नालों के विकास के नाम पर खानापूर्ति , नालों के अनुरक्षण और मरम्मत की जरूरत

जन एक्सप्रेस/गाजियाबाद : गाजियाबाद नगर निगम वसुंधरा जोन में विकास के नाम पर खानापूर्ति शुरू है। बड़े-बड़े नालों की सफाई कराने की बार-बार शिकायत के बाद कुंभकर्णी निद्रा टूटती है। लेकिन उन्हीं नालों के मूल अस्तित्व की खत्म होती तस्वीर को अधिकारी और कर्मचारी नहीं देख पा रहे है । अरूणिमा पैलेस के सामने नाला हो या सेक्टर 1 ग्रीन बेल्ट से सटा बड़ा नाला दोनों ही नालों के अस्तित्व पर संकट के बादल छाएं हैं। जगह-जगह से प्लास्टर झड़ने के बाद उनकी ईंट अब गिरने शुरू हो गए हैं। जिससे नालों का स्वरूप भी बदलने लगा है। समय रहते अगर इन नालों का अनुरक्षण नहीं हुआ तो सेक्टर 4 और सेक्टर 1 के निवासियों को आने वाले समय में भारी कठिनाइयों का सामना उठाना पड़ सकता है।
सेक्टर 1 में नवनिर्मित नाली की निकासी बड़े नाले में
ज्ञात हो कि नगर निगम द्वारा वर्तमान में सेक्टर 1 से कनावनी पुलिस चौकी के समीप तक नाले का निर्माण कराया है। जबकि वास्तविकता के वह नाला नहीं होकर नाली ही है , जो कि आवास विकास परिषद वसुंधरा द्वारा पूर्व में निर्मित नाली के ठीक आगे बढ़कर बनाई गई है। जिसका निर्माण परिषद द्वारा कालोनी काटने से पहले ही किया था । लेकिन अवैध अतिक्रमण होने के कारण नालियों का अस्तित्व ही समाप्त हो गया और फिर नगर निगम करोड़ों के निर्माण करने पड़े। जबकि जिस नाले में नव निर्मित नालियों का जल निकास पाइप से जोड़ा गया है, उसकी सफाई और अनुरक्षण पर नगर निगम की आँखें बंद है। बरसात के समय वही नाले का पानी उन्हीं निकासी वाले पाइपों के द्वारा गंदा पानी फ्लैट और प्लॉट में फैलाएगा क्योंकि नाले के गहराई के और नवनिर्मित नाली के गहरे को नजरअंदाज किया गया है। जो आगामी बारिश में जनता को पता चलेगा ।
सामाजिक कार्यकर्ता और आरडब्लूए के सक्रियता से विभाग मजबूर
सामाजिक कार्यकर्ता और आरटीआई एक्टिविस्ट संदीप कुमार गुप्ता द्वारा नगर निगम गाजियाबाद की कमियों की लंबी फेहरिस्त विभाग के पोर्टल से लेकर कार्यालय तक पहुंचाई है। जिसके बाद शिकायतों पर कार्यवाही हुई है। उसी प्रकार भूपेंद्र नाथ, अमित किशोर, संतोष कौशिक, कैलाश चंद्र शर्मा समेत अनेकों सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता हैट जो जनता की समस्याओं के लिए कृतसंकल्पित रहते हैं। बार बार विकास योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए जनप्रतिनिधि से लेकर अधिकारियों तक यह आरडब्ल्यूए प्रतिनिधि अथवा सामाजिक कार्यकर्ता सक्रिय रहते हैं , तब नगर निगम और अन्य सरकारी विभाग कार्य करने पर विवश होते हैं।