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मुंबई के पॉर्न फिल्म उद्योग में लखनऊ के बड़े- बड़े नाम

इस अवैध धंधे में कई सफेदपोश कारोबारी, ब्यूरोक्रेट्स, बिल्डर और डॉक्टर भी शामिल

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  • फिल्मों में काम दिलाने के नाम पर लखनऊ समेत यूपी के अलग-अलग इलाकों से ले जाते हैं मुंबई

  • शॉर्ट फिल्म बनाने के नाम पर कराया जाता है कॉन्ट्रैक्ट, फिर लालच और धमकी देकर मासूम लड़कियों से अश्लील फिल्मों में कराया जाता है काम

  • बहुत कम खर्च पर मोटा मुनाफा कमाने के चक्कर में समाज के रसूखदार लोग इस धंधे में कर रहे निवेश

जन एक्सप्रेस संवाददाता

लखनऊ। शोहरत और पैसा एक साथ कमाने का जुनून कम उम्र की लड़कियों से लेकर लखनऊ के स्थापित कारोबारियों, शीर्ष पदों पर बैठे ब्यूरोक्रेट्स और कई तथाकथित समाजसेवियों के सिर चढ़कर बोल रहा है। आलम यह है अब तक जो पॉर्न फिल्मों का धंधा मुंबई तक सीमित था अब उसमें बड़े स्तर पर लखनऊ की एंट्री हो गई है। इन फिल्मों के लिए एक्ट्रेस से लेकर फाइनेंसर तक की व्यवस्था लखनऊ से की जा रही है।

दरअसल प्रदेश में सत्ता का केंद्र लखनऊ ही है। सफेदपोश राजनेता हों, ब्यूरोक्रेट्स या कारोबारी सभी अपनी काली कमाई को सुरक्षित और दिन दूनी रात चौगुनी गति से बढ़ाने की फिराक में रहते हैं। पिछले कुछ समय से लगातार ईडी और इनकम टैक्स की रेड ने ऐसे लोगों को मजबूर किया है कि वह अपना पैसा किसी ऐसे धंधे में लगाएं जिस पर जांच एजेंसियों की एकदम नजर ना पड़े और उनका निवेश भी सुरक्षित रहे। इसलिए लखनऊ के रास्ते प्रदेश के बड़े कारोबारी, अधिकारी मायानगरी में बनने वाली पॉर्न फिल्मों में अपना पैसा लगा रहे हैं। इस धंधे में पैसा डूबने या नुकसान होने का खतरा कम से कम है, जबकि मुनाफा कई गुना है।

ऐसे लोग न सिर्फ पैसा कमा रहे हैं बल्कि उत्तर प्रदेश से भोली भाली लड़कियों को हीरोइन बनाने के नाम पर मुंबई ले जा रहे हैं। उन्हें पैसे का लालच और माया नगरी की चमक दिखा कर गुमराह कर रहे हैं। मुंबई ले जाकर ऐसे लोग लड़कियों से शॉर्ट फिल्म बनाने के नाम पर कॉन्ट्रैक्ट करा लेते हैं और बाद में धमकाकर व पैसे का लालच देकर उन्हें पॉर्न फिल्म बनाने पर मजबूर करते हैं।

कोई सामाजिक, राजनीतिक संगठन नहीं आ रहा बचाव में

ना चाहते हुए भी पॉर्न फिल्म इंडस्ट्री का हिस्सा बनने वाली लड़कियों के बचाव में कोई भी राजनीतिक, सांस्कृतिक और सामाजिक संगठन खड़ा नहीं हो रहा। दरअसल ज्यादातर लड़कियां देखने में सुंदर होती हैं। साथ ही ये ऐसे गरीब या मध्यवर्गीय परिवारों से होती हैं जिन्हें ग्लैमर की बहुत चाह होती है पर उनके परिवार वाले सीधे-साधे और बिना किसी बड़ी पहुंच वाले होते हैं। पड़ताल में सामने आ रहा कि ज्यादातर लड़कियां हिंदू परिवारों से हैं। लेकिन धर्म और जाति के नाम पर राजनीति करने वाले कोई भी संगठन पॉर्न फिल्मों में फंसी लड़कियों को बचाने के लिए कोई प्रयत्न नहीं कर रहे।

जन एक्सप्रेस की पड़ताल में सामने आ रहे बड़े-बड़े नाम

पॉर्न फिल्मों के गलीच धंधे में लखनऊ से निवेश करने वाले जिन लोगों का नाम सामने आ रहा है वह अचरज में डाल देने वाला है। साक्ष्य के साथ पुष्टि होने पर जन एक्सप्रेस एक-एक कर इन नाम का खुलासा करेगा।

शूटिंग के लिए गुजरात के सूरत तक जा रहीं यूपी की लड़कियां

गुजरात का सूरत शहर भी पॉर्न फिल्मों का नया केंद्र बन गया है। अब तक पॉर्न फिल्मों की शूटिंग मुंबई के मड आइलैंड स्थित बंगलों में ही ज्यादा होती थी। मड आइलैंड के बंगलों का किराया बहुत ज्यादा है। पॉर्न फिल्मों के रैकेट से जुड़े कई लोगों को यह किराया उनके बजट में फिट नहीं बैठता है, इसलिए उन्होंने सूरत शहर और उससे बाहर कुछ बंगलों को मुंबई की तुलना में सस्ते रेंट पर ले लिया। वहां मुंबई और यूपी से मॉडल्स को बुलाकर नियमित शूटिंग हो रही है।

ओटीटी सब्सक्रिप्शन से होती है मोटी कमाई

एक छोटे बजट की पॉर्न फिल्म बनाने में करीब दो से तीन लाख रुपये का खर्च आता है। फिल्म की शूटिंग एक दिन में पूरी हो जाती, लेकिन उसकी एडिटिंग वगैरह में तीन -चार दिन लग जाते हैं। इसके बाद इन्हें बनाने वाले अलग-अलग ओटीटी प्लैटफॉर्म पर इन्हें दोगुने या अधिक दाम में बेच देते हैं। जिनको ये फिल्में बेची जाती हैं, उन्हें ओटीटी सब्सक्रिप्शन से मोटी कमाई होती है। इसलिए बाद में पोर्न फिल्म बनाने वालों ने अपने-अपने ओटीटी ऐप्स भी लॉन्च कर दिए।

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