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सपा सरकार ने दी थी ‘भ्रष्टाचार की मीनार’ को बनाने की इजाजत

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नोएडा: दिल्ली के कुतुब मीनार से भी ऊंची 100 मीटर की इन इमारतों को गिराने के लिए 3,700 किलोग्राम से अधिक विस्फोटक का इस्तेमाल किया जाएगा। इन ट्विन टावर को वाटरफॉल तकनीक से गिराया जाएगा। इस तकनीक से मलबा बिखरता नहीं है, बल्कि पानी की तरह नीचे गिरता है।

उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने एक टीवी चैनल से बात करते हुए कहा कि यह प्रमाण है कि समाजवादी पार्टी की सरकार और उस समय के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जी और उस समय की सरकार ने इस इमारत को बनाने की छूट दी। भ्रष्टाचार को पूरी तरह संरक्षण दिया गया, इसलिए मैं कहता हूं कि समाजवादी पार्टी का मतलब भ्रष्टाचार और गुंडागर्दी है। अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी को जवाब देना चाहिए कि उनकी सरकार में इतना बड़ा भ्रष्टाचार कैसे हुआ। उन्हें बताना चाहिए कि यह कैसे हुए।

यह पूछे जाने पर कि क्या इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर क्या ऐक्शन होगा, उपमुख्यमंत्री ने कहा कि चाहे अधिकारी हों, चाहें उस समय के सरकार के जिम्मेदार लोग हों, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। 200 करोड़ की इमारत को 20 करोड़ खर्च करके गिराया जा रहा है तो यह भ्रष्टाचार करने वालों को संदेश है कि देश में अब ऐसा नहीं चल सकता है।

एडिफिस कंपनी पर है ध्वस्त करने की जिम्मेदारी

नोएडा विकास प्राधिकरण की निगरानी में जिला प्रशासन ने ट्विन टावर के दो ब्लॉक ‘एपेक्स और सियान’ को ध्वस्त करने की जिम्मेदारी निजी क्षेत्र की एक कंपनी ‘एडिफिस’ को सौंपी गई है। अधिकारियों ने बताया पूर्व निर्धारित योजना के मुताबिक, आज दिन में ठीक 2:30 बजे दोनों टावर को बारूद से ध्वस्त कर दिया जाएगा। इसके लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। पुलिस ने ट्विन टावर के आसपास 500 मीटर तक इलाके को पूरी तरह से खाली करवा दिया है।

नोएडा प्राधिकरण से मंजूर भवन योजना के अनुरूप बनाए थे ट्विन टावर : सुपरटेक

वहीं, रियल एस्टेट कंपनी सुपरटेक ने कहा है कि उसने ट्विन टावर का निर्माण नोएडा विकास प्राधिकरण द्वारा मंजूर भवन (बिल्डिंग) योजना के मुताबिक ही किया था और इसमें किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया था। सुपरटेक ने कहा कि इन दो टावरों के ध्वस्तीकरण का प्रभाव कंपनी की अन्य रियल एस्टेट परियोजनाओं पर नहीं पड़ेगा और घर खरीदारों को उनके फ्लैट समय पर मुहैया करवाए जाएंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने एमराल्ड कोर्ट सोसाइटी परिसर के बीच इस निर्माण को नियमों का उल्लंघन बताया था, जिसके बाद इन्हें ढहाने का काम किया जा रहा है।

सुपरटेक ने बयान में कहा कि नोएडा स्थित ट्विन टावर एपेक्स और सियान सेक्टर 93ए में एमराल्ड कोर्ट परियोजना का हिस्सा हैं और इन्हें नोएडा प्राधिकरण द्वारा आवंटित भूमि पर बनाया गया। इन दो टावरों समेत भवन योजना को नोएडा प्राधिकरण ने 2009 में मंजूरी दी थी और ये राज्य सरकार द्वारा उस समय घोषित भवन उपनियमों के पूरी तरह से अनुरूप हैं।

कंपनी ने कहा कि कोई भी काम इमारत नियम से परे जाकर नहीं किया गया है और इनका निर्माण नोएडा प्राधिकरण को पूरा भुगतान करने के बाद ही किया गया। उसने कहा कि हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने निर्माण को तकनीकी आधार पर संतोषजनक नहीं पाया और इन दो टावर को ध्वस्त करने का आदेश दिया। हम सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हैं और इसके अनुपालन की प्रतिबद्धता जताते हैं।

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