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आरटीओ महानगर ट्रांसगोमती दफ्तर मे खुलेआम चल रहा गोरखधंधा
लखनऊ। परिवहन विभाग का महानगर आर टीओ चिनहट देवा रोड स्थित कार्यालय में अधिकारियो की गैर मौजूदगी में धडल्ले से खुले आम गोरखधंधा जारी है। क्योंकि यहां की एआरटीओ अंकिता शुक्ला पिछले कई महीने से छुट्टी पर होने के कारण यहां का कार्यालय बाबूओ और कर्मचारियों व दलालों के माध्यम से चलाया जा रहा है जिससे यहां कर्मचारी बेखौफ है और दंबगई के साथ खुलेआम भ्रष्टाचार जारी है। विभागीय सूत्रों के अनुसार यहां पर तैनात आर आई जय सिंह हफ्ते मे एक या दो बार दोपहर 3 बजे के बाद 2 घंटे के लिए आते हैI और दो घंटे में ही हफ्ते भर की फाइलो पर हस्ताक्षर कर कार्य निपटा कर चले जाते है। जब इस विषय मे आर आई जय सिंह से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि लाइसेंस के अप्रूवल का कार्य ऑनलाइन हो जाता है, इस कार्य के लिए आर टीओ द्वारा निर्धारित कर्मचारी ही हमारे कोड से लाइसेंस अप्रूवल करता है। हम यहां हफ्ते में शनिवार को आकर लाईसेंस के फार्मो पर हस्ताक्षर करते है, क्योंकि ट्रांसपोर्ट नगर स्थित आर टीओ ऑफिस के कार्यालय के फिटनेस ग्राउंड के साथ ही आफिस के ट्रांसफर और रजिस्ट्रेशन का कार्यभार भी संभालना पडता है। टी आर का कार्य 2 बजे तक आर टीओ कार्यालय में देखते है,और 2 बजे के बाद 5 बजे तक फिटनेस ग्राउंड में फिटनेस का कार्य करना पड़ता है। अब सवाल यह उठता है,कि ऐसे में एक अधिकारी कहाँ-कहाँ जाये और क्या करे। सबसे अहम सवाल यह उठता है कि अधिकारी की अनुपस्थिति में आखिर यहां की जिम्मेदारी का कार्यभार कौन संभाल रहा है। यहां आर आई की अनुपस्थिति में लर्निंग एवं स्थाई लाइसेंस बनवाने आये शिक्षार्थियों का टेस्ट शोयबा खातून द्वारा लिया जाता है। साथ ही लर्निग लाइसेंस के लिए अमन वर्मा बाबू टेस्ट लेते है। इन जिम्मेदार कर्मचारियों के द्वारा यहां का कार्यालय भृष्टता से फलफूल रहा है। इसकी जानकारी संबंधित अधिकारियों को बाखूबी है। यहां प्रतिदिन 75 स्थाई लाइसेंस व 130 लर्निग लाइसेंस का स्लाट है, इनमे लाईसेंस बनवाने आये कितने शिक्षार्थियों का टेस्ट लिया जाता है। यह जान पाना बड़ा मुश्किल है कितने परीक्षार्थी पास और कितने फेल होते हैं। ऐसे में अन्य कई गंभीर प्रश्न उठते है। सूत्रों की माने तो टेस्ट के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हो रही है, यहां टेस्टिंग ग्राउण्ड नही और साथ-साथ अधिकारी भी नही है। जबकि यह सब जानते हैं, कि आर टीओ ऑफिस में कितना भ्रष्टाचार व्याप्त है। यहां कर्मचारियों से लेकर अधिकारियो के बीच मज़बूत साठ गांठ चल रही है। सबके अपने अपने कार्य की वसूली रकम निर्धारित है रुपये के दम पर गलत सही सभी कार्य मिनटो में हो जाते है, और सीधे कार्य कराने आये लोगो को टहलाते रहते,यह सब कुछ संबंधित अधिकारी को मोबाइल अन्य माध्यमों के जरिए यहां के कार्य का विवरण भेज दिया जाता है। उसी के आधार पर अधिकारी अपने विश्वस्त सूत्रों से संपर्क कर शिक्षार्थियों के लाइसेंस को पास फेल करने का कार्य कर रहे है।यह सब जानते हुए भी उच्चाधिकारी मौन है। ऐसे मे भ्रष्टाचार मुक्त भारत का अभियान सपना ही साबित हो रहा है।