उत्तर प्रदेशउन्नाव

भीषण गर्मी में खाली दौड़ रहीं बसें…

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उन्नाव। हीट वेव के साथ पारा 43-44 रहने से लोगों को घरों से बाहर निकलने के लिए सोचना पड़ रहा है। इसीलिए इन दिनों राज्य परिवहन निगम (रोडवेज बसों) को सवारियों का टोटा बना हुआ है। इससे लखनऊ-कानपुर के बीच दौड़ने वाली अधिकांश बसों की सीटें सवारियां न मिलने से खाली रहती हैं। निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक गिरीश चंद्र वर्मा ने कहा कि इन दिनों दोपहर में यात्रियों की संख्या काफी कम रहती है।

बता दें उन्नाव शहर स्थित बस अड्डे से जिले के आंतरिक रूटों के अलावा आनंद विहार (दिल्ली) की सवारियां ले जाने को बसों का संचालन होता है। इसके अलावा डिपो की अन्य गाड़ियां कानपुर के झकरकटी बस अड्डे से सवारियां बैठाने के बाद लखनऊ व बहराईच सहित अन्य जिलों के यात्री ले जाती हैं। झकरकटी बस अड्डे से कानपुर महानगर के विभिन्न डिपो सहित अन्य जिलों में संचालित डिपो की गाड़ियां लखनऊ-कानपुर रूट पर रात-दिन सवारियां ले जाती हैं।

इधर, पूरे दिन गर्म हवाएं चलने और तेज धूप होने से लोग आवागमन से बच रहे हैं। यही कारण है कि रोडवेज बसों को पर्याप्त यात्री नहीं मिल रहे हैं। चालकों के अनुसार, झकरकटी बस स्टेशन पर गाड़ियों की लाइन लगी रहती है। इसलिए स्टेशन स्टाफ अधिक समय तक बसों को नहीं रोकने देते हैं। जिससे मजबूरी में मानक के मुताबिक सवारियां न होने पर भी गाड़ी आगे बढ़ानी पड़ती हैं। कानपुर से खाली सीटें उन्नाव में भरने की उम्मीद रहती है। लेकिन, विपरीत मौसम में यहां भी सवारियां नहीं मिलती हैं।

इससे कभी-कभी 10-12 सवारियों को ही कानपुर से लखनऊ तक लाना व ले जाना पड़ रहा है। क्षेत्रीय प्रबंधक के मुताबिक वैसे सभी सीटें भरकर गाड़ी चलाई जाती हैं, लेकिन गर्मियों में जहां दिन में सवारियां नहीं मिलती हैं। वहीं सर्दियों के समय रात में यात्रियों का टोटा रहता है। इसके बावजूद लोगों को गंतव्य तक पहुंचाने के लिए बसों का संचालन जारी रखा जाता है। उन्होंने स्वीकार किया कि सवारियों की आवक कम होने पर गाड़ियों के फेरे कम करके नुकसान रोका जा रहा है।

छोटी गाड़ियों के सामने भी है संकट

सवारियों का संकट डग्गामारी करने वाली छोटी गाड़ियों खासकर मारुती वैन व ईको के चालकों के सामने भी है। उन्होंने बताया कि आमदिनों में वह गाड़ी फुल करने के बाद ही गंतव्य को रवाना होते हैं, लेकिन इधर दोपहर के समय सवारियां न मिलने पर बैठ चुके लोगों को हाथ से फिसलने से बचाने को खाली गाड़ी ही बढ़ानी पड़ती है। रास्ते में फुटकर सवारियां नहीं मिलतीं। इसलिए लखनऊ जाते समय यहां पहुंचने पर गाड़ी फुल होने के बाद ही आगे बढ़ते हैं।

 

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