भाजपा समर्थित जिला पंचायत सदस्यों ने जांच कर कार्रवाई की मांग का पत्र डीएम को सौंपा
गोपेश्वर । जिला पंचायत उपाध्यक्ष के अविश्वास प्रस्ताव में भाजपा समर्थित जिला पंचायत सदस्यों के फर्जी हस्ताक्षर किये जाने को लेकर सदस्यों ने एक ज्ञापन सोमवार को जिलाधिकारी चमोली को सौंपते हुए मामले की जांच करते हुए दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई किये जाने की मांग की है। भाजपा समर्थित जिला पंचायत सदस्यों ने कहा कि वे जिला पंचायत उपाध्यक्ष के अविश्वास में शामिल नहीं हैं।
बीते दिनों कांग्रेस समर्थित जिला पंचायत सदस्यों की ओर से जिला पंचायत उपाध्यक्ष का जिला पंचायत के विकास कार्यों में बाधक बनने बात कहते हुए उनके प्रति अपना अविश्वास जताते हुए जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपते हुए सदन में अविश्वास पर चर्चा किये जाने की मांग की थी, जिसमें कांग्रेस समर्थित सदस्यों के साथ ही भाजपा समर्थित तीन सदस्यों के भी हस्ताक्षर थे।
इस पर जिलाधिकारी ने सभी सदस्यों को पत्र भेजकर एक अप्रैल को अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा किये जाने की तिथि तय की गई है। जिला पंचायत सदस्यों को भेजे गये पत्र के साथ ही अविश्वास लाये जाने का जो पत्र जिलाधिकारी को सौंपा गया है, उसकी प्रति भी संलग्न कर भेजी गई। इसके बाद उन सदस्यों को भी यह पता चल गया कि जिनके उस पत्र में फर्जी हस्ताक्षर किये गये है। इस पर उन्होंने नाराजगी व्यक्त करते हुए सोमवार को जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपते हुए इसके जांच की मांग की है।
जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपने के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए भाजपा समर्थित जिला पंचायत सदस्य आशा फरस्वाण, दीपा राणा, अनूप चंद्र के साथ ही योगेंद्र सेमवाल और भाजपा के वरिष्ठ नेता पूर्व जिला अध्यक्ष और वर्तमान में रुद्रप्रयाग जिले के सह प्रभारी रघुवीर सिंह बिष्ट ने वर्तमान विधायक एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेंद्र भंडारी पर अपने परिवार के भ्रष्टाचार को संरक्षण देने का गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि लगभग एक दशक से जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज रजनी भंडारी पर नंदा देवी राजजात के कार्यों की निविदा प्रक्रिया पर अनियमितता के आरोप लगे लेकिन तत्कालीन समय में बदरीनाथ के विधायक एवं उत्तराखंड सरकार में कैबिनेट मंत्री होने के कारण अपने प्रभाव से सारे भ्रष्टाचार के आरोपों को दबा दिया गया। वह अपने को सही साबित करने का प्रयास करते रहे।
वर्तमान समय में जिला पंचायत चमोली के उपाध्यक्ष लक्ष्मण सिंह रावत की ओर से सदन और सदन के बाहर इस प्रकरण को शासन स्तर पर एवं उच्च न्यायालय के संज्ञान में ले जाकर भ्रष्टाचारियों को दंडित करने की मांग की तो के विधायक राजेंद्र भंडारी ने अपने पद का बलपूर्वक प्रयोग करते हुए उल्टा जिला पंचायत उपाध्यक्ष लक्ष्मण सिंह के खिलाफ ही अविश्वास प्रस्ताव ले आए। जब भारतीय जनता पार्टी के समर्थित जिला पंचायत सदस्यों को जिलाधिकारी चमोली की ओर से फर्जी हस्ताक्षर से अविश्वास प्रस्ताव को प्रस्तुत करने की बात संज्ञान में आई तो उन्होंने जिलाधिकारी चमोली को अपना स्पष्टीकरण लिखित रूप में देते हुए जिला पंचायत अध्यक्ष लक्ष्मण सिंह रावत के खिलाफ दिए गए अविश्वास प्रस्ताव पर उनकी ओर से कोई भी हस्ताक्षर नहीं किए जाने की बात कही गयी। साथ ही उन्होंने कहा कि वे कभी जिलाधिकारी चमोली के समक्ष प्रस्तुत नहीं हुए। यह सब मनगढ़ंत और छल प्रपंच का ही एक हिस्सा है।
उनका यह भी आरोप है कि कहा कि विधायक राजेंद्र भंडारी 2003 से जिला पंचायत अध्यक्ष, तत्पश्चात नंदप्रयाग के विधायक उसके बाद बदरीनाथ के विधायक और उनकी धर्मपत्नी दो बार जिला पंचायत अध्यक्ष के पद पर काबिज रहकर सिर्फ और सिर्फ अपने और अपने परिवार के हित के बारे में सोचा। यह इस बात से सिद्ध होता है कि उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण भराड़ीसैंण में विगत दिनों महत्वपूर्ण बजट सत्र चला और बदरीनाथ के विधायक इस महत्वपूर्ण बजट सत्र से नदारद रहे।
वर्तमान समय में भी जनता ने उन्हें जिताकर विधानसभा में भेजा, लेकिन उन्होंने दूरदराज के क्षेत्रों में एक बार भी जाना मुनासिब नहीं समझा और आज उनकी निष्क्रियता के कारण बदरीनाथ विधानसभा के विकास कार्यों में विधायक के हस्तक्षेप से सिर्फ बंदरबांट हो रही है। जिला योजना हो अथवा विधायक निधि सभी अपने चहेतों को दिया जा रहा है।