सीजेएम के आदेश के बाद भी पीड़ित को रकम मिलने में लगे सवा दो महीने
एचडीएफसी बैंक अधिकारियों की लचर प्रणाली उजागर, व्यापारी के खाते से साइबर अपराधियों ने उड़ाए थे एक लाख रुपए
जन एक्सप्रेस/संवाददाता
बहराइच। एचडीएफसी बैंक ग्राहक के खाते से साइबर अपराधियों ने फ्राड करके 6 माह पूर्व एक लाख रुपए उड़ा लिए। ग्राहक की शिकायत पर बैंक अधिकारियों ने व्यापारी को कोई राहत नहीं दिलाई। जिस पर व्यापारी ने सीजेएम अदालत पर अर्जी देकर न्याय की गुहार लगाई। सीजीएम त्वरित सुनवाई करते हुए तफ्तीश के दौरान ही पीड़ित को रकम वापस दिलाने का बैंक अधिकारियों को आदेश दिया। फिर भी पीड़ित को धन वापस मिलने में सवा दो महीने लग गए।
इस मामले की पैरवी कर रहे अधिवक्ता बशारत उल्ला खां “शहंशाह” और अधिवक्ता अब्दुल हक खान “जावेद” ने बताया कि उद्योग व्यापार मंडल उपाध्यक्ष मनीष मल्होत्रा ने इस साल की शुरुआत में एचडीएफसी बैंक की डिगिहा शाखा में बचत खाता खोला था। 26 फरवरी को आनलाइन ट्रांजेक्शन के समय उनके मोबाइल पर टेक्स्ट मैसेज द्वारा एक लिंक आया। भूलवश लिंक टच करते ही उनका मोबाइल हैक हो गया। मोबाइल पर अनजाने नामों वाले खातों को बेनीफिशरी एड करने के मैसेज व ओटीपी आने लगे।
श्री मल्होत्रा ने ओटीपी किसी से शेयर नहीं की लेकिन कुछ ही सेकेंड में उनके खाते से 99999 रुपए एचडीएफसी बैंक की मुंबई ब्रांच में मनोज किस्कू के खाते में ट्रांसफर हो गये।
व्यापारी ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 व एचडीएफसी बैंक के टोल फ्री नंबर पर संपर्क कर अपना खाता बंद करा दिया। साइबर हेल्पलाइन 1930 व स्थानीय पुलिस साइबर सेल की मदद से फ्राड करने वाले मनोज किस्कू का खाता भी फ्रीज करा दिया गया। जानकारी मिली कि फ्राड खाताधारक मनोज किस्कू की बैंक केवाईसी अपडेट नहीं है और उसके खाते में संभवतः फ्राड कर लाए गए लगभग दो लाख रुपए जमा हैं। व्यापारी ने बैंक से अपनी रकम वापस दिलाने की गुहार लगाई। बावजूद बैंक प्रबंधन ने कोई सहायता नहीं की। जिस पर पीड़ित ने सीजेएम शिवेंद्र कुमार मिश्र की अदालत पर अर्जी देकर धोखेबाजों द्वारा आहरित धन वापस दिलाने की गुहार लगाई। अदालत ने विवेचक और थाने से रिपोर्ट तालाब की।
सीजेएम शिवेंद्र कुमार मिश्र ने पीड़ित के मामले में त्वरित सुनवाई करते हुए समान धनराशि की जमानत बंधक लिखवाकर बैंक को रकम दिलाने का आदेश दिया। 14 जुलाई को अदालत ने आदेश जारी किया और 26 जुलाई को पुलिस की साइबर सेल ने बैंक को मेल भेजी। बैंक अधिकारियों ने अदालत के आदेश को संज्ञान नहीं लिया। व्यापारी ने एसपी को प्रार्थना पत्र दिया। पुलिस अधीक्षक प्रशान्त वर्मा के निर्देश पर साइबर सेल प्रभारी पंकज कुमार सिंह ने भी बैंक के लीगल सेल, मुंबई शाखा तथा स्थानीय शाखा में संपर्क किया। व्यापारी के खाते में रकम वापस करने के लिए बैंक प्रबंधक से कहा। इसके बाद 22 अगस्त को बैंक ने व्यापारी के खाते में रकम ट्रांसफर की है।
व्यापार मंडल ने पुलिस अधीक्षक और साइबर सेल को व्यापारी का धन वापस दिलाने के लिए धन्यवाद दिया।
क्या कहते हैं अधिवक्ता
वरिष्ठ अधिवक्ता बशारत उल्ला खां ‘शहंशाह’ का कहना है कि डिजिटलाइजेशन के इस दौर में साइबर क्राइम बढ़ा है। ऐसे में आम नागरिक और पुलिस को अपराधी से एक कदम आगे चलना होगा। तभी इन अपराधों पर लगाम लग सकती है। पुलिस व बैंकों को इस तरह के मामलों में तेजी से अपनी जांच व विवेचना पूरी करने की जरूरत है। ऐसे प्रकरणों में बैंक पीड़ित को तत्काल राहत दिला सकता है। ऐसे मामलों में बैंक अधिकारियों की हीला हवाली से ग्राहक परेशान होते हैं। उन्हें न्यायालय तथा पुलिस की शरण लेनी पड़ती है। इस मामले में सीजेएम अदालत ने त्वरित निर्णय लेते हुए पीड़ित को राहत दिलाई। इससे अदालत के प्रति जनता का विश्वास बढ़ा है।