देश में सीएए लागू, केंद्र ने जारी की अधिसूचना, तीन मुल्कों के छह प्रवासी समुदायों को मिलेगी नागरिकता
जन एक्सप्रेस/ संवाददाता
देश में ‘नागरिकता संशोधन अधिनियम’ (सीएए) के नियम लागू हो गए हैं। केंद्र सरकार ने सोमवार शाम को नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर अधिसूचना जारी कर दी है। इसके लिए पोर्टल भी तैयार कर लिया गया है, जिसके जरिए गैर मुस्लिम प्रवासी समुदाय के लोग नागरिकता पाने के लिए आवेदन कर सकेंगे। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा इसके लिए पूरी तैयारी कर ली है। कुछ दिन पहले ही केंद्रीय गृह मंत्रालय को नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 के नियमों को तैयार करने के लिए लोकसभा में अधीनस्थ कानून पर संसदीय समिति की तरफ से एक और विस्तार मिला था। पहले के सेवा विस्तार की अवधि नौ जनवरी को खत्म हो गई थी। सीएए के नियम तैयार करने के लिए गृह मंत्रालय को सातवीं बार विस्तार प्रदान किया गया था। इससे पहले राज्यसभा से भी गृह मंत्रालय को उक्त विषय पर नियम बनाने व लागू कराने के लिए 6 महीने का विस्तार मिला था।
आखिर क्या है नागरिकता संशोधन कानून?
नागरिकता संशोधन विधेयक से अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई अवैध प्रवासियों को नागरिकता के लिए पात्र बनाने के लिए नागरिकता अधिनियम, 1955 में संशोधन किया गया है। नागरिकता संशोधन विधेयक 9 दिसंबर 2019 को लोकसभा में प्रस्तावित किया गया था। 9 दिसंबर 2019 को ही विधेयक सदन से पारित हो गया। 11 दिसंबर 2019 को यह विधेयक राज्यसभा से पारित हुआ था।
नए कानून में क्या प्रावधान हैं?
नागरिकता अधिनियम में देशीयकरण द्वारा नागरिकता का प्रावधान किया गया है। आवेदक को पिछले 12 महीनों के दौरान और पिछले 14 वर्षों में से आखिरी साल 11 महीने भारत में रहना चाहिए। कानून में छह धर्मों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) और तीन देशों (अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान) से संबंधित व्यक्तियों के लिए 11 वर्ष की जगह छह वर्ष तक का समय है। कानून में यह भी प्रावधान है कि यदि किसी नियम का उल्लंघन किया जाता है तो ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया (ओसीआई) कार्डधारकों का पंजीकरण रद्द किया जा सकता है।
कानून की मुख्य बातें क्या हैं?
नागरिकता अधिनियम, 1955 यह बताता है कि कौन भारतीय नागरिकता प्राप्त कर सकता है और किस आधार पर। कोई व्यक्ति भारतीय नागरिक बन सकता है यदि उसका जन्म भारत में हुआ हो या उसके माता-पिता भारतीय हों या कुछ समय से देश में रह रहे हों, आदि। हालांकि, अवैध प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्राप्त करने से प्रतिबंधित किया गया है। अवैध प्रवासी वह विदेशी होता है जो: (i) पासपोर्ट और वीजा जैसे वैध यात्रा दस्तावेजों के बिना देश में प्रवेश करता है, या (ii) वैध दस्तावेजों के साथ प्रवेश करता है, लेकिन अनुमत समय अवधि से अधिक समय तक रहता है। विदेशी अधिनियम, 1946 और पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम, 1920 के तहत अवैध प्रवासियों को कैद या निर्वासित किया जा सकता है। 1946 और 1920 अधिनियम केंद्र सरकार को भारत के भीतर विदेशियों के प्रवेश, निकास और निवास को विनियमित करने का अधिकार देते हैं। 2015 और 2016 में, केंद्र सरकार ने अवैध प्रवासियों के कुछ समूहों को 1946 और 1920 अधिनियमों के प्रावधानों से छूट देते हुए दो अधिसूचनाएं जारी की थीं। ये समूह अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई हैं, जो 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत आए थे। इसका मतलब यह है कि अवैध प्रवासियों के इन समूहों को निर्वासित नहीं किया जाएगा।
क्या होगा, क्या नहीं?
नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019, भारत के तीन पड़ोसी देशों से धार्मिक आधार पर प्रताड़ित होकर भारत आए शरणार्थियों को भारत की नागरिकता का अधिकार देने का कानून है। नागरिकता संशोधन कानून के सन्दर्भ में कई गलतफहमियां फैली थीं। यह नागरिकता देने का कानून है, CAA से किसी भी भारतीय नागरिक के नागरिकता नहीं जाएगी, चाहे वह किसी भी धर्म का हो। यह कानून केवल उन लोगों के लिए है जिन्हें वर्षों से उत्पीड़न सहना पड़ा और जिनके पास दुनिया में भारत के अलावा और कोई जगह नहीं है। कोरोना के कारण नागरिकता संशोधन कानून को लागू करने में देरी हुई। लेकिन अब इसे हम लागू कर दिया गया है। भाजपा ने 2019 लोकसभा चुनाव मैनिफेस्टो में कहा था कि वह पड़ोसी देशों के प्रताड़ित धार्मिक अल्पसंख्यकों के संरक्षण के लिए सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है।
विपक्ष ने कहा- आखिरी खेल चल रहा, चलने दो
शिवसेना (UBT) सांसद संजय राउत ने कहा- ये उनका (भाजपा) आखिरी खेल चल रहा है। चलने दो, लागू होने दो। वे लोग ये खेल करते रहते हैं। जब तक चुनाव है तब तक वे CAA-CAA खेलेंगे, खेलने दो। मौलाना फिरंगी महली का बयान – सब लोग शांति बनाए रखें, किसी की नागरिकता नहीं जाएगी।
जयराम रमेश बोले- प्रधानमंत्री के सफेद झूठ की एक और झलक
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, ‘दिसंबर 2019 में संसद द्वारा पारित नागरिकता संशोधन अधिनियम के नियमों को अधिसूचित करने में मोदी सरकार को चार साल और तीन महीने लग गए। प्रधानमंत्री दावा करते हैं कि उनकी सरकार बिल्कुल प्रोफेशनल ढंग से और समयबद्ध तरीके से काम करती है। CAA के नियमों को अधिसूचित करने में लिया गया इतना समय प्रधानमंत्री के सफेद झूठ की एक और झलक है।’
अर्जुन मुंडा ने कहा- जो भी देश हित में हो, वो किया जाना चाहिए।
ममता के बयान पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा- जो लोग चीजों को केवल राजनीतिक चश्मे से देखते हैं, उनकी राय अलग हो सकती है, मैं इसमें नहीं जाऊंगा। लेकिन, सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि जो भी देश हित में हो, वो किया जाना चाहिए।
ममता ने कहा- रूल्स देख लेने दीजिए, गलत हुए तो हम उसका विरोध करेंगे
गृह मंत्रालय के नॉटिफिकेशन से पहले पश्चिम बंगाल की CM ममता बनर्जी ने कहा- पहले मुझे नियमों को देखने दीजिए। अगर लोगों को नियमों के तहत उनके अधिकारों से वंचित किया जाता है, तो हम इसके खिलाफ लड़ेंगे। यह चुनाव के लिए बीजेपी का प्रचार है और कुछ नहीं। ममता ने कहा- आपको 6 महीने पहले नियमों को अधिसूचित करना चाहिए था। यदि कोई अच्छी चीजें हैं, तो हम हमेशा समर्थन और सराहना करते हैं, लेकिन अगर कुछ भी किया जाता है जो देश के लिए अच्छा नहीं है। TMC हमेशा अपनी आवाज उठाएगी और इसका विरोध करेगी। मुझे पता है कि रमजान से पहले आज की तारीख क्यों चुनी गई। मैं लोगों से शांत रहने और किसी भी अफवाह से बचने की अपील करती हूं।
शाह ने कहा था- CAA लोकसभा चुनाव के पहले लागू होगा
