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घोसी :बीजेपी हारी यूपी का आखिरी चुनाव

सपा जीती, 'इंडिया' की बल्ले बल्ले

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जीता एक विधायक, हारे कई भावी मंत्री-अखिलेश

लखनऊ। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले उत्तर प्रदेश के आखिरी चुनाव में विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन की ओर से अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी ने सीएम योगी आदित्यनाथ की भारतीय जनता पार्टी को करारी शिकस्त दे दी है। घोसी विधानसभा सीट पर सपा के सुधाकर सिंह ने बीजेपी के दारा सिंह चौहान को 42 हजार से ज्यादा वोट के अंतर से हरा दिया है। दारा सिंह चौहान के विधानसभा से इस्तीफे के कारण ही घोसी में उपचुनाव हुआ क्योंकि 2022 के चुनाव में सपा के टिकट पर जीते चौहान ने कुछ महीने पहले विधायिकी छोड़ दी और भाजपा में शामिल हो गए।
चर्चा थी कि दारा सिंह जीते तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार में मंत्री बनेंगे लेकिन सपा ने पूर्व विधायक सुधाकर सिंह को उतारकर उन्हें पूर्व एमएलए बना दिया। इंडिया गठबंधन के गठन के बाद सपा के हाथों घोसी में बीजेपी की हार से कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के खेमे में जोश हाई है। यूपी में इंडिया गठबंधन का नेतृत्व अखिलेश और सपा के हाथ में होगा, इस बात में कोई संदेह नहीं है।बिहार के सीएम नीतीश कुमार की पहल पर भाजपा विरोधी दलों के राष्ट्रीय मोर्चे इंडिया गठबंधन में सपा भी है। घोसी उपचुनाव में कांग्रेस ने सपा कैंडिडेट के लिए वोट करने की अपील भी जारी की थी। सपा के बाकी सहयोगी दलों ने भी सुधाकर सिंह के लिए काम किया, प्रचार किया और अपील की। सपा की जीत तय दिखी तो कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने इसे इंडिया गठबंधन की जीत बताया। राय ने कहा- “हमारी अपील को घोसी की जनता ने अपने दिल में जगह दी। इस उपचुनाव में इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी की जीत इस बात का ऐलान करती है कि भाजपा की जनविरोधी नीतियों और नफ़रत के बाजार से जनता परेशान हो चुकी है। तय मानिए! 2024 में उत्तर प्रदेश की जनता ने एनडीए को विदा करने का मन बना लिया है। जीत से गदगद पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने तो ऐलान ही कर दिया कि पीडीएफ इंडिया टीम की रणनीति है और जीत का ये फॉर्मूला सफल साबित हुआ है। अखिलेश यादव ने ओम प्रकाश राजभर और दारा सिंह चौहान पर चुटकी लेते हुए कहा कि घोसी का चुनाव ऐसा अनोखा चुनाव है जिसमें विधायक तो एक जीता है लेकिन कई दलों के भावी मंत्री हार गए हैं। अखिलेश ने कहा कि घोसी की जनता ने भाजपा को ‘पचास हजारी पछाड़’ दी है। ये भाजपा की राजनीतिक ही नहीं, नैतिक हार भी है। अखिलेश के चाचा और सपा नेता शिवपाल सिंह यादव ने घोसी की जीत पर लिखा “समाजवादी पार्टी जिंदाबाद, अखिलेश यादव जिंदाबाद।”
यूपी में इंडिया गठबंधन की तीसरी बड़ी पार्टी जयंत चौधरी की राष्ट्रीय लोकदल भी घोसी में सपा की जीत से खुश है। आरएलडी ने कहा है”घोसी ने इंडिया गठबंधन को चुना है। घोसी की जनता ने वीवीआईपी कल्चर को ठेंगा दिखाते हुए उस पर साइकिल चला दी। इंडिया गठबंधन की जीत ने बता दिया है कि हर जुल्म का हिसाब होता है।” आरएलडी अध्यक्ष जयंत चौधरी ने कहा है”बड़ी जीत दर्ज करा कर इंडिया गठबंधन का हौसला बढ़ाने के लिए घोसी, उत्तर प्रदेश के मतदाताओं को धन्यवाद! अखिलेश यादव को बधाई!”यूपी के अंदर 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत के बाद से हताश और निराश चल रहे विपक्ष में घोसी में सपा की जीत ने एक तरह से लोकसभा चुनाव से पहले जान भर दी है। विपक्ष को लगने लगा है कि इंडिया गठबंधन के जरिए विपक्षी पार्टियां एकजुट रहें और वोट ट्रांसफर कर सकें तो बीजेपी को हराया जा सकता है। जीत ने अखिलेश यादव को इंडिया गठबंधन के अंदर सीट बंटवारे में और ताकत दे दी है। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी और अपना दल- सोनेलाल गठबंधन ने 80 में 64 सीट जीती थी। सपा, बसपा और आरएलडी गठबंधन को 15 सीट मिली जिसमें सपा के 5 और बसपा के 10 सांसद थे। कांग्रेस से एक सीट सोनिया गांधी जीती थीं।बदले हुए समीकरण में मायावती अलग हैं।  दलित वोट पर बीजेपी के साथ अखिलेश की भी नजर है।
अखिलेश यादव ने पीडीए का नारा दिया है जिसे घोसी की जीत के बाद उन्होंने जीत के फॉर्मूले का सफल होना करार दिया है। पीडीए मतलब पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक। पिछड़ा और दलित वोट पर बीजेपी की भी पकड़ है और उसने अनुप्रिया पटेल, ओम प्रकाश राजभर, संजय निषाद समेत कई छोटी पार्टियों के नेताओं को अपने साथ कर रखा है जो जातीय वोट का मामला संभाल सकें।घोसी में बसपा ने कैंडिडेट नहीं दिया था और चुनाव से एक दिन पहले पार्टी ने अपने समर्थकों से वोट ना करने और करने पर नोटा का बटन दबाने कहा था। अब ये तो पता नहीं कि बसपा वालों ने वोट किया या नहीं लेकिन नोटा पर मात्र 1725 वोट आया। सपा कह सकती है कि बसपा का दलित वोट उसकी तरफ आ गया क्योंकि 2022 के चुनाव के मुकाबले उसकी जीत का मार्जिन इस बार बढ़ गया है। लेकिन घोसी में अगर सच में दलित वोट सपा की तरफ आए हैं तो यह मायावती और बीजेपी दोनों के लिए सतर्क होने का समय है।इंडिया गठबंधन की मुंबई में तीसरी मीटिंग के बाद सीट शेयरिंग पर बातचीत शुरू हो चुकी है। सीट की मांग और दावे शुरू हो चुके हैं। यूपी में इस पर बात नहीं हो रही थी। शायद घोसी चुनाव का इंतजार था। नतीजा आ चुका है और सपा के हौसले बुलंद हैं। सपा की जीत से इंडिया गठबंधन के बाकी दलों का हौसला भी हाई है। अखिलेश यादव पिछड़े, दलितों और अल्पसंख्यकों को केंद्र में रखकर लोकसभा चुनाव की रणनीति तो बना लेंगे लेकिन असली चुनौती होगी कांग्रेस और आरएलडी के लिए सम्मान के साथ सीटों का बंटवारा।

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