सपा उम्मीदवारों ने भाजपा व उनके सहयोगी दलों से मांगा समर्थन
लखनऊ । राजनीति में जीत के लिए नेता कब क्या दांव चल दें, यह कोई नहीं जान सकता। ऐसा ही कुछ उत्तर प्रदेश विधान परिषद की दो सीटों पर होने वाले उपचुनाव में देखने को मिल रहा है। संख्या बल के आधार पर लगभग हार पक्की होने के बावजूद समाज वादी पार्टी(सपा) ने अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं। चुनाव मैदान में उतरे सपा के उम्मीदवार संख्या बल न होने पर अब अपने पक्ष में बहुमत जुटाने के लिए सत्ताधारी दल और उसके सहयोगी दलों के विधायकों से पत्र लिखकर समर्थन मांगा है।
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में आगामी 29 मई को विधान परिषद की दो सीटों पर उपचुनाव होगा। दोनों सीटों को जीतने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पास विधायकों की संख्या पर्याप्त है। जबकि सपा के पास संख्या बल न होने के बावजूद राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव चुनाव मैदान में पार्टी के उम्मीदवार उतार दिए हैं। अपनी हार को बचाने के लिए अब पिछड़े और दलित वर्ग से आने वाले सपा उम्मीदवार राम जतन राजभर और रामकरण निर्मल ने नई सियासी चाल चली है। विपक्षी दल के दोनों उम्मीदवारों ने पत्र लिखकर भाजपा और उसके सहयोगी दलों को पत्र लिखे हैं। पत्र के जरिए दोनों ने एमएलसी उपचुनाव में अपने समर्थन में मतदान करने की अपील की है।
संयुक्त रूप से जारी पत्र में सपा उम्मीदवारों ने भाजपा को पिछड़ों और दलितों की उपेक्षा करने वाला बताया है। उन्होंने निशाना साधते हुए लिखा है कि भाजपा सामाजिक न्याय और आरक्षण विरोधी है। अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनकर चुनाव में वोट करें।
वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक अंजनी निगम का कहना है कि सपा उम्मीदवारों की ओर से भाजपा और उसके सहयोगी दलों के विधायकों को पत्र लिखकर चुनाव में समर्थन मांगना अखिलेश का ही सियासी पैंतरा है।
यह लिखा है पत्र में
राम जतन राजभर और रामकरण निर्मल ने अपने पत्र में कहा कि भाजपा की सामाजिक नीति में भारी खोट है। भाजपा में गरीबों, दलितों के लिए कोई स्थान नहीं है। भाजपा हमेशा सामाजिक न्याय की विरोधी रही है। भाजपा न सबको साथ लेकर चलती है और न ही सबका विकास चाहती है। समाजवादी पार्टी की प्रतिबद्धता सामाजिक न्याय के लिए है। राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भारतीय संविधान एवं लोकतंत्र को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे ह