मध्यप्रदेश

ज्योतिरादित्य सिंधिया कभी नहीं बन पाएंगे मुख्यमंत्री

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इंदौर। मध्य प्रदेश की सियासत हमेशा से राजनीतिक दलों और नेताओं को चौंकाने वाली रही है। ऐसे में सरकार के गठन में निर्णायक भूमिका अदा करने वाले आदिवासी वोट बैंक को लेकर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के बीच खींचतान चल रहा है। प्रदेश की 230 सीटों वाली विधानसभा में 47 सीटें आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हैं और पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 30 सीटों पर सीधे कब्जा कर लिया था। खैर वो बात अलग है कि 14 महीने के वनवास के बाद शिवराज सिंह चौहान की वापसी हुई थी और इसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया ने निर्णायक भूमिका निभायी थी।

इसी बीच ज्योतिरादित्य सिंधिया के पुराने साथी रहे कांग्रेस नेता सज्जन सिंह वर्मा ने बड़ा दावा किया। उन्होंने कहा कि ज्योतिरादित्य सिंधिया कभी मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री नहीं बन पाएंगे। उन्होंने इसके पीछे भाजपा के इतिहास का हवाला देते हुए कहा कि सत्तारूढ़ दल ओबीसी या फिर आदिवासी नेता को ही मौका देगी।

सिंधिया ने निभायी थी अहम भूमिका

साल 2018 में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार का गठन हुआ था। लेकिन 14 महीने बाद मार्च 2019 में कोरोना महामारी की शुरुआत के वक्त कांग्रेस की सरकार गिर गई और इस सरकार को भाजपा ने ज्योतिरादित्य सिंधिया की मदद से एक झटके में गिरा दिया था और फिर चुनाव गंवाने वाली भाजपा को एक बार फिर से प्रदेश की सत्ता मिल गई और शिवराज सिंह चौहान की ताजपोशी हुई। इसके अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थको को भी भाजपा में काफी मान और प्रतिष्ठा मिली।अगले साल मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि भाजपा ज्योतिरादित्य सिंधिया को भविष्य में मध्य प्रदेश की जिम्मेदारी सौंप सकती है। हालांकि इसका कोई औपचारिक ऐलान नहीं हुआ। इसी बीच कांग्रेस नेता सज्जन सिंह वर्मा ने बड़ा दावा कर दिया कि भाजपा कभी भी ज्योतिरादित्य सिंधिया को मुख्यमंत्री नहीं बनाएगी। उन्होंने कहा कि मैं जितना भाजपा के निर्णयों को जानता हूं पार्टी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के दबाव में फैसला करती है।

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