चित्रकूट

घटिया सामग्री का इस्तेमाल कर हो रहा कूप निर्माण,जिम्मेदार बेखबर

जन एक्सप्रेस संवाददाता | चित्रकूट
मानिकपुर विकास खण्ड में लघु सिंचाई विभाग से कूप निर्माण कार्य मे जमकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। कूप निर्माण में संबंधित ठेकेदारों द्वारा भारी अनियमितता बरती जा रही है। ठेकेदारों द्वारा लोकल मैटेरियल से बेधड़क घटिया कार्य कराया जा रहा है,लेकिन इस पूरे कारनामे से जिम्मेदार बेखबर हैं। अधिकारियों ने कमीशन की लालच मे आंख मूंद ली है कि उन्हें मानकविहीन काम भी गुणवत्तापूर्ण नजर आ रहे है।
मानिकपुर विकास खण्ड के डोड़ामाफी, अमचुर नेरूआ, इंटवा डुड़ैला,बम्भिया, मनगवां आदि ग्राम पंचायतों में लघु सिंचाई विभाग से कूपों का निर्माण कार्य चल रहा है। जहां ठेकेदारों द्वारा व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार को अंजाम दिया जा रहा है। खोदने के बाद कुओं के चारों तरफ पत्थर के ढोका से बंधाई कार्य चल रहा है, जिसमें डस्ट के साथ नाम मात्र सीमेंट के मिश्रण से सिंगल पत्थरों की दिवाली खड़ी की जा रही है। जो अल्प समय में ही गिरकर लाखों की लागत से बन रहे कूपों को धराशाई कर देगा। इनके लिए पहली बरसात झेलना भी बहुत बड़ी बात होगी। सबसे खास बात तो यह है कि जंगलों से निकाले अनगढे पत्थरों को उपयोग में लाया जा रहा है‌‌। लेकिन मानकविहीन हो रहे निर्माण कार्यों की जिम्मेदारों को देखने तक की भी फुर्सत नहीं है। ठेकेदार गुणवत्ता का ख्याल न रखते हुए निर्माण में मनमानी की जा रही है। अब देखना यह होगा कि ऐसे भ्रष्टाचार मामले पर जिम्मेदार अफसरों द्वारा क्या कार्यवाही की जाएगी ?

टाइगर रिजर्व से 500 मीटर दूरी पर हो रहा कूप का निर्माण

टाइगर रिजर्व ,राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य के मुख्य क्षेत्र में निर्माण पर पूरी तरह से रोक है। निर्माण कार्यों की मनाही होने के बावजूद भी ब्लास्ट कूपों धड़ल्ले से निर्माण किया जा रहा है। नियमत: टाइगर रिजर्व की सीमा से तकरीबन 1 किमी. तक किसी भी तरह का निर्माण कार्य व तोड़फोड़ करना प्रतिबंधित होता है, लेकिन यहां तो सारे कानूनों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। रानीपुर टाइगर रिजर्व के मारकुंडी वनक्षेत्र प्रथम के डोड़ामाफी के आसपास टाइगर रिजर्व क्षेत्र से तकरीबन 500 मीटर दूरी पर ब्लास्टिंग कूपों का बेरोकटोक निर्माण चल रहा है।रानीपुर टाइगर रिजर्व क्षेत्र के डोड़ामाफी मे छोटा व हेमराज के कूप जंगल से तकरीबन 300 से 400 मीटर दूर पर बन रहे हैं। जो पूरी तरह से गैरकानूनी है। ऐसे स्थानों पर जिम्मेदारों की नज़र बिल्कुल भी नहीं जा रही हैं। सबसे बड़ा सवाल यह हो कि आखिर प्रतिबंधित क्षेत्र में ब्लास्ट कूपों बनाने की अनुमति किसने दी है ?

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