उत्तरकाशीउत्तराखंड

खीर गंगा ने वापस लिया अपना क्षेत्र, धराली में तबाही मानव की गलती: इसरो की सैटेलाइट तस्वीरों से खुलासा

कार्टोसेट-3 उपग्रह की तस्वीरों से साफ हुआ सच, मलबा खीर गंगा के मूल जलग्राही क्षेत्र में ही पसरा

जन एक्सप्रेस संवाददाता, उत्तरकाशी। उत्तरकाशी जनपद के धराली क्षेत्र में हाल ही में आई भीषण आपदा ने जहां जनजीवन को झकझोर कर रख दिया, वहीं इसरो की सैटेलाइट तस्वीरों ने इस तबाही के पीछे छिपी सच्चाई को सामने लाकर रख दिया है। खीर गंगा ने दरअसल अपने ही मूल जलग्राही क्षेत्र को फिर से अपना लिया है—एक ऐसा क्षेत्र, जिसे इंसान ने अपने कब्जे में ले रखा था।

प्राकृतिक क्षेत्र में अतिक्रमण बना तबाही की जड़

वरिष्ठ भूविज्ञानी प्रो. एमपीएस बिष्ट, जो एचएनबी गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभाग के प्रमुख हैं, का मानना है कि धराली की त्रासदी पूरी तरह मानवजनित भूल है। उन्होंने बताया कि श्रीकंठ ग्लेशियर से आने वाला जलधारा क्षेत्र 50 से 100 मीटर तक फैला है, और वर्षों पहले इसी क्षेत्र में आया मलबा अब फिर से उसी जगह पर लौट आया है। प्रो. बिष्ट ने चेतावनी दी कि खीर गंगा के मूल जलग्राही क्षेत्र में दोबारा किसी भी प्रकार का निर्माण विनाशकारी हो सकता है। सरकार को चाहिए कि वह इस पूरे क्षेत्र की सैटेलाइट आधारित मैपिंग करवाकर इसे निर्माण निषिद्ध क्षेत्र घोषित करे।

धरती की चेतावनी: प्रकृति कभी भी अपना क्षेत्र वापस ले सकती है

इसरो द्वारा जारी कार्टोसेट-3 उपग्रह की 13 जून और 7 अगस्त 2025 की सैटेलाइट छवियों में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि मलबा ठीक खीर गंगा के उसी मूल क्षेत्र में पसरा है, जिसे दशकों पहले इंसानी बस्तियों ने ढक दिया था। इसका अर्थ यह निकाला जा सकता है कि खीर गंगा अपने पुराने, प्राकृतिक रास्ते पर लौट आई है। हर्षिल घाटी, जो धराली से मात्र एक किलोमीटर दूर है, भी इसी तरह की भूगर्भीय संरचना में स्थित है। वहां कोई जन बस्ती नहीं थी, इसीलिए नुकसान भी नहीं हुआ। यह एक उदाहरण है कि प्रकृति जहां खुली होती है, वहां वह संतुलित भी रहती है।

क्या है कार्टोसेट-3?

कार्टोसेट-3 इसरो का अत्याधुनिक पृथ्वी अवलोकन उपग्रह है, जिसकी कुछ प्रमुख विशेषताएं हैं:

पैनक्रोमैटिक रेजोल्यूशन: 0.25 मीटर (25 सेमी), विश्व के सबसे उच्च रेजोल्यूशन उपग्रहों में से एक

मल्टीस्पेक्ट्रल रेजोल्यूशन: लगभग 1 मीटर, जिसमें चार स्पेक्ट्रल बैंड होते हैं

अनुप्रयोग:

नगरीय और ग्रामीण योजना

आपदा प्रबंधन

सीमा सुरक्षा और रक्षा निगरानी

संसाधन प्रबंधन एवं पर्यावरणीय निगरानी

सबक: प्रकृति की राह में अड़चन नहीं, समझदारी चाहिए

धराली की घटना मानव समाज के लिए एक चेतावनी है कि प्रकृति का रास्ता रोका नहीं जा सकता। इसरो की तकनीकी क्षमता और वैज्ञानिकों की गहराई से की गई समीक्षा ने यह साफ कर दिया है कि अब भविष्य में इसी प्रकार की आपदाओं से बचने के लिए स्थायी समाधान खोजने होंगे।प्रकृति को समझना और उसके अनुरूप विकास करना ही अब समय की मांग है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button