीक्षा में कहा गया है कि नेता बस सौदेबाजी के समय बड़े-बड़े वादे करते हैं, लेकिन बाद में उनकी इस ओर ध्यान नहीं दिया जाता है। जिससे बनी रहती है ये समस्या जस की तस बनी हुई है। रेनॉल्ट ने कहा कि यह बारिश की समस्या चार महीने बनी रहती है। इस पर अधिकारी सहित सरपंच, सचिव भी ध्यान नहीं दे रहे।
गांव की तरफ कभी नहीं जाते प्रधान
रितु ने बताया कि उन्होंने प्रधान, सचिव से कई बार सड़क निर्माण की बात कही, लेकिन आज तक सड़क नहीं बन पाई। इस साल भी लगातार बारिश वाली कंपनी से बिजनेस शुरू हो गया है, जिससे कि बिजनेस से बिजनेस शुरू हो गया है। चुनाव जीतने के बाद याददादा ही प्रधान गांव की ओर देखने आते हैं, समास्या देखने के बाद भी उनकी यह समस्या नहीं दिखती। सचिव साहब तो ग्राम सचिवालय से ही वापस हो जाते हैं। इस अजीब समस्या पर किसी का भी ध्यान नहीं है। जबकि यह निकासी अत्यंत आवश्यक है। बचपन के बच्चे तो सबसे प्यारे हैं।
क्या बोले ग्रामीण…
इस रास्ते में मझोले तक सांस ली जाती है, जो कि पेंटिंग वाले लोग अना-जाना करते हैं। फिर भी प्रधान जी की इस समस्या पर नजर नहीं आ रही है। इस गंदगी के बीच जिस तरह से हम लोग गरीब होते हैं, उस समस्या को हम लोग जानते हैं। किसी भी इस समस्या की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। सरकार को इस समस्या पर ध्यान देना चाहिए। •अविष्कार कुमार
गांव का रास्ता पूरी तरह से बोगस में डूब गया है। उपदेश में तो समस्या है ही साथ में संक्रामक रोग भी बढ़ रहे हैं। मच्छरों के आतंक से लोगों का जीना मुश्किल हो गया है। बैल में हम लोगों के जीव नरक जैसे हो गए हैं, फिर भी जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहे हैं। •रमेश कुमार
यह छूट के लिए बड़ी मुसीबत बन गई है। रास्ते में विविधता भरा से नामांकित बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं, बुज़र्ग इस रास्ते से बारिश के चार महीने नहीं निकल जाते हैं। अवगमन में बड़ी संकटाई करना पड़ रही है। अगर कोई बीमार हो जाए तो चार पाई में टांगकर ले जाना है। लेकिन कोई भी देखने सुनने वाला नहीं है। • शिरोमणि प्रसाद
यह समस्या मलेशिया समय से बनी हुई है, लेकिन किसी का ध्यान नहीं जा रहा है। अन्योन्याश्रित मार्ग से अवागमन कर रहे हैं। लोग घायल भी हो गए।सरपंच, सचिव से कई बार सड़क निर्माण की योजना बनाई, लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई। सरकार को ध्यान देना चाहिए। • चंदबाद प्रसाद