विश्व में लगातार हो रहा जलवायु परिवर्तन, लगातार बढ़ रहा तापमान

हिसार । हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कम्बोज ने कहा है कि विश्व में जलवायु परिवर्तन लगातार हो रहा है। 1850 से 2020 के अध्ययन में पता चला है कि 1980 से पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ रहा है। पृथ्वी के औसत तापमान में बढ़ोतरी को ही ग्लोबल वार्मिंग कहते है। वे मंगलवार को हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि मौसम विज्ञान विभाग द्वारा अनुसंधान प्रक्षेत्र में जलवायु परिवर्तन विषय पर किसान जागरूकता दिवस कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
कार्यक्रम के आयोजन में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की अहम भूमिका रही। कार्यक्रम की अध्यक्षता कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. एसके पाहुजा ने की। कुलपति ने बताया कि बीते 100 वर्षों से विश्व के औसत वायुमंडलीय तापमान में 1.08 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी हुई है, जबकि हमारे देश के तापमान में लगभग 0.5 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी दर्ज हुई है। इस कारण बारिश के समय चक्र में बदलाव आने लगा है व समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि वनस्पति व जीव जगत पर कई प्रकार के खतरे मंडराने लगे हैं। सर्वाधिक असर खेती पर पड़ेगा, क्योंकि बे-मौसमी बारिश, ओले, आंधी, तूफान अनेक मौसमी घटकों में परिवर्तन हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि पर्यावरण तथा बचाने के लिए सभी का योगदान जरूरी है, इसके लिए खेतों में अधिक से अधिक पौधारोपण करें, क्योंकि एक पेड़ अपने पूरी जीवन अवधि में एक टन कार्बन डाइक्साइड गैस को अवशोषित करता है। उन्होंने बताया कि अगर हम सचेत नहीं हुए तो इस सदी के अंत तक विश्व के सामान्य तापमान में तीन सेल्सियस तक बढऩे का अनुमान है। भारत भी इस परिवर्तन से अछूता नहीं है। दीर्घकालीन तापमान में सन् 2070 तक 1.5 से 2.0 डिग्री सैल्सियस तक बढ़ोतरी होने का अनुमान है।
कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. एसके पाहुजा ने कहा कि जलवायु परिवर्तन होने के कारण आने वाली समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए वैज्ञानिकों को ही आमजन का मार्गदर्शक बनना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि तापमान में बढ़ोतरी का सबसे ज्यादा नकारात्मक प्रभाव कृषि क्षेत्र पर ही पड़ेगा जबकि इस जलवायु परिवर्तन में किसान का योगदान ना के बराबर है।
कृषि मौसम विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ. मदन खीचड़ ने कहा कि वातावरण में कार्बनडाइक्साइड की मात्रा कम करने के लिए हमें विभिन्न उपाय करके जलवायु परिवर्तन को रोकने में अपना योगदान देना चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ी स्वच्छ वातावरण में सांस ले सकें। वैज्ञानिक डॉ. चंद्रशेखर डागर ने मंच संचालन कर मौसम का कृषि में महत्व पर प्रकाश डाला।