मिड डे मील कन्वर्जन कास्ट में वृद्धि नाकाफी, ऊंट के मुंह में जीरा
जन एक्सप्रेस, बस्ती:
दिलीप उपाध्याय/सोनू पाठक– लगातार बढ़ती महंगाई और शिक्षक संघ की विरोध को देखते हुए केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने मध्यान्ह भोजन (मिड डे मील) के परिवर्तन लागत (कन्वर्जन कास्ट) में मामूली बढ़ोतरी तो की है, लेकिन इसको लेकर शिक्षक संघ इस बढ़ी हुई मामूली परिवर्तन लागत को लेकर विरोध में है, शिक्षक संघ इस मामूली वृद्धि को ऊंट के मुंह में जीरा बताते हुए विरोध जारी रखने का ऐलान कर रहे हैं। केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने प्राइमरी स्तर पर परिवर्तन लागत 5.45 से 6.19 व उच्च प्राइमरी में 8.17 से 9.29 रुपए कर दिया है, प्राइमरी स्तर पर महज 74 पैसे की मामूली वृद्धि हुई है व उच्च प्राथमिक स्तर पर एक रुपए 1.12 पैसे प्रति विद्यार्थी की दर से वृद्धि की गई है। जबकि सरकार द्वारा समूह के माध्यम से हर बृहस्पतिवार को चना या टिक्की दिया जा रहा है जिसके लिए प्रति बच्चों को 5 रुपया दिया जा रहा है।
मिड डे मील की व्यवस्था को किसी एनजीओ को दिया जाए
वहीं उत्तर प्रदेश के प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला उपाध्यक्ष व सदर अध्यक्ष शैल शुक्ल का कहना है कि एमडीएम की परिवर्तन लागत बढ़ाने की मांग को लेकर कई बार जिलाधिकारी, बेसिक शिक्षा अधिकारी को ज्ञापन दिए, प्रदेश स्तर पर भी मामला उठाया गया लेकिन परिवर्तन लागत में मामूली वृद्धि ही की गई जो अभी भी नाकाफी है। क्योंकि गैस सिलेंडर 930 रुपया रिफाइंड मसाले वह अन्य खाद ब्रांडेड यूज करने पड़ते हैं। इस महंगाई में भी फल के लिए मात्र चार रुपए प्रति विद्यार्थी मिलते हैं जिसमें एक केला भी नहीं मिलता है, इसको लेकर शिक्षक परेशान है। संगठन की मांग है कि मिड डे मील व्यवस्था को किसी एनजीओ को दे दिया जाए जिससे शिक्षक सिर्फ शिक्षण कार्य में ही ध्यान दें पाए।
सरकार के दावे झेठे साबित हो रहे
प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला कोषाध्यक्ष अभय यादव का कहना है की परिर्वतन लागत में इतनी कम बढ़ोतरी करना परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों और शिक्षकों के साथ मजाक जैसा है। एक तरफ सरकार विद्यार्थियों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने के लिए तमाम दावे करती है, वहीं परिवर्तन लागत में इतनी कम वृद्धि करना उनके साथ सरासर नाइंसाफी है। ऐसे में शिक्षक सबसे ज्यादा परेशान होगा क्योंकि उसे गुणवत्ता पूर्ण भोजन उपलब्ध कराने में पहले की तरह परेशानी आती रहेंगी। संजय कुमार शुक्ल एडी बेसिक ने कहा कि मध्यान भोजन के लिए जो राशि शासन द्वारा निर्धारित है उसी में विद्यालयों में गुणवत्तायुक्त भोजन बनाना है। कनवर्जन कास्ट निर्धारण मामला शासन स्तर का है। जिसकी दरें समय-समय पर शासन स्तर से बढ़ती रहती हैं।