
जन एक्सप्रेस विकास नगर।भारत सरकार की महत्वाकांक्षी पीएम कुसुम (प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान) सोलर पंपिंग योजना ने उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में सिंचाई की चुनौतियों को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह योजना न केवल किसानों की लागत घटा रही है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा दे रही है। अधिशासी अभियंता बीके सिंह ने कहा कि चकराता ब्लॉक के अटाल, हईयो टगरी, फनार सहित आधा दर्जन से अधिक गांवों में यह योजना सफलतापूर्वक चल रही है, जिससे सैकड़ों किसान लाभान्वित हो रहे हैं।बीके सिंह ने कहा, पहाड़ी क्षेत्रों में बिजली की अनियमित आपूर्ति और डीजल पंपों की ऊंची लागत ने हमेशा किसानों को परेशान किया है। लेकिन पीएम कुसुम योजना ने सोलर पंपों के माध्यम से यह समस्या हल कर दी है। योजना के तहत 80 प्रतिशत सब्सिडी विभाग द्वारा प्रदान की जा रही है, जबकि मात्र 20 प्रतिशत योगदान किसानों द्वारा किया जाता है। इससे न केवल सिंचाई आसान हुई है, बल्कि किसानों की आय में भी वृद्धि हो रही है।देहरादून के रायपुर ब्लॉक के गांवों में हाल ही में दर्जनों सोलर पंप स्थापित किए गए हैं, जो बिना किसी ईंधन के दिन भर काम कर रहे हैं। किसान आत्माराम ने खुशी जताते हुए कहा, “पहले डीजल पंप पर हर महीने हजारों रुपये खर्च होते थे, लेकिन अब सूरज की रोशनी से फसलें सींच रहे हैं। यह योजना हमारे लिए वाकई वरदान साबित हुई है।योजना के तहत किसानों को 3 से 5 एचपी क्षमता वाले सोलर पंप उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जो ऑफ-ग्रिड सिस्टम पर आधारित हैं। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा संचालित इस स्कीम का लक्ष्य 2026 तक देशभर में 34,800 मेगावाट सोलर क्षमता जोड़ना है। उत्तराखंड में अब तक हजारों किसान इससे जुड़ चुके हैं, और रायपुर ब्लॉक जैसे क्षेत्रों में इसकी सफलता एक मिसाल बन रही है।अधिकारियों का कहना है कि आने वाले दिनों में और अधिक गांवों को इस योजना से जोड़ा जाएगा, ताकि पहाड़ी किसानों को सतत ऊर्जा और जल सुरक्षा मिल सके। यह न केवल जलवायु परिवर्तन से निपटने में मददगार है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का कार्य कर रही है।






