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बॉर्डर सुरक्षा के बावजूद मानव तस्करी के मामले लगातार बढ़ोत्तरी
जन एक्सप्रेस/संवाददाता
लखीमपुर/पलिया/खीरी। नेपाल बॉर्डर पार कर भारतीय क्षेत्र के अन्य राज्यों में नौकरी दिलाने का लालच देकर गरीबों और जरूरतमंद लोगों को सीमा पार से लाने के लिए तस्करों ने कुछ नए तरीकों पर ध्यान केन्द्रित किया है। दरअसल कोरोना संक्रमण काल में रोजगार छिन जाने के चलते लोगों को लालच देकर सीमा पार से तस्करी के माध्यम से लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। सबसे ज्यादा गौरीफंटा, बसही सूड़ा चंदन चौकी जैसे इलाकों में मानव तस्कर सक्रिय हो रहे हैं।कुछ शोधकर्ताओं ने भी कहा नेपाल से मानव तस्करी की समस्या धीरे-धीरे नासूर का रूप लेती जा रही है। मानव तस्करी का धंधा कम समय में भारी मुनाफा कमा लेने का जरिया है। इसी लालच के चलते यह समाज के लिए गंभीर समस्या बन रहा है। ड्रग्स और हथियारों की तस्करी के बाद मानव तस्करी को दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा संगठित अपराध माना गया है और अगर बात एशिया की हो तो भारत इस तरह के अपराधों का गढ़ माना जाने लगा है। यह एक छिपा हुआ अपराध है, जो विश्वभर में लगभग हर देश में सभी तरह की पृष्ठभूमि वाले लोगों को प्रभावित करता है। संयुक्त राष्ट्र की परिभाषा के अनुसार किसी व्यक्ति को डराकर, बल प्रयोग कर या दोषपूर्ण तरीके से भर्ती, परिवहन अथवा शरण में रखने की गतिविधि तस्करी की श्रेणी में आती है। देह व्यापार से लेकर बंधुआ मजदूरी, जबरन विवाह, घरेलू चाकरी, अंग व्यापार तक के लिए दुनिया भर में महिलाओं, बच्चों व पुरूषों को खरीदा व बेचा जाता है और आंकड़ों पर नजर डालें तो करीब 80 फीसदी मानव तस्करी जिस्मफरोशी के लिए ही होती है जबकि शेष 20 फीसदी बंधुआ मजदूरी अथवा अन्य प्रयोजनों के लिए भी किया जाता है। हमारे यहां बहुत से मामलों में कड़े कानूनों के बावजूद असामाजिक तत्व बेखौफ अपना खेल खेलते हैं। इसलिए मानव तस्करी के मामले में कड़े कानूनी प्रावधानों की सतत निगरानी की व्यवस्था के साथ-साथ ऐसा निगरानी तंत्र विकसित करने की भी दरकार है ताकि अपने रसूख के बल पर आरोपी छूट न सकें। दरअसल मावनता को शर्मसार कर देने वाली मानव तस्करी सभ्य समाज के माथे पर बदनुमा दाग है।