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रेरा में बिना रजिस्ट्रेशन के जमीनों की हो रही प्लाटिंग, गैर कानूनी तरीके से हो रही खरीद-बिक्री

लोग हो रहे ठगी के शिकार

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स्पेशल रिपोर्ट

जन एक्सप्रेस/विश्वामित्र पांडेय/आशीष कुमार सिंह

लखनऊ। रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 भारत की संसद का एक अधिनियम है, जो घर-खरीदारों की रक्षा करने के साथ-साथ रियल एस्टेट उद्योग में निवेश को बढ़ावा देने में मदद करता है। अधिनियम रियल एस्टेट क्षेत्र के नियम के लिए प्रत्येक राज्य में एक रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (रेरा) स्थापित करता है और तुरंत विवाद समाधान के लिए एक निर्णायक निकाय के रूप में भी कार्य करता है।

आपको बताते चले राजधानी लखनऊ शहर में रेरा अधिनियम की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं और शहरी क्षेत्रों में रियल एस्टेट अधिनियम में बिना रजिस्ट्रेशन के जमीनों की प्लाटिंग कर खरीदा बेचा जा रहा हैं। खरीदारों को इसकी कोई जानकारी नहीं हैं जबकि, इसके नियमों के उल्लंघन पर सजा का प्रावधान हैं।

इस मामले में क्या कहता है रेरा अधिनियम?

रेरा अधिनियम की धारा 59 से 72 में अपराध, दंड और न्यायनिर्णयन के संबंध में प्रावधान है। अधिनियम की धारा 59, 60 और 62 रेरा के तहत गैर-पंजीकरण के लिए प्रमोटरों और रियल एस्टेट एजेंटों को सजा का प्रावधान करती है। रेरा एक्ट में प्रमोटर, रियल एस्टेट एजेंट अदि के लिए अलग अलग सजा है। यहां पर रेरा एक्ट की उलंघना करने पर प्रोजेक्ट की लागत के हिसाब से 10-50% जुर्माने के साथ साथ 1-3 बर्ष की जेल तक हो सकती है। यह दोनों एक साथ नहीं हो सकता है।

 सोशल मीडिया के जरिये जरूरत मंद को बनाया जाता है शिकार

आजकल फेसबुक, व्हाट्सएप, समाचार पत्रों और तमाम सोशल साइटों पर जगह-जगह खेती योग्य उपजाऊ भूमि की प्लाटिंग कर प्रचार प्रसार किया जा रहा है। लेकिन जमीन लेने वाले लोग इस गोरखधंधे में शामिल लोगों के जाल में फंस कर प्लाट खरीद ले रहे हैं। कुछ तत्काल घर बनवाने का प्रयास कर रहें तो कुछ दो चार साल बाद, लेकिन जब मकान बनवाने जाते हैं तो पता चलता है कि यह प्लाट इस तरह की जगह पर है कि वहां लखनऊ विकास प्राधिकरण से नक्शा ही नहीं पास हो सकता है। कुछ लोग तो ग्राम समाज व चरागाह जैसी जमीनों पर प्लाटिंग में ही प्लाटिंग कर बेच रहे हैं और बहुत जमीनें बिक भी गई हैं।

लोग घर भी बनवा लिए वह भी बिना लखनऊ विकास प्राधिकरण से नक्शा पास के ही उनको तब पता चलता जब कोई लखनऊ विकास प्राधिकरण का कर्मचारी नोटिस लेकर जाता है, लेकिन वह कार्रवाई नोटिस तक ही सीमित रह जाती है लखनऊ विकास प्राधिकरण का कर्मचारी ले देके मामले का निस्तारण कर देता है।

चरागाह और शमशान की भूमि भी नहीं रह गई सुरक्षित

आपको बता दें की चरागाह और तालाब व शमशान जैसी जमीनें घोषित एरिया में धडल्ले से जमीन आवासीय प्लाट के लिए खरीदी बेची जा रही है। इसमें सबसे बड़ी कमी रजिस्ट्रार कार्यालय की है। जिस एरिया की जमीन हैं जानते हुए कि वहां आवासीय नक्सा पास नहीं हो सकता तो आवासीय रजिस्ट्री कैसे कर दे रहे हैं। इस तरह आवास के लिए जमीन खरीदने वाला ठगी के शिकार हो रहे है और प्लाटिंग करने वाले से लेकर जमीन मालिक मालामाल होकर मौज कर रहे हैं और जमीन खरीदने वाले तहसील से लेकर जिले तक चक्कर काट रहे हैं। सबसे बड़ी बात ये हैं कि प्लाटिंग करने वालों का किसी भी सरकारी विभाग से इनके प्रोजेक्ट का नक्शा नहीं पास होता है। नियमों के मुताबिक नक्शा नहीं पास होने पर कोई प्लाट बेचना तो दो अपने प्रोजेक्ट का प्रचार-प्रसार भी नहीं कर सकता है। ऐसा करना पूरी तरह से गैरकानूनी है।

गोरखधंधे में लखनऊ का मोहान इलाका सबसे ज्यादा बदनाम

लखनऊ के मोहन रोड पर जितने भी छोटे-मोटे प्रॉपर्टी डीलर ऑफिस बनाकर प्रॉपर्टी का काम कर रहे हैं किसी के पास भी लगभग में रेरा से रजिस्ट्रेशन नहीं है उसके बावजूद भी क्षेत्र में जितनी भी जमीनें प्लाटिंग हुई हैं। इनके कोई भी प्रोजेक्ट रेरा में रजिस्टर्ड नहीं है बिना रेरा में रजिस्ट्रेशन के प्रोजेक्ट का प्रचार प्रसार करना व बेचना बड़ा गुनाह माना गया है। इसके लिए कानून में कठोर सजा के प्रावधान है। लेकिन इसका पालन न तो प्लाटिंग करनें वाले कर रहें हैं और ना ही इसका अनुपालन अधिकारी करा पा रहें हैं जिसके चलते आम लोग ठगी के शिकार हो ही रहे हैं। साथ साथ राजस्व की बड़ी क्षति तो हो रही है। तहसील और जिले पर राजस्व सम्बन्धी विवाद के मामलों में भी बढ़ोतरी हुई है। लेकिन प्रशासन इससे बेखबर होकर आंख बंद किए हुए हैं।

रेरा मुख्यालय में शिकायतों का अंबार, नहीं हो रहा निस्तारण

वहीं रेरा मुख्यालय से संपर्क करने पर जो जानकारी सामने आई है उसके अनुसार मुख्यालय में शिकायती पत्रों का पूरा बंडल भरा पड़ा है। शिकायतों के निस्तारण की प्रक्रिया बहुत धीमी है। रेरा सचिव के पीएस ने बताया कि प्रशासनिक क्षेत्र से रेरा में सचिव के पद पर आईएएस प्रमोद कुमार उपाध्याय को आए लगभग एक माह से अधिक हो रहा है, जल्द ही जांच एवं निस्तारण के मामलों में गतिविधियां तेज होंगी।

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