सीएम योगी की जीरो टॉलरेंस नीति को खुली चुनौती दे रहा गांजा तस्कर मोहित निगम
डंके की चोट पर उड़ीसा व अन्य स्थानों से गांजे की तस्करी कराकर उत्तर प्रदेश के तमाम जिलों में सप्लाई कर रहा
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युवाओं को नशे की लत लगाकर उनके भविष्य से खिलवाड़ कर रहा है शातिर
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गांजा तस्करी से कमाई अकूत संपत्ति की बदौलत वह अपने हर अपराध पर पर्दा डाल लेता है
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उसका रसूख इस कदर है कि कोई भी पुलिस अधिकारी उस पर हाथ डालने से घबरा रहा है
जन एक्सप्रेस/प्रदीप कुमार त्रिपाठी
बांदा। एक गांजा तस्कर ने जिले के पुलिस-प्रशासन को अपनी ‘जेब’ में रख लिया है। वह डंके की चोट पर उड़ीसा व अन्य स्थानों से गांजे की तस्करी कराकर उत्तर प्रदेश के तमाम जिलों में सप्लाई कर रहा है। युवाओं को नशे की लत लगाकर उनके भविष्य से खिलवाड़ कर रहा है।
गांजा तस्करी से कमाई अकूत संपत्ति के बदौलत वह वह अपने हर अपराध पर पर्दा डाल लेता है। उसका रसूख इस कदर है की कोई भी पुलिस अधिकारी उस पर हाथ डालने से घबरा रहा है। बांदा का गांजा तस्कर मोहित निगम योगी सरकार की जीरो टॉलरेंस पॉलिसी को खुली चुनौती दे रहा है।
कोतवाली नगर क्षेत्र के रहने वाले मोहित निगम करीब 15 वर्ष पहले एक छोटी सी आटो पार्ट की दुकान में अपने भाई के साथ काम करता था। लेकिन मोहित का सपना था बड़ी-बड़ी गाड़ियों में घूमना व बड़ी-बड़ी कोठियों में रहना। मोहित ने अपना मन दुकान से हटाया और कूद गया गांजा तस्करी में। पहले तो मोहित अन्य जनपदों में गांजा के ग्राहक ढूंढ ढूंढ कर उन्हें सप्लाई करने लगा और जब मोहित निगम को लगा की अब वह बड़ा तस्कर हो गया है तो उसने फतेहपुर,बांदा, हमीरपुर, चित्रकूट,महोबा में भी अपना काम फैलाना शुरू किया।
सपा, बसपा सरकारों के कार्यकाल के दौरान मोहित ने गांजा तस्करी से करोड़ों इकठ्ठा किये और फिर उन्हीं रूपयों से पुलिस की सांठगांठ की और शहर के बीचों बीच दर्जनों बिस्वा जमीन खरीदी और बड़े बड़े मकान बनाए ताकी बड़ी-बड़ी गांजा की खेप पुलिस से छिपाकर रख सके। मोहित ने गांजा तस्करी द्वारा बड़े-बड़े रिहायशी व कीमती स्थानों में जमीनें खरीद उनका निर्माण करा कर उन्नत किस्म का डेकोरेशन करवाया। पुलिस घर के अंदर न आए इसके लिए बकायदे सीसीटीवी कैमरे भी लगवाए। एक बड़ा अफसर भी पूरे कार्यकाल के दौरान भी उतनी संपत्ति नहीं अर्जित कर सकता जितनी मोहित निगम ने गांजा तस्करी से अर्जित कर ली।
भाजपा सरकार में मिली चुनौती, बाद में हो गई सेटिंग
मोहित निगम का बुरा समय तब शुरू हुआ जब प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी। सरकार बनते ही मोहित को बांदा कोतवाली पुलिस ने गांजा से भरी गाड़ी सहित पकड़ा और जेल भेज दिया। लेकिन मोहित के पैसों के चलते आगे सब कुछ मोहित के मन मुताबिक होता रहा। मोहित को जेल की दीवारें भी ज्यादा दिन नहीं रोक पायीं।
