लखीमपुर खीरीविचार

पत्रकार पत्रकारिता की ओर नहीं दे रहे ध्यान फर्जी लोग पत्रकारिता की आड़ में कर रहे अवैध कारोबार 

पुलिस पर बेवजह बनाते हैं दबाव खबरों की धमकी दे अपना काम कराने में माहिर यह पत्रकारों का नाम न सूचना विभाग में दर्ज नही गाड़ी पर प्रेस लिख कार्ड टांग कर ठगने वाले से जनता परेशान।

जन एक्सप्रेस/सुनहरा
लखीमपुर खीरी। पत्रकार पत्रकारिता नहीं कर रहे खिलवाड़ जैसा की काफी ग़लत लगता है हर गाड़ी पर प्रेस लिखा और जब यह पत्रकार खबर किसी ग्रुप डालते हैं तो ग्रुप में जुड़े लोग जान जाते हैं कौन पत्रकार डाल रहा है। कौन सी खबर है। जैसे कुकुरमुत्ते की तरह खुले हैं हॉस्पिटल लकड़ कट्टों ने काट डाले हरे भरे पेड़ लेखपाल का भ्रष्टाचार ग्राम प्रधान सिक्रेटी के संग मिल कर रहे धन उगाही इन सेटिंग खबरों के शिवा कोई खबरे नहीं हजारों फरियादी न्याय के लिए दर दर भटक रहे उनका दर्द कोई पत्रकार नहीं देखता पत्रकारों का प्राइवेट हास्पिटल मन पसंद मुद्दा है अनट्रेंड नर्स फला फला खबरें प्रकाशित करना पैसा मिल गया खबर बंद, अगर आप पत्रकार हैं हॉस्पिटल का रजिस्ट्रेशन नहीं है। अनट्रेंड नर्स हैं, आप लगातार खबरें निकाले जब तक वह हॉस्पिटल सील ना हो जाए, तब तक आप पत्रकारिता का लोहा मनाएं लेकिन ऐसा कुछ नहीं हरे भरे पेड़ों पर चल रहा है आरा।
जेब में पैसा आ गया आरा चलता रहा खबर बंद, तहसील प्रशासन भ्रष्टाचार में डूबा पत्रकारों का काम बना दिया भ्रष्टाचार से बाहर निकल आया किसी दरोगा पुलिस वाले ने नहीं सुना तो खबर काफी पत्रकार चौकी थाने में बैठकर चाटुकारिता करने लगे इंस्पेक्टर बहुत बढ़िया तेजतर्रार खबर प्रकाशित चौकी थानों में मुखबिर का काम छीन लिया है पत्रकारों ने कोतवाली में खड़े होकर पर फरियादी को तलाशते हैं या लॉकअप में बंद लोगों को छुड़ाने के लिए के परिजनों से जोड़-तोड़ करते हैं अगर देखा जाए इन पत्रकारों ने पुलिस का काम बड़ा आसान कर दिया है।
पुलिस की नजरों में इन पत्रकारों की कोई भी वैल्यू नहीं है। पुलिस की चाटुकारिता की खबरें बहुत जल्दी अपडेट खबर लग जाती फरियादी की नहीं पुलिस का उत्पीडन झेल रहे लोगों से इनका न कोई वास्ता न कोई सरोकार आए दिन पुलिस ने दुर्व्यवहार पत्रकार की बात नहीं मानी उसे धमकाया यह भी बात आए दिन सामने आती हैं सच्चाई यह होनी चाहिए अगर आप में दम है आपकी पत्रकारिता में दम है ना खाकी की हिम्मत है जो आपको भगाएं आपको धमकाए ना किसी प्रशासनिक अधिकारी मे इतनी हिम्मत है जो कि स्वच्छ पत्रकारिता पर चोट करना किसी भी प्रशासनिक अधिकारी हो पुलिस का हो हिम्मत नहीं रोज-रोज चौकी थानों में खड़े पुलिस वालों की आंखों की किरकिरी बनते हैं पत्रकार इन्हें देखते ही मन ही मन गाली देते हैं पुलिस वाले आ गए दलाल ऊपर मक्खन लगा पुलिस वाले पूछते हैं क्या है। भाई इतना सुन  अपने आप को हिटलर सबसे ज्यादा पावरफुल समझने वाले पत्रकार कभी अपने गिरेबान में झांके तो पता चले वह क्या कर रहे है।
एक पोर्टल बनवा लिया बन गये चीफ़ इन एडीटर यहां तक देखा जाता है जो मोबाइल में ब्लाग बनवा कर करवाचौथ की तरह रंग पोत कर ऐसे खबरे चलाते देख मन काफी दुःखी होता ऐसा कोई भी कर सकता क्या आप साबित कर सकते हैं आप पत्रकार हैं सूचना अधिकारी को इस ओर ध्यान देना चाहिए अनेकों फोर व्हीलर टू व्हीलर के कागज समाप्त हो गए हैं प्रेस लिखकर खुले आम चल रही कोई जांच नहीं अनेकों गाड़ी में नम्बर प्लेट नहीं ज्यादा तर पत्रकारिता का इस्तेमाल अवैध कार्य के लिए हो रहा जिसके दबाव में न पुलिस ने कोई अधिकारी इनके विरुद्ध कार्रवाई करने से डर रहे कुछ किया अपडेट चालू यह पत्रकार किसी का नाम व उसकी छवि कब धूमिल कर दे कोई भरोसा नहीं अपने काम अपने स्वार्थ के लिए जबकि बिना सुबूत आप किसी का नाम नहीं डाल सकते आप पर भी कानून लागू है आप ग़लत करेंगे आप भी फसेगे इससे बेखबर है पत्रकार इनको बर्बाद करने मे अधिकारी पुलिस का हाथ है इनकी हां हुजूरी करने से यह अपने आपको बहुत पावरफुल समझते हैं जिसका खामियाजा अन्य लोग भुगतते है।

JAN EXPRESS

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