एसजीपीजीआई की जांच है या ‘बीरबल की खिचड़ी’
जांच रिपोर्ट के इंतजार में भटक रहा कार्डियोलॉजी विभाग से निकाला गया आउटसोर्सिंग नर्सिंग स्टाफ का संजय सिंह
जन एक्सप्रेस/लखनऊ। एसजीपीजीआई के कार्डियोलॉजी विभाग में तत्कालीन चीफ नर्सिंग ऑफिसर (सीएनओ) कौशल्या देवी रस्तोगी द्वारा कथित तौर पर आर्थिक शोषण की शिकायत करने वाले आउटसोर्सिंग मेल नर्स संजय सिंह को अभी भी जांच रिपोर्ट का इंतजार है। आरोपी कौशल्या देवी का रिटायरमेंट 6 महीने बाद हो जाएगा। जांच शुरू हुए लगभग 3 महीने पूरे होने को हैं लेकिन अभी तक जांच रिपोर्ट नहीं आई है। सवाल उठता है कि इतने समय में भी जांच रिपोर्ट न आना क्या शिकायतकर्ता के साथ अन्याय नहीं है।
दरअसल, संजय सिंह 21 मई 2019 से एसजीपीजीआई लखनऊ में आउटसोर्सिंग के माध्यम से स्टाफ नर्स के पद पर कार्यरत थे। उनका ट्रांसफर अगस्त में न्यू ओपीडी कार्डियोलॉजी ईसीजी में हुआ था। संजय के अनुसार उस समय इंचार्ज कौशल्या देवी रस्तोगी (केडी रस्तोगी) थीं, जो काम न करने के बावजूद भी उनकी पूरी सैलरी अपनी पॉवर से उनके खाते में भिजवा देती थीं और कहती थीं कि संजय ने जो सैलरी उनकी बदौलत पाई है उस सैलरी में से आधी सैलरी उन्हें दे दो नहीं तो वह उसे नौकरी से निकलवा देंगी।
नौकरी खोने के डर से संजय इंचार्ज पद पर तैनात कौशल्या देवी रस्तोगी (केडी रस्तोगी) को कई बार सैलरी देता चला गया। आजिज आकर जब उसने इसका विरोध किया तो कौशल्या देवी रस्तोगी ने संजय को झूठे व फर्जी कार्यकलाप बताकर नौकरी से निकलवा दिया।
फैक्ट फाइंडिंग कमेटी को सौंपी गई थी जांच
इस संबंध में संजय ने एएसजीपीजीआई के निदेशक को शिकायती पत्र देकर न्याय की मांग की थी। इस पर निदेशक ने फैक्ट फाइंडिंग कमेटी को जांच सौंपी थी। लम्बा समय बीतने के बाद भी अभी संजय को न्याय का इंतजार है। कहीं जांच और लंबी चली तो आरोपी कौशल्या देवी रिटायर न हो जाएं और संजय सिंह छला महसूस करता रह जाए।
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