जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय में सूचना के अधिकार और मानवाधिकार पर विशेष व्याख्यान
जन एक्सप्रेस, चित्रकूट: चित्रकूट स्थित जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय में 7 दिसंबर 2024 को “सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम और इसका मानवाधिकार एवं सामाजिक कार्यों से संबंध” विषय पर एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन सामाजिक कार्य विभाग द्वारा किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि और वक्ता के रूप में तेजस्कर पांडेय, उप सचिव, सूचना का अधिकार आयोग, उत्तर प्रदेश, लखनऊ उपस्थित रहे। पांडेय ने अपने व्याख्यान में आरटीआई अधिनियम के महत्व, पारदर्शिता सुनिश्चित करने और इसे मानवाधिकारों की रक्षा के लिए प्रभावी उपकरण के रूप में उपयोग करने के पहलुओं पर प्रकाश डाला।
आरटीआई: पारदर्शिता और सामाजिक बदलाव का माध्यम
अपने संबोधन में पांडेय ने बताया कि आरटीआई अधिनियम नागरिकों को सूचना प्राप्त करने का कानूनी अधिकार प्रदान करता है, जिससे सरकारी कार्यों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जा सकती है। उन्होंने कहा कि यह अधिनियम समाज के कमजोर वर्गों को उनकी समस्याओं के समाधान और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए सशक्त बनाता है। पांडेय ने छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा कि आरटीआई का प्रभावी उपयोग सामाजिक बदलाव और सुशासन को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण माध्यम हो सकता है।
विशेष योगदान और संस्कृत में आरटीआई
कार्यक्रम के दौरान, पांडेय ने अपनी पुस्तक “सामान्य अध्ययन” और सूचना का अधिकार अधिनियम का संस्कृत अनुवाद विश्वविद्यालय को भेंट किया। विश्वविद्यालय के आजीवन कुलाधिपति जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह प्रयास छात्रों और शिक्षकों को आरटीआई की गहरी समझ और संस्कृत भाषा के महत्व को उजागर करने में मदद करेगा। इस अनुवाद के माध्यम से आरटीआई का अध्ययन व्यापक संदर्भ में संभव हो सकेगा।
दिव्यांग छात्रों के लिए विशेष सराहना
पांडेय ने व्याख्यान के बाद विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों का दौरा किया। उन्होंने स्वास्थ्य केंद्र, पुस्तकालय और विशेष रूप से ब्रेल केंद्र का निरीक्षण किया, जहां दिव्यांग छात्रों के लिए ब्रेल में पाठ्य सामग्री तैयार की जाती है। उन्होंने विश्वविद्यालय के प्रयासों की सराहना की और इसे दिव्यांग छात्रों के लिए एक आदर्श मंच बताया। उन्होंने कहा कि यह केंद्र अन्य विश्वविद्यालयों के लिए भी एक अनुकरणीय उदाहरण है।
छात्रों को आरटीआई के सकारात्मक उपयोग की प्रेरणा
कार्यक्रम के दौरान कुलपति प्रो. शिशिर कुमार पांडेय ने आरटीआई के सही और गलत उपयोग पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि यह अधिनियम नागरिकों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करता है और समाज में पारदर्शिता व जवाबदेही सुनिश्चित करता है। कार्यक्रम के अंत में छात्रों और शिक्षकों के सवालों का उत्तर देकर उन्हें आरटीआई के व्यावहारिक उपयोग के लिए प्रेरित किया गया। इस व्याख्यान ने छात्रों और शिक्षकों के बीच आरटीआई की उपयोगिता और इसे सामाजिक कार्यों में प्रभावी रूप से लागू करने की आवश्यकता पर जागरूकता बढ़ाई।