देश

आयोग के फैसले पर पद छोड़ सकते हैं हेमंत सोरेन

Listen to this article

रांची: संवैधानिक और संसदीय विशेषज्ञों की राय है कि सोरेन को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ सकता है यदि चुनाव आयोग की रिपोर्ट में राज्यपाल से यह सिफारिश की गई है कि उन्हें ‘लाभ के पद के कारण राज्य के सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित किया जाए।’ लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि अगर उनकी पार्टी उन्हें फिर से फ्लोर लीडर के रूप में नामित करती है, तो उनके सीएम बनने पर कोई कानूनी रोक नहीं हो सकती।

लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी आचार्य ने कहा, ‘उन्हें विधानसभा से अयोग्य घोषित किया जा सकता है। लेकिन वह तब भी मुख्यमंत्री या मंत्री बने रह सकते हैं यदि उनकी पार्टी उन्हें इस पद के लिए चुनती है। हमारा संविधान एक गैर-निर्वाचित मंत्री को अधिकतम छह महीने तक सत्ता में रहने की अनुमति देता है। इसलिए, यदि उन्हें छह महीने से अधिक समय तक सत्ता में रहना है, तो उन्हें उपचुनाव लड़ना और जीतना होगा।’

फिलहाल यह बात स्पष्ट नहीं है कि चुनाव आयोग ने अपनी रिपोर्ट में सोरेन को लंबी अवधि तक चुनाव लड़ने से रोकने को लेकर कोई सिफारिश की है या नहीं। संविधान के अनुच्छेद 75(5) के अनुसार, एक मंत्री जो लगातार छह महीने तक किसी भी सदन का सदस्य नहीं हो, उस अवधि के समाप्ति होने पर मंत्री पद पर नहीं रह सकता। कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी को लगता है कि सोरेन को इस स्थिति में लड़ना चाहिए और वे आयोग की रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं।

चुनाव आयोग ने लाभ के पद की शिकायत पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को अयोग्य घोषित करने की सिफारिश की है। ईसी ने एक सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट राज्यपाल रमेश बैस को भेजी है। सोरेन पर आरोप है कि सीएम होने के बावजूद उन्हें रांची के अनगड़ा प्रखंड में खनन पट्टा आवंटित किया गया है। यह पहली बार नहीं है जब किसी विधायक को कथित रूप से लाभ के पद की वजह से अयोग्य घोषित किया गया है।

Show More

Related Articles

Back to top button