
जन एक्सप्रेस/हल्द्वानी(उत्तराखंड) : हल्द्वानी की चरमराती स्वास्थ्य व्यवस्था ने एक और मासूम जिंदगी लील ली। पंतनगर की रहने वाली 29 वर्षीय स्वाति पांडे, जो आठ माह की गर्भवती थीं, गुरुवार शाम अचानक तबीयत बिगड़ने पर दो अस्पतालों में भटकती रहीं, लेकिन समय पर उचित इलाज न मिलने के चलते उनकी और उनके अजन्मे शिशु की मौत हो गई।
स्वाति के पति अवनीस पांडे लुधियाना में कार्यरत हैं, जबकि स्वाति गर्भावस्था के दौरान मायके में रह रही थीं। शाम को अचानक उनका ब्लड प्रेशर बहुत अधिक बढ़ गया, जिसके बाद परिजन उन्हें मुखानी चौराहे स्थित एक निजी अस्पताल लेकर पहुंचे। वहां से हालत गंभीर बताकर उन्हें सुशीला तिवारी अस्पताल रेफर कर दिया गया।
परिजनों का आरोप है कि यदि दोनों अस्पतालों में समय पर उचित इलाज और सुविधाएं मिलतीं, तो स्वाति और उसके अजन्मे बच्चे की जान बचाई जा सकती थी। उनका कहना है कि डॉक्टरों ने गंभीरता से मामले को नहीं लिया और इलाज में देर कर दी। इधर कोतवाल राजेश कुमार यादव ने बताया कि शव का पोस्टमार्टम डॉक्टरों के पैनल की निगरानी में और मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में कराया गया है। मौत की असल वजह रिपोर्ट आने के बाद सामने आएगी।
इस हृदयविदारक घटना ने एक बार फिर उत्तराखंड की स्वास्थ्य सेवाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। सरकार और प्रशासन के लिए यह एक चेतावनी है कि अब और देर नहीं की जा सकती — वरना हर बार ऐसी जानें जाती रहेंगी जो बचाई जा सकती थीं।






