चित्रकूट

भारी बारिश व ओलावृष्टि से दफ़न हो गई फसलें,कुदरत के कहर ने अरमानों पर फेरा पानी

कुदरत के कहर से सबकुछ हुआ तहस-नहस

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रिपोर्ट- सचिन वन्दन

जन एक्सप्रेस।चित्रकूट।

तेज हवा के साथ हुई बारिश और ओलावृष्टि से फसलों की भारी क्षति हुई है। कुदरत के कहर ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया है। एक हफ्ते से पल-पल मे बदलते मौसम से फसलें पूरी तरह से तहस-नहस हो चुकी हैं। जिससे किसानों की कमर टूटने के साथ उनकी मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं।
जनपद मुख्यालय सहित कई ग्रामीण इलाकों में शाम 3 बजे से बादलों की बेरहमी शुरू हुई जिसकी परिणीति भयंकर ओलावृष्टि के रूप में हुई।जनपद के मानिकपुर, राजापुर, कर्बी और मऊ क्षेत्र के अधिकांश हिस्सों मे झमाझम बारिश के साथ हुई ओलावृष्टि से किसानों की फसलें दफन हो गई हैं। रविवार दोपहर बाद अचानक हुए मौसमी परिवर्तन ने वो कहर बरपाया ओलावृष्टि के रूप में कि अंगड़ाई लेती फसलें रह रहकर दम तोड़ती गईं। किसान बर्बाद हुई फसलों को देखकर अपने सर पर हाथ रखकर रोने के सिवाय कुछ नहीं कर सकते। किसानों के लिये आफत बनकर बरसे ओलों ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया है। गेहूं की खड़ी फसल गिरकर नष्ट हो चुकी है। इसी तरह दलहन और सब्जीवर्गीय फसलोंका भारी नुकसान हुआ है। मौसम विभाग के अनुसार अभी बर्बादी की बारिश रूकने के बजाय आगे भी जारी रह सकती हैं। जिससे किसानों को चिंता है कि बचीकुची फसलें भी नष्ट हो जाएंगी। बेमौसम बारिश ने किसानों की मेहनत पर पर पानी फेर दिया है। लगातार खराब हो रहे मौसम से वातावरण मे ठंड का इजाफा हो सकता है।

संतान की तरह फसलों की देखरेख करने वाले किसान बर्बाद

इसे बदले मौसम का बेरहम मिजाज कहें या कुदरत का कहर कि जलजले के रूप में हुई आसमानी नाइंसाफी ने योवन की दहलीज़ पर खड़ी फसलों को मौत की आगोश में पहुंचा दिया। किसी संतान की तरह अपने खेतों की देखभाल व रखवाली करने वाला अन्नदाता इस तबाही को अपनी नजरों के सामने बेबस हुआ देखता रहा। अब ऊपरवाले को कोसते हुए सिस्टम के रहनुमाओं की रहनुमाई की उम्मीद में टकटकी लगाए अन्नदाता बैठा है। हालांकि बर्बादी के मुहाने पर आ खड़े हुए किसानों को प्रशासन नुकसान की भरपाई करने का आश्वासन लगातार दे रहा है।

डेढ पाव से आधा किलो तक के करीब गिरे ओले

जनपद के कर्बी क्षेत्र के कई गांवों में 300 ग्राम तक के ओले गिरे। जनपद की सीमा से सटे मध्य प्रदेश के हिस्से मे भी 500 ग्राम तक के ओलों ने फसल को पूरी तरह से नष्ट कर दिया है। गेंहू ,जौ ,चना,अरहर, सरसों आदि की फसलें वेंटिलेटर पर हैं। कई-कई इलाकों में तो पूरा का पूरा खेत ओलों की चादर में ढक गया। कई बुजुर्गों का कहना था कि उन्होंने भी आज तक इतनी भारी ओलावृष्टि व बारिश नहीं देखी। न जाने कुदरत को क्या मंजूर है‌। उधर इस आसमानी कहर से कराह रहे किसानों को ढांढस बंधाने का काम जारी है। मिली जानकारी के अनुसार जिलाधिकारी अभिषेक आनंद ने प्रभावित इलाकों में फसलों के नुकसान के आंकलन का निर्देश सम्बंधित अधिकारियों को दिए गए हैं।

ओले से पशु-पक्षी भी प्रभावित

कुदरत के कहर से जनजीवन अस्त-व्यस्त होने के साथ पशु-पक्षी भी प्रभावित हुए हैं। रानीपुर टाइगर रिजर्व के मारकुंडी क्षेत्र मे ओले के चपेट मे आने से मृत अवस्था मे एक पक्षी पड़ा मिला। पशु- पक्षियों पर मौत बनकर ओले की बारिश हुई है। न जाने इस तरह से कितने पक्षियों और पशुओं की मौतें हुई होंगी। ओलावृष्टि नेकहर मचा कर रखा है।

कुसमी गांव मे चौपट हो गई फसलें

मानिकपुर तहसील क्षेत्र के बम्भिया ग्राम पंचायत के कुसमी गांव मे जमकर बड़े-बड़े गिरे हैं। गेहूं की खड़ी फसल गिरने से किसानों का भारी नुकसान हुआ है। इसी तरह से अधिकांश फसलों का हुआ नुकसान हुआ है। मानिकपुर के ऊंचाडीह क्षेत्र समेत दर्जनों गांवों मे फसलें पूरी तरह से बर्बाद हो गई हैं। पीड़ित किसानों ने प्रशासन से नुकसान का सर्वे कराकर मुआवजे की मांग की है।

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