उत्तर प्रदेश

ज्योतिराव फुले समाज सुधारक ही नहीं क्रांति पुरुष भी थे : सपा

प्रयागराज । महात्मा ज्योतिराव गोविन्दराव फुले एक भारतीय समाज सुधारक, समाज प्रबोधक, विचारक, समाजसेवी, लेखक, दार्शनिक तथा क्रांति पुरुष थे। उनके कार्यों को प्रमाण मानकर उन्हें महात्मा की उपाधि दी गई। ‘सत्य शोधक समाज’ नामक संगठन तैयार कर उन्होंने समाज में फैली जातीय असमानता को दूर करने, महिला शिक्षा को बढ़ावा देने सहित तमाम ऐसे कार्य किये जो भारत की तत्कालीन व्यवस्था परिवर्तन में मील का पत्थर साबित हुए।

उक्त विचार समाजवादी पार्टी के जिला कार्यालय जार्ज टाउन में मंगलवार को ज्योतिबा का जन्मदिन मनाते हुए सपा नेताओं ने उनके चित्र पर फूल अर्पित करने के उपरांत व्यक्त किया। जिलाध्यक्ष गंगापार अनिल यादव एवं यमुनापार पप्पू लाल निषाद ने उनके आदर्शो सिद्धांतों की चर्चा करते हुए कहा कि उनके विचारों से भारत में क्रांति आईं, जिसकी मशाल आज भी जल रही है। महिलाओं की शिक्षा को लेकर अपनी पत्नी को देश की पहली महिला शिक्षिका होने का गौरव दिलाया।

पुणे में पहला स्कूल खोलकर लड़कियों की शिक्षा के क्रांति बीज बोये जो निरंतर आगे बढ़ रहा है। 11 अप्रैल 1827 में पिता गोविन्द राव एवं माता चिमन बाई के कोख में जन्मे इस पुत्र ने दृढ इक्षा शक्ति का वह उदाहरण पेश किया जो मिशाल बन गया। उनकी पत्नी सावित्री बाई फुले ने अपना समर्पण और सहयोग देकर इसे आगे बढ़ाया।

पूर्व जिला प्रवक्ता दान बहादुर मधुर ने कहा कि ज्योतिबा फुले जाति आधारित विभाजन और भेदभाव के विरुद्ध थे। कुप्रथा, अंधश्रद्धा से समाज को मुक्त कराने में अपना जीवन समर्पित कर दिया। उन्होंने गुलामगिरि सहित कई पुस्तकों में समाज की दशा और दिशा का वर्णन किया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button