अपराध से लेकर आपदा के मोर्चे पर अलर्ट पुलिस बल
देहरादून: राज्य गठन के बाद उत्तराखंड पुलिस ने कानून व्यवस्था से लेकर प्राकृतिक आपदा के समय राज्य वासियों की सेवा में बड़ी भूमिका निभाई है। इस दौरान प्रदेश में 77 थाने और 216 नई चौकियां खुल चुकी हैं। इसी अवधि में आपदा के दौरान राहत और बचाव अभियान में सहायता के लिए एसडीआरएफ के रूप में समर्पित पुलिस बल भी तैयार हो चुका है। उत्तराखंड पुलिस न सिर्फ अपराधियों की धरपकड़ में अहम भूमिका निभा रही है, बल्कि अपराधियों को सजा दिलाने में भी पुलिस का रिकॉर्ड खासा सुधरा है।
साल 2000 तक प्रदेश में कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी रेगुलर पुलिस के साथ ही राजस्व पुलिस भी संभाल रही थी, लेकिन अब आबादी बढ़ने और पर्यटन गतिविधियों में तेजी आने के बाद राजस्व क्षेत्रों में नए थाने और चौकियां भी स्वीकृत हुई हैं। मौजूदा सरकार के समय ही 1800 नए राजस्व गांवों को रेगुलर पुलिस के हवाले करते हुए छह नए थाने और 20 चौकियां खोली गई हैं। वर्तमान तक प्रदेश का 92 प्रतिशत आबादी क्षेत्र रेगुलर पुलिस के हवाले हो चुका है। राज्य पुलिस बल की संख्या अब करीब 25 हजार कार्मिकों की हो चुकी है। इसमें तीन कंपनी पीएसी, दो आईआरबी के साथ ही एसडीआरएफ, अग्निमशन दल, इंटेलिजेंस, सीआईडी, एसटीएफ और जीआरपी बल शामिल है।
एसडीआरएफ बड़ा सहारा
2013 में केदारनाथ आपदा के बाद राहत और बचाव अभियान के लिए समर्पित पुलिस एसडीआरएफ का गठन किया गया है। वर्तमान में बल के पास पांच कंपनियां और 40 आउट पोस्ट हैं। बल भूस्खलन, बाढ़, वनाग्नि के साथ ही हाई एल्टीट्यूट रेस्क्यू अभियान में सबसे आगे नजर आता है। इस बीच साइबर अपराध की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए प्रदेश में देहरादून और पंतनगर में साइबर थाने खुल चुके हैं। साथ ही सभी जिलों में साइबर सेल भी कार्यरत हैं। उत्तराखंड साइबर पुलिस देशभर में फैले कई साइबर अपराधियों के नेटवर्क को ध्वस्त कर चुकी है।