“जिले का सबसे बड़ा गांजा तस्कर और पुलिस की मेहरबानी! कब तक बचेगा मोहित निगम?”

जन एक्सप्रेस/बांदा: एक तरफ सरकार कहती है – ‘नशा मुक्त भारत’, दूसरी ओर बांदा में खुलेआम फल-फूल रहा है गांजा तस्करी का सिंडिकेट! और इस सिंडिकेट का सरगना – मोहित निगम – आज भी बेखौफ घूम रहा है!
सवाल ये नहीं कि तस्कर कौन है… सवाल ये है कि उसे बचा कौन रहा है?
मध्य प्रदेश से लेकर उत्तर प्रदेश तक दर्जनों मुकदमे… कई बार गांजे की बड़ी खेप के साथ गिरफ्तार… पुलिस रिकॉर्ड में नाम दर्ज… फिर भी आज तक ना गैंगस्टर एक्ट, ना कुर्की, ना कार्रवाई!
आखिर क्यों?
पुलिस का सौदागर या तस्करी का बादशाह?
सूत्रों की मानें तो मोहित निगम ने महज़ 100 रूपए से गांजा तस्करी की शुरुआत की थी। आज उसकी शानो-शौकत देखिए – करोड़ों की कोठी, आलीशान होटल, दर्जनों मकान और प्लॉट!
लेकिन हैरानी की बात ये है कि इतनी अवैध कमाई पर कभी भी न प्रवर्तन निदेशालय (ED) की नजर पड़ी, न ही पुलिस ने कुर्की की प्रक्रिया चलाई। क्यों? क्या गांजा तस्कर की जेबें ज़्यादा गहरी हैं या पुलिस की नीयत ज़्यादा हल्की?
D.I.G. दीपक कुमार की कार्रवाई बनी अपवाद
जब जिले में DIG रहे दीपक कुमार ने कार्रवाई की, तो मोहित निगम की पूरी गैंग, गांजे की भारी खेप और गाड़ियों के साथ उसे गिरफ्तार किया गया। मामला गरमाया, मीडिया ने भी उठाया।
लेकिन जैसे ही तबादला हुआ, उसी दिन से मोहित निगम पर पुलिस की मेहरबानी की बौछार शुरू हो गई!
सूत्रों का दावा – लाखों में होता है ‘सेटिंग का खेल’
सूत्र बताते हैं कि मोहित निगम गिरफ्तारी के बाद हर बार पुलिस अधिकारियों से ‘सौदा’ कर लेता है। कभी लाखों में मामला सेट, तो कभी थाने में बैठकर तय होती है ‘रिहाई की कीमत’।
एक बार तो SOG प्रभारी ने खुद उसके घर से पांच लाख लेकर छोड़ दिया, और जब सवाल उठे, तो मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया!
तेजतर्रार एसपी पलाश बंसल की अग्निपरीक्षा!
अब निगाहें हैं बांदा के एसपी पलाश बंसल पर।
क्या वो मोहित निगम जैसे तस्कर पर गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई करेंगे?
क्या गांजे की कमाई से खड़ी की गई काली संपत्ति जब्त की जाएगी?
या फिर एक बार फिर यह मामला भी सिस्टम की चुप्पी और सेटिंग की भेंट चढ़ जाएगा?
हमारा सवाल साफ है:
क्या बांदा पुलिस का इकबाल अब भी ज़िंदा है या तस्कर मोहित निगम ने उसे भी खरीद लिया है?
‘नशा मुक्त भारत’ के नारे की ज़मीनी हकीकत जाननी हो, तो बांदा आइए – जहां गांजा बिकता है… और तस्कर छूटता है!