घर पर बुलडोजर चलाया, कोर्ट ने योगी सरकार पर 25 लाख का जुर्माना लगाया
सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की पीठ ने 45 साल पहले के फैसले को पलट दिया। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी मदरसा एक्ट की वैधता को बरकरार रखा। सुप्रीम कोर्ट ने मकान गिराने को बताया मनमानी। सरकारी नौकरियों में भर्ती नियम बदलने पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला दिया। अपने आखिरी वर्किंग डे पर भावुक हुए चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़। इस सप्ताह यानी 4 नवंबर से 9 नवंबर 2024 तक क्या कुछ हुआ? कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट और टिप्पणियों का विकली राउंड अप आपके सामने लेकर आए हैं। कुल मिलाकर कहें तो आपको इस सप्ताह होने वाले भारत के विभिन्न न्यायालयों की मुख्य खबरों के बारे में बताएंगे।सरकार नहीं कर सकती हर निजी संपत्ति पर कब्जा
सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की संविधान पीठ ने फैसला सुनाया कि संविधान के तहत सरकारों को आम भलाई के लिए हर निजी स्वामित्व वाले संसाधनों (प्रॉपर्टी) को अपने कब्जे में लेने का अधिकार नहीं है। संविधान पीठ ने 7-2 के बहुमत से 45 साल पुराने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया। तब जस्टिस कृष्ण अय्यर की बेंच ने फैसला दिया था कि सभी प्राइवेट स्वामित्व वाले संसाधनों को संविधान के अनुच्छेद- 39 (B) के तहत आम भलाई में वितरण के लिए सरकारें कब्जे में ले सकती हैं। चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की अगुआई वाली संविधान पीठ ने यह भी कहा कि सरकार कुछ मामलों में प्राइवेट संपत्तियों पर दावा कर सकती है। यह ऐतिहासिक फैसला नागरिकों के संपत्ति रखने के अधिकार पर बड़ा असर डाल सकता है।
यूपी का मदरसा एक्ट एससी में सही साबित
सुप्रीम कोर्ट ने 2004 के यूपी मदरसा शिक्षा बोर्ड ऐक्ट की वैधता को बरकरार रखा है। इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को निरस्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह कानून धर्मनिरपेक्षता (सेक्युलरिजम) के मूल सिद्धांत के खिलाफ नहीं है। हाई कोर्ट ने इस ऐक्ट को इस आधार पर खारिज किया था कि यह धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन करता है। हाई कोर्ट ने यह भी कहा था कि राज्य सरकार मदरसे के स्टूडेंट्स को अन्य स्कूलों में भर्ती करे। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अगर राज्य के पास विधायी शक्ति नहीं है, तभी किसी कानून को खारिज किया जा सकता है। या वह संविधान के मौलिक अधिकार या किसी अन्य प्रावधान का उल्लंघन करता हो।
यूं रातों रात नहीं चला सकते बुलडोजर
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि आप ऐसा नहीं कर सकते कि बुलडोजर लेकर आएं और रातों रात
भवनों को गिरा दें। आप परिवार को घर खाली करने के लिए समय नहीं देते। घर में रखे घरेलू सामान का क्या? चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुआई वाली पीठ ने यूपी सरकार को निर्देश दिया कि उस व्यक्ति को 25 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए जिसका घर 2019 में सड़क चौड़ी करने के एक प्रोजेक्ट के लिए गिरा दिया गया था। अदालत ने कहा, ‘मकान गिराने की प्रक्रिया पूरी तरह मनमानी थी। कानून का पालन किए बिना इसे अंजाम दिया गया। कोई नोटिस जारी नहीं किया गया। केवल मुनादी की थी। सिर्फ ढोल बजाकर किसी को यह नहीं कह सकते कि घर खाली करो, हम उसे गिराने आए हैं।
सरकारी नौकरियों पर कोर्ट का अहम फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकारी नौकरियों के लिए जब सेलेक्शन प्रक्रिया शुरू हो जाए तो फिर इसके नियम बीच में नहीं बदल सकते। जब तक संबंधित नियम ऐसा करने के लिए साफ तौर पर इजाजत नहीं देते हैं तब तक ‘गेम के नियमों’ को बीच में नहीं बदला जा सकता। भर्ती प्रक्रिया आवेदन मांगने वाले विज्ञापन जारी करने से शुरू होती है और वैकेंसी भरने के साथ ही खत्म होती है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने सर्वसम्मति से कहा कि अगर मौजूदा नियमों या विज्ञापन के तहत मानदंडों में बदलाव की इजाजत है तो इन्हें संविधान के अनुच्छेद-14 (समानता के अधिकार) के मुताबिक होना चाहिए, मनमाना नहीं। कोर्ट ने यह भी कहा कि सेलेक्शन लिस्ट में जगह मिलने से नियुक्ति का पूर्ण अधिकार नहीं मिल जाता है। राज्य या उसकी संस्थाएं उचित कारणों से वैकेंसी को न भरने का फैसला ले सकती है। लेकिन अगर वैकेंसी हैं वोने से उन लोगों को नियक्ति दिन से इनकार नहीं किया जा सकता जो लिस्ट में विचाराधीन हैं।