गृह मंत्री अमित शाह ने 10 फरवरी को कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले देश में सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट (CAA) लागू हो जाएगा। उन्होंने कहा कि CAA देश का एक्ट है, इसे हम यकीनन नोटिफाई करेंगे। इसे चुनाव से पहले नोटिफाई किया जाएगा और चुनाव से पहले इसे लागू भी किया जाएगा। इसे लेकर कोई कन्फ्यूजन नहीं होना चाहिए।
CAA के दो बड़े प्रावधान समझिए
1. CAA से किसे मिलेगी नागरिकता:
CAA के तहत 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश से धार्मिक आधार पर प्रताड़ित होकर भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को नागरिकता दी जाएगी। इन तीन देशों के लोग ही नागरिकता के लिए आवेदन करने के योग्य होंगे।
2.CAA भारतीय नागरिकों को प्रभावित नहीं करेगा:
भारतीय नागरिकों से इसका कोई सरोकार नहीं है। संविधान के तहत भारतीयों को नागरिकता का अधिकार है। CAA या कोई कानून इसे नहीं छीन सकता।
नागरिकता के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा
आवेदन प्रक्रिया ऑनलाइन रहेगी। आवेदकों को बताना होगा कि वे भारत कब आए। पासपोर्ट या अन्य यात्रा दस्तावेज नहीं होंगे, तब भी आवेदन कर पाएंगे। इसके तहत भारत में रहने की अवधि पांच साल से अधिक रखी गई है। अन्य विदेशियों (मुस्लिम) के लिए यह समय अवधि 11 साल से अधिक है।
आवेदन के वेरिफिकेशन की प्रोसेस तय समय में पूरी होगी
नागरिकता के लिए आने वाले आवेदनों की सेंट्रलाइज्ड सिस्टम से प्रोसेसिंग होगी। दस्तावेज की ऑनलाइन जांच और सुरक्षा एजेंसियों की क्लीयरेंस के बाद नागरिकता प्रमाण पत्र जारी होगा। यह पूरी प्रक्रिया पासपोर्ट जारी करने के समान होगी।
- नागरिकता त्याग प्रमाण-पत्र जरूरी नहीं
पाकिस्तान से आए लोगों को पाक उच्चायोग से नागरिकता त्याग प्रमाण-पत्र लेना होता था। अब सरकार इसकी अनिवार्यता खत्म करने पर विचार कर रही है।
गृह मंत्रालय का फॉरेनर्स डिवीजन जारी करेगा नागरिकता संबंधी प्रमाण-पत्र
सूत्रों के अनुसार नए सीएए अधिनियम में नागरिकता प्रमाण पत्र देने वाली कांपिटेंट अथॉरिटी (सक्षम प्राधिकरण) का गठन नहीं होगा। अथॉरिटी का काम गृह मंत्रालय का फॉरेनर्स डिवीजन करेगा। राज्य और जिला स्तर पर अलग प्राधिकरण गठित किए जाएंगे।
- 1955 के कानून में बदलाव किया गया
2016 में नागरिकता संशोधन विधेयक 2016 (CAA) पेश किया गया था। इसमें 1955 के कानून में कुछ बदलाव किया जाना था। ये बदलाव थे, भारत के तीन मुस्लिम पड़ोसी देश बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए गैर मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देना। 12 अगस्त 2016 को इसे संयुक्त संसदीय कमेटी के पास भेजा गया। कमेटी ने 7 जनवरी 2019 को रिपोर्ट सौंपी थी।
- 2019 में लोकसभा-राज्यसभा से बिल पास हो चुका
11 दिसंबर 2019 को राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 (CAB) के पक्ष में 125 और खिलाफ में 99 वोट पड़े थे। 12 दिसंबर 2019 को इसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई। देशभर में भारी विरोध के बीच बिल दोनों सदनों से पास होने के बाद यह कानून की शक्ल ले चुका था। इसे गृहमंत्री अमित शाह ने 9 दिसंबर को लोकसभा में पेश किया था।