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राजा भैया की पत्नी भानवी कुमारी सिंह का बड़ा खुलासा- बिना वकालतनामा कोर्ट में बहस करने वाले वकीलों के विरुद्ध बार काउंसिल को लिखा पत्र

पति द्वारा रची गई साजिश में वकीलों ने अधिवक्ता अधिनियम का किया उल्लंघन

जन एक्सप्रेस संवाददाता

लखनऊ/नैनीताल।

उत्तर प्रदेश की राजनीति में ताकतवर माने जाने वाले नेता रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया एक बार फिर विवादों के केंद्र में हैं, लेकिन इस बार आरोप किसी राजनीतिक विरोधी ने नहीं, बल्कि उनकी पत्नी भानवी कुमारी सिंह ने लगाए हैं। भानवी सिंह ने आरोप लगाया है कि उनके वैवाहिक जीवन और संपत्ति से जुड़े चल रहे कानूनी मामलों में एक अनजान अधिवक्ता ने न केवल बिना वकालतनामा के उनकी ओर से बहस की, बल्कि यह सब एक पूर्व नियोजित साजिश के तहत उनके पति के इशारे पर हुआ।

“मुझे इंसाफ चाहिए, साजिश नहीं”- भानवी सिंह

भानवी सिंह ने अपने बयान में कहा है:

“जब वकील भी साजिश में शामिल हो जाएं, तो एक आम महिला को न्याय कैसे मिलेगा? बिना वकालतनामा और बिना मेरी जानकारी के, मेरी संपत्ति से जुड़े केस में बहस की गई। यह सिर्फ गैरकानूनी नहीं, बल्कि मेरे और मेरे बच्चों के अधिकारों को छीनने की खुली साजिश है।”

 

ऑडियो सबूत: कबूलनामा खुद वकील की आवाज में

इस गंभीर आरोप का आधार सिर्फ आरोप नहीं, बल्कि एक वॉइस रिकॉर्डिंग है, जिसमें अधिवक्ता भानु प्रताप सिंह स्वयं स्वीकार करते हैं कि वे राजा भैया के हित में, अधिवक्ता महेंद्र पाल सिंह के कहने पर कोर्ट में पेश हुए। खास बात यह है कि न तो भानवी सिंह ने उन्हें अधिकृत किया था, और न ही उन्हें इस बात की कोई जानकारी दी गई थी।

भानवी ने इस रिकॉर्डिंग को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर सार्वजनिक कर दिया है, ताकि जनता को भी यह सच्चाई पता चल सके। उन्होंने कहा कि यह एक महिला के कानूनी अधिकारों के खिलाफ गंभीर षड्यंत्र है।

https://x.com/BhanviKumari/status/1914874474127573387?t=Mgl8evxLr4Z6Iuvt_8kDIg&s=08

शिकायत दर्ज, बार काउंसिल तक पहुँची बात

भानवी कुमारी सिंह ने इस संबंध में बार काउंसिल ऑफ उत्तराखंड और बार काउंसिल ऑफ इंडिया को औपचारिक शिकायत भेजी है। शिकायत में उल्लेख है कि:

अधिवक्ता अधिनियम, 1961 और बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों का उल्लंघन हुआ है।

अधिवक्ता भानु प्रताप सिंह ने बिना वकालतनामा और बिना अधिकार के बहस की।

यह कार्यवाही प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के विपरीत है और प्रक्रिया की पारदर्शिता को ठेस पहुंचाने वाला है।

इस अवैध उपस्थिति से कोर्ट रिकॉर्ड में भी भ्रम की स्थिति बनी रही, और कलेक्टरेट के आदेश में उस वकील का नाम तक नहीं लिखा गया।

“मेरे बच्चों के अधिकार छीनने की साजिश है ये”

भानवी कुमारी सिंह ने कहा कि उनके पति, जो एक प्रभावशाली राजनेता हैं, लगातार अपने राजनीतिक और प्रशासनिक रसूख का इस्तेमाल कर उन्हें और उनके चार बच्चों को हाशिए पर धकेल रहे हैं।

“ये कोई अकेली घटना नहीं है। यह एक सोची-समझी रणनीति है जो मेरे खिलाफ विभिन्न मामलों-संपत्ति, वैवाहिक विवाद और बच्चों के भरण-पोषण- को प्रभावित करने के लिए रची गई है।”

 

नोटिस तक नहीं दिया गया, रिपोर्ट्स की अनदेखी

भानवी सिंह ने जिला मजिस्ट्रेट को 21 सितंबर 2022 को ईमेल भेजकर यह साफ लिखा था कि सभी कानूनी नोटिस उनके वर्तमान पते, ईमेल और व्हाट्सएप नंबर पर भेजे जाएं। लेकिन इसके बावजूद उन्हें किसी सुनवाई की जानकारी नहीं दी गई। इस दौरान कृषि, बागवानी विभाग और एसडीएम की जांच रिपोर्टें, जो उनके पक्ष में थीं, उन्हें दरकिनार कर उनकी भूमि ज़ब्त कर ली गई।

कानून क्या कहता है?

बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों के अनुसार, कोई भी अधिवक्ता बिना वकालतनामा और स्पष्ट अनुमति के किसी भी व्यक्ति का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता। ऐसा करना पेशेवर कदाचार की श्रेणी में आता है, जिसकी सजा वकील की लाइसेंस रद्दीकरण तक हो सकती है।

क्या होगा आगे?

अब जब शिकायत बार काउंसिल तक पहुँच चुकी है, और सोशल मीडिया पर मामला वायरल हो रहा है, यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वकील और राजनीतिक शक्ति के गठजोड़ पर कोई वास्तविक और निष्पक्ष कार्रवाई होती है या नहीं।

भानवी कुमारी सिंह का यह कदम उन हजारों महिलाओं की आवाज बन सकता है, जो पारिवारिक और कानूनी शोषण के खिलाफ न्याय की उम्मीद लिए बैठी हैं।

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