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श्रीमद्भागवत कथा पापों का करती है नाश,भागवत पुराण का एक श्लोक है सुरसरि

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परमात्मा में नहीं है जाति का कोई भेद, दरिद्र ब्राह्मण को बनाया राजा
राजापुर / चित्रकूट। राजापुर तहसील अंतर्गत ग्राम पंचायत रायपुर बेरारुर के मध्य सगरा प्रपात के पास स्थित मराठा कालीन प्राचीन समोगर देवी मंदिर के विशाल प्रांगण में शत चंडी महायज्ञ एवं संगीतमय श्रीमदभागवत कथा ज्ञान यज्ञ के कथावाचक आचार्य पंडित श्री अरविन्द जी महाराज द्वारा प्रथम दिन कलश यात्रा के साथ माँ यमुना की पूजा – अर्चना कर 101 महिलाओं के साथ भव्य यात्रा निकाली गई।
कथा के प्रथम दिन श्रीमद्भागवत पुराण के महत्व की कथा करते हुए बताया कि माँ यमुना भगवान श्रीकृष्ण की 108 पटरानियों में से एक थीं। इसलिए माँ कालिन्दी की पूजा – अर्चना कथा करने के पहले की जाती है। श्रीमद्भागवत का एक श्लोक सुरसरि के समान है इसके श्रवण मात्र से दैहिक , दैविक व भौतिक तीनों प्रकार के सन्ताप नष्ट हो जाते हैं। दुराचारी, पापाचारी की मृत आत्माओं के मोक्ष के लिये कथा का श्रवण ही उद्धार है।  जैसे ब्रह्मदेव नामक भक्त ब्राह्मण व पत्नी धुंधली निःसंतान होने के कारण दुखी रहते थे। ऋषि वरदान के कारण माँ धुंधली की बहन से एक पुत्र धुंधकारी तथा गौमाता से वक पुत्र गोकर्ण का जन्म हुआ। धुंधकारी नामक बालक आताताई, पापाचारी तथा दुराचारी होने के कारण अल्पायु में ही मृत्यु को प्राप्त कर लिया था, लेकिन धर्मात्मा गोकर्ण ने मृत आत्मा के मोक्ष के लिए श्रीमद्भागवत पुराण की कथा को सुनाकर मोक्ष दिलवाया था। कथावाचक में भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूपो तथा बाल चरित्र की कथा कहते हुए बताया कि पूतना, बकासुर, अघासुर जैसे राक्षसों का वध कर मोक्ष प्रदान किया था तथा इंद्र के अहंकार को नष्ट करने के लिए गोवर्धन जैसे पर्वत को तर्जनी उंगली में धारण कर इंद्र के अहंकार को नष्ट किया था। भगवान श्रीकृष्ण अहंकार को नष्ट करने के लिए अनेकों प्रकार के रूप धारण करते हैं। कथा के छ्ठे दिन श्रीकृष्ण और सुदामा के अटूट मित्रता की कथा करते हुए बताया कि त्रिलोक के स्वामी श्रीकृष्ण गरीबी , अमीरी व  जाति भेदभाव को त्यागकर अपने बालसखा सुदामा के चरणों को इस प्रकार से प्रेम विभोर होकर के पखारा कि यह ज्ञात नहीं हो पाया कि आंसुओं से या पानी से पैर पखार रहे हैं। सुदामा की धर्मपत्नी सुशीला द्वारा दिए गए तीन मुट्ठी तंदुल को भगवान श्रीकृष्ण ने भक्ति भावना से ओतप्रोत होकर दो लोकों का स्वामी सुदामा जैसे दरिद्र ब्राह्मण को बना दिया। तीसरी मुट्ठी तंडुल को ज्यों ही खाना चाहते थे उसी समय रुक्मिणी ने भगवान श्रीकृष्ण के हाँथों को पकड़कर कहा कि तीसरा साकेत लोक कम से कम देवताओं के लिए सुरक्षित रखें । जिसमें श्रोता भक्तगण भाव विभोर होकर कृष्ण व राधामय हो गए। कथाकार ने माँ राधिका का वर्णन करते हुए कहा कि राधा में सात गुण मौजूद थे। वैराग्य , विवेक , ज्ञान , बुद्धि , प्रेम , भक्ति एवं कृष्ण के प्रति समर्पण भाव युक्त होने के कारण राधा भगवान श्रीकृष्ण के हृदय में वास करती थीं तथा कलयुग में श्रीमद्भागवत कथा पुराण एक ऐसा महान ग्रन्थ है जिसके पढ़ने और सुनने से सम्पूर्ण पापों का नाश होता है और जीवात्मा साकेत को प्राप्त करती है।
इस अवसर पर भाजपा नेता शिव शंकर सिंह, मधुरेन्द्र प्रताप सिंह, मनोज द्विवेदी, हरिश्चंद्र पाण्डेय, गिरधारी सिंह, रजनीश पाण्डेय, शंकर दयाल निषाद, रवि सिंह ,प्रदीप सिंह, रामकिशोर पाण्डेय, रोशन सिंह , अजय पाण्डेय, बब्बू शुक्ला आदि भक्तगण मौजूद रहे ।

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