मुख्यमंत्री चौहान ने मदनलाल ढींगरा, राजा शंकर शाह और रघुनाथ शाह को किया याद

भोपाल । मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को अमर शहीद स्वतंत्रता सेनानी मदनलाल ढींगरा की जयंती और स्वतंत्रता सेनानी राजा शंकर शाह और रघुनाथ शाह के बलिदान दिवस पर नमन किया। मुख्यमंत्री चौहान ने अपने निवास कार्यालय स्थित सभागार में उनके चित्र पर माल्यार्पण कर पुष्पांजलि अर्पित की।
मुख्यमंत्री चौहान ने ट्वीट करते हुए कहा कि “मां भारती के पैरों में पड़ी परतंत्रता की बेड़ियां तोड़ने के लिए हंसते-हंसते अपने प्राण न्योछावर करने वाले, मां भारती के सच्चे सपूत, महान क्रांतिकारी मदनलाल ढींगरा जी की जयंती पर कोटि-कोटि प्रणाम करता हूं। मातृभूमि की रक्षा के लिए दिए गए आपके अमूल्य बलिदान की गौरवगाथा, हर भारतवासी को राष्ट्र सेवा के लिए सदैव प्रेरित करती रहेगी।”
मुख्यमंत्री ने राजा शंकर शाह और रघुनाथ शाह को याद करते हुए लिखा कि “1857 की क्रांति के नायक, अमर शहीद, राजा शंकर शाह जी और कुंवर रघुनाथ शाह जी के बलिदान दिवस पर विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ। आपके साहस व वीरता की कहानियाँ सर्वदा प्रदेश और देशवासियों को राष्ट्र सेवा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने की प्रेरणा देती रहेंगी। मातृभूमि के लिए आप अमर हुतात्माओं का त्याग व समर्पण वंदनीय है।”
मदनलाल ढींगरा
मदनलाल ढींगरा का जन्म 18 सितंबर 1883 को पंजाब प्रांत में हुआ। उन्होंने यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में उच्च शिक्षा के लिए प्रवेश लिया। लंदन में श्री ढींगरा प्रख्यात राष्ट्रवादी श्री विनायक दामोदर सावरकर तथा श्री श्यामजी कृष्ण वर्मा के संपर्क में आए। वहां के सभी देशभक्त, श्री खुदीराम बोस, श्री कन्हाई लाल दत्त, श्री सत्येंद्र पाल और श्री काशीराम जैसे क्रांतिकारियों को मृत्युदंड दिए जाने से क्रोधित थे। परिणाम स्वरूप इंडियन नेशनल एसोसिएशन के वार्षिक उत्सव में स्वतंत्रता सेनानी मदनलाल ढींगरा ने सर विलियम हट कर्जन वायली पर गोलियां दाग दीं। प्रकरण की सुनवाई के बाद 17 अगस्त 1909 को ब्रिटिश सरकार द्वारा क्रांतिकारी श्री ढींगरा को फांसी दे दी गई।
राजा शंकर शाह और रघुनाथ शाह
राजा शंकर शाह और रघुनाथ शाह ने वर्ष 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में जबलपुर क्षेत्र में सैनिकों को क्रांति में भाग लेने के लिए प्रेरित किया था। अपने क्रांतिकारी साथियों और 52वीं रेजीमेंट के सैनिकों के साथ मिल कर पिता-पुत्र ने क्रांति की योजना बनाई, लेकिन गद्दार ने यह सूचना अंग्रेजों तक पहुँचा दी। राजा, उनके पुत्र और अनुयायियों सहित 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया। तलाशी में क्रांति संगठन के दस्तावेजों के साथ राजा शंकर शाह द्वारा लिखित एक कविता मिली। दोनों क्रांतिवीर पिता-पुत्र को बंदी बना कर जेल में रखा गया। राजा शंकर शाह और रघुनाथ शाह की गिरफ्तारी से सैनिकों और जनता में आक्रोश बढ़ गया। तुरंत डिप्टी कमिश्नर और दो अंग्रेज अधिकारियों की एक औपचारिक सैनिक अदालत बैठायी गयी और देशद्रोही कविता लिखने के जुर्म में राजा शंकर शाह और रघुनाथ शाह को 18 सितम्बर 1857 को मृत्यु-दण्ड दिया गया।