चित्रकूट
रानीपुर टाइगर रिजर्व में पत्थर का अवैध खनन जोरों पर,वन अमला उदासीन

- प्रतिबंधित क्षेत्र में धड़ल्ले से अवैध खनन को दिया जा रहा अंजाम
- वीडियो बनता देख भागा वन रक्षक, वनकर्मियों की भूमिका संदिग्ध
विशेष रिपोर्ट -सचिन वन्दन
चित्रकूट।
वन एवं ग्राम समाज भूमि से अवैध तरीके से पत्थर तोड़कर व्यापार किया जा रहा है। रानीपुर टाइगर रिजर्व के मारकुंडी वनक्षेत्र के जंगलों में अवैध तरीके से पत्थरों का कारोबार किया रहा है। बावजूद जिम्मेदार अपनी आंखों में पट्टी बांधकर चुपचाप बैठे हैं। जिसके चलते जिले में वन एवं पर्यावरण को काफी नुकसान हो रहा है। बावजूद इसके प्रशासन इस पर अंकुश नहीं लगा पा रहा है। मारकुंडी थाना क्षेत्र में अवैध पत्थर खनन का कारोबार जोरों पर है। चाहे वन क्षेत्र की भूमि हो या ग्राम समाज की हर जगह पत्थरों की खदानें चल रही हैं। इस कारोबार में लगे पत्थर चोर करोड़ों रुपये की कमाई कर रहे हैं। इन दिनों रानीपुर टाइगर रिजर्व क्षेत्र में पत्थर का अवैध कारोबार जोरों पर है। मारकुंडी रेंज के डोड़ामाफी के धन्यावा, डगरबिला, इमिलिहा खोहरा, लखनपुर, भवनिहा खेर आदि जंगलों से रात दिन पत्थरों का ढुलान चल रहा है। इसमें पुलिस और स्थानीय वन कर्मियों की भूमिका संदिग्ध है। क्योंकि रात्रि में तो ट्रैक्टर द्वारा पत्थरों का अवैध ढुलान होता ही दिन के उजाले में भी अवैध कारोबार को अंजाम दिया जा रहा है।
वीडियो बनता देख भागे वन रक्षक और ट्रैक्टर चालक
सबसे खास बात तो यह है कि, जिस दौरान ट्रैक्टर जंगल के अंदर पत्थर लोड कर रहा था,उस दौरान वहां से सिर्फ सौ मीटर दूर मारकुंडी रेंज प्रथम में तैनात वन रक्षक भी मौजूद था। जैसे ही ग्रामीणों द्वारा इस नज़ारे का वीडियो बनाना प्रारंभ किया तो ट्रैक्टर चालक ट्रैक्टर लेकर और वन रक्षक अपनी मोटरसाइकिल से भाग निकले। उल्लेखनीय है कि रविवार को जब स्थानीय ग्रामीणों द्वारा मौके पर पहुंच इस खेल का नजारा अपने कैमरे में कैद किए जाने की कोशिश की तो ट्रैक्टर चालक को बंधक लगते ही तेज रफ्तार के साथ भाग खड़ा हुआ। फिर भी ग्रामीणों ने अपने मोबाइल में इस भ्रष्टाचार को कैद किया है।
ठेकेदारों को सप्लाई किए जा रहे अवैध पत्थर
वन एवं ग्राम समाज भूमि से अवैध तरीके से पत्थर तोड़कर लघु सिंचाई विभाग से खेतों में बनाए जा रहे कूप ठेकेदारों को सप्लाई की जा रही है। यह खेल दिन और रात बराबर चलता है। हर रोज दर्जनों ट्रैक्टर पत्थरों का परिवहन किया जाता है। जिससे वन एवं पर्यावरण का संतुल न बिगड़ रहा है। बावजूद इसके प्रशासन इस पर अंकुश नहीं लगा पा रहा है। विदित हो कि इस धंधे में लगे लोग कल तक कमीशन पर लोगों को पत्थर उपलब्ध कराते थे। आज वे इस अवैध धंधे का पूरा लाभ उठा रहे है।
डोड़ामाफी के धन्यावा जंगल में चल रही खदान
रोजाना 10 से 15 ट्रैक्टरों से पत्थर की ढुलाई की जा रही।मारकुंडी रेंज के डोड़ामाफी के धन्यावा, डगरबिला, इमिलिहा खोहरा, लखनपुर, भवनिहा खेर आदि के आसपास स्थित वन भूमि व ग्राम समाज भूमि पर पत्थर तोड़ने का काम किया जाता है। प्रतिदिन कई ट्रैक्टर पत्थर विभिन्न स्थानों के लिए ले जाते हैं। ये पत्थर नजदीकी ठेकेदारों में खपाए जाते हैं। इसका सबसे अधिक उपयोग कूप निर्माण में किया जा रहा है। इसके अलावा घरों के लिए नींव एवं गिट्टी के रूप में होता है। सबसे अधिक धन्यावा जंगल में खनन किया जा रहा है।
धड़ल्ले से किया जा रहा पत्थर का अवैध कारोबार
पत्थर चोरों द्वारा अवैध रूप से पत्थर ढोने का काम सुबह से लेकर देर रात तक अनवरत जारी रहता है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यह अवैध कारोबार स्थानीय पुलिस व वन कर्मियों की मिलीभगत से होता है। पत्थरों की चोरी करने के एवज में सभी को बंधी बंधाई रकम दी जाती है। सेटिंग हो जाने के बाद चोर पत्थर की बेधड़क ढुलाई करते हैं। अवैध पत्थर के कारोबार में लगे पत्थर चोर आर्थिक रूप से मजबूत हो चुके हैं तथा राजनीतिक रूप से भी अपनी पहुंच बनाए हुए हैं।
सिर्फ नाम के लिए बनी अवैध खनन रोकने की स्पेशल टीम
जिले में अवैध खनन व अवैध परिवहन के खिलाफ बनाई गई टीम निष्क्रिय साबित हो रही है।स्पेशल टास्क फोर्स के गठन के बाद भी दिनदहाड़े अवैध खनन कारोबार को अंजाम दिया जा रहा है। कुछ मामलों को छोड़कर टीम द्वारा अवैध खनन पर नियंत्रण के लिए कोई खास पहल नहीं की गई है। केवल दिखावेबाजी और खानापूरी के बाद टीम द्वारा इस दिशा में पहल नहीं की गई। जबकि पत्थर चोरों का अवैध कारोबार खूब फलफूल रहा हे।