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अपने आखिरी जजमेंट में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने बुलडोजर एक्शन की कड़ी निंदा की

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सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने आखिरी जजमेंट में बुलडोजर एक्शन की कड़ी निंदा की उन्होंने कहा कि कानून के शासन में बुलडोजर के जरिए न्याय स्वीकार्य नहीं है. किसी की संपत्ति को नष्ट करके उसे न्याय नहीं दिया जा सकता है बुलडोजर चलाने की धमकी देकर लोगों की आवाज को दबाया नहीं जा सकता यह कानून की नजर में सही नहीं है. इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने कहा कि बुलडोजर के जरिए न्याय करना किसी भी सभ्य न्याय व्यवस्था का हिस्सा नहीं हो सकता. तीन जजों की बेंच ने कहा कि अवैध या गैरकानूनी अतिक्रमणों को हटाने के लिए कार्रवाई करने से पहले राज्यों को उचित कानून प्रक्रिया का पालन करना चाहिए बुलडोजर जस्टिस स्वीकार्य नहीं है।

CJI ने दिया अनुच्छेद 300ए का हवाला
सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि अगर इसकी अनुमति दे दी गई तो अनुच्छेद 300ए के तहत संपत्ति के अधिकार की संवैधानिक मान्यता समाप्त हो जाएगी संविधान के अनुच्छेद 300ए में कहा गया है कि किसी भी व्यक्ति को कानून के प्राधिकार के बिना उसकी संपत्ति से वंचित नहीं किया जाएगा दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के महाराजगंज में हुए बुलडोजर एक्शन पर अपना फैसला सुनाया था इस दौरान शीर्ष अदालत ने योगी सरकार को फटकार लगाई थी कोर्ट ने यूपी सरकार को मुआवजा देने का भी आदेश दिया था।

जिसका घर तोड़ा है उसे दें 25 लाख- CJI
योगी सरकार के बुलडोजर एक्शन पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि आप इस तरह लोगों के घरों को कैसे तोड़ना शुरू कर सकते हैं? किसी के घर में घुसना अराजकता है यह पूरी तरह से मनमानी है उचित प्रक्रिया का पालन कहां किया गया है? चीफ जस्टिस ने कहा कि हमारे पास हलफनामा है, जिसमें कहा गया है कि कोई नोटिस जारी नहीं किया गया था आप केवल साइट पर गए थे और लोगों को सूचित किया था क्या इससे न्याय का उद्देश्य पूरा होगा? चंद्रचूड़ ने कहा कि जिसका घर तोड़ा है उसे 25 लाख रुपए का मुआवजा दे।

 

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