नये-नये ड्राइवर लड़कों को रूपयों का लालच देकर उनसे गांजा तस्करी कराना शुरू किया
जेल से छूटने के बाद मोहित निगम ने अपने गांजा तस्करी करने का काम थोड़ा चेंज किया। उसने ने नये-नये ड्राइवर लड़कों को रूपयों का लालच देकर उनसे गांजा तस्करी कराना शुरू कर दिया। मोहित के कहने पर ये लड़के उड़ीसा से भारी मात्रा में गांजा तस्करी करने लगे मोहित निगम बहुत ही होशियार व शातिर किस्म का अपराधी है। उसने मोबाइल फोन पर व्हाट्सएप कालिंग का इस्तेमाल कर सम्पर्क साधना शुरू किया। जिससे वह पुलिस का शिकंजा कसते ते ही या तो मैनेज कर लेता या फिर उसका नाम ही हट जाता।
रूपयों के दम पर तस्करों को जमानत पर छुड़ा लेता है
मोहित के तस्कर जब भी पुलिस पकड़ कर जेल भेजती तो मोहित तुरंत उन गांजा तस्करों को जेल से अपने रूपयों के दम पर जमानत पर छुड़ा लेता। जिससे वो मोहित की हर बात मानते। जब भी पुलिस का प्रेशर पड़ता तो मोहित अपने रूपयों से सब कुछ मैनेज कर लेता।
डीआईजी दीपक कुमार ने कसी थी नकेल
पूर्व में डीआईजी रहे दीपक कुमार ने गांजा तस्करों के खिलाफ एक अभियान चलाया था और उस अभियान के लिए उन्होंने अपनी एंटी डकैती टीम को सक्रिय कर सभी गांजा तस्करों को माल सहित जेल भेजवा दिया था। लेकिन उसी समय डीआईजी का ट्रांसफर अयोध्या होने की वजह से इन गांजा तस्करों के ऊपर गैंगस्टर जैसी कार्यवाही नहीं हो पायी। अगर डीआईजी दीपक कुमार कुछ वक्त और रह जाते तो इन गांजा तस्करों की गांजा तस्करी द्वारा अर्जित संपत्ति को भी गैंगस्टर के माध्यम से कुर्क करा देते। डीआईजी दीपक कुमार ने ट्रांसफर पर जाते समय उस समय पुलिस अधीक्षक रहे गणेश शाहा से कहा था कि गांजा व स्मैक समाज को बर्बाद करते हैं जरा ध्यान दीजिएगा। लेकिन डीआईजी के जाते ही सब कुछ पहले जैसा ही हो गया। आज तक किसी भी पुलिस अधिकारी ने इन तस्करों के खिलाफ कोई अभियान नहीं चलाया और अगर अभियान चला भी तो कोई ठोस व टिकाऊ कार्रवाई नहीं हुई। जिससे इन गांजा तस्करों की कमर टूटती। उसी की एक बानगी है मोहित निगम जिसने गांजा तस्करी के माध्यम से इतनी दौलत कमाई की वो जो चाहे कर ले। अच्छे-अच्छे ईमानदार अधिकारी भी मोहित के रूपयों के लालच में बेईमान हो गये और आज भी ये गांजा तस्कर बड़ी बारीकियों से गांजा तस्करी के काम को करता है। जिसे पुलिस को पकड़ पाना मुश्किल है और पकड़ा भी गया तो तौल के हिसाब में रूपया देकर ये गांजा तस्कर सभी आरोपों से मुक्त हो जाता है।
पुलिस रिकार्ड में फरार, हकीकत में मोहित पुलिस के सामने खुले आम घूमता है
अभी पुलिस रिकार्ड के हिसाब से मोहित निगम अप्रैल में लिखे मुकदमे में फरार है। लेकिन हकीकत में मोहित पुलिस के सामने खुले आम घूमता है। अफसोस की बात है कि बांदा पुलिस मुख्यमंत्री के आदेशों के बाद भी आज तक गैंगस्टर जैसा मुकदमा नहीं लिख पायी। दरअसल, मोहित के जाल में फंसी पुलिस फरार तस्कर मोहित को बचाने में जुटी है।
सूत्रों के अनुसार पैलानी पुलिस व एसओजी द्वारा मुकदमे में बचाने का सौदा पंद्रह लाख में तय हुआ है।