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नेपाल में ज्ञानेन्द्र शाह और उनके परिवार के कारण राजतंत्र की वापसी संभव नहीं : प्रचंड

काठमांडू । नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री और माओवादी पार्टी के अध्यक्ष पुष्पकमल दहाल ‘प्रचंड’ ने नेपाल में राजतंत्र की वापसी की संभावना से इंकार किया है। हाल ही में पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र शाह की सक्रियता बढ़ने और भूटान में उनको मिले राजकीय सम्मान पर टिप्पणी करते हुए प्रचंड ने कहा कि ज्ञानेन्द्र के कारण ही नेपाल में राजतंत्र की संभावना नहीं है।

काठमांडू में पत्रकारों से बातचीत करते हुए प्रचंड ने माना कि वर्तमान राजनीतिक व्यवस्था में कुछ त्रुटियां हैं और जनता का राजनेताओं में भरोसा काम होता जा रहा है। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि पूर्व राजा की गतिविधियों पर लोगों का ध्यान जा रहा है। प्रचंड ने कहा कि भूटान में पूर्व राजा को मिला सम्मान असामान्य नहीं है। एक सवाल के जवाब में प्रचंड ने कहा कि नेपाल ने 250 वर्षों के राजशाही का खात्मा कर गणतंत्र शासन व्यवस्था को अपनाया है। अब गणतंत्र से दोबारा राजतंत्र की ओर वापस होना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है। उन्होंने कहा कि देश की जनता खुद ही अब दोबारा देश में राजतंत्र को वापस नहीं आने देगी। उन्होंने यह भी कहा कि इसके पीछे कई कारण है। प्रचंड का कहना है कि पूरी दुनियां में शायद ही कहीं ऐसा हुआ है, जहां गणतंत्र से वापस राजतंत्र में आया हो।

प्रचंड ने यह भी कहा कि नेपाल में राजतंत्र की वापसी नहीं आने का सबसे बड़ा कारण खुद पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र शाह और उनका परिवार है। ज्ञानेन्द्र शाह के तानाशाही शासन को इस देश की जनता ने भोगा है, इसलिए देश की जनता उन्हें पसंद नही करती। ज्ञानेन्द्र शाह लोकतंत्र में विश्वास नहीं रखते हैं, इसलिए यहां के कोई भी राजनीतिक दल उन पर विश्वास नहीं करते हैं। प्रचंड का यह भी दावा है कि नेपाल में लोकतंत्र बना रहे यह दोनों पड़ोसी देश की इच्छा है। इसलिए भी उनकी गतिविधि और भूटान भ्रमण से डरने की जरूरत नहीं है।

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