सुशील मोदी ने नीतीश को दिलाई 2014 की याद

पटना: बिहार के चुनावी जंग में अब अपने अपने आंकड़े अपना अपना राग अलापे जा रहे हैं। इसी बीच सुशील मोदी ने 2014 लोकसभा चुनाव परिणाम बताकर यह कह दिया कि भाजपा के बिना जदयू 22 से 2 सीटों वाली पार्टी बन गई। लेकिन इस अपने अपने तर्क को परोसने में राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी पीछे नहीं रहे। एक कदम ओर आगे बढ़कर नीतीश कुमार ने भाजपा को 2009 लोकसभा चुनाव की याद दिलाकर कहा कि पहले वो अपनी पार्टी की चिंता करें।
सुशील मोदी ने नीतीश को दिलाई 2014 की याद
पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि ‘प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी की बदौलत लोकसभा में जदयू 2 से 16 सीट पर पहुंचा। वरना राजद की तरह वह भी 2019 में सदन का मुंह न देख पाता। सत्ता के अहंकार में नीतीश कुमार इस हकीकत को भुलाना चाहते हैं। नीतीश कुमार मुगालते में न रहें । जो 2014 और 2019 में आये, वही बिहार की सभी 40 सीटें जीत कर 2024 में भी केंद्र की सत्ता में और शक्तिशाली होकर लौटेंगे। पिछले साल विधानसभा के तीन उपचुनाव हुए, जिनमें से दो भाजपा जीती और मोकामा में 64 हजार वोट लाकर पार्टी ने राजद को कड़ी टक्कर दी। लालू प्रसाद के आगे घुटने टेकने के कारण जदयू का लव-कुश और अतिपिछड़ा जनाधार खिसक कर भाजपा के साथ आ चुका है। सही स्थिति यह है कि जदयू कमजोर हुआ, जबकि चिराग पासवान, जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा के आने से एनडीए की ताकत बढ गई है।’
नीतीश बोले- 2009 भूल गए क्या
ऐसे तो आम तौर पर नीतीश कुमार रिएक्ट नहीं करते। कुछ इधर-उधर की बात कर पत्रकारों को भरमा देते हैं। पर पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी की बात शायद उन्हें ज्यादा चुभ गई। नीतीश इस दफे भड़क गए। नीतीश ने कहा कि ‘2014 लोकसभा चुनाव परिणाम को रटने वाले भाजपाई वर्ष 2009 लोकसभा चुनाव परिणाम भूल जाते है। ये वही चुनाव था जब जदयू 25 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ी थी और तब भाजपा केवल 15 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। उनको भी याद होगा जदयू ने 25 सीटों पर चुनाव लड़ कर 22 सीटों पर जीत हासिल की थी। तब भाजपा 15 सीटों पर चुनाव लड़ कर 12 लोकसभा सीटों पर ही जीत पाई थी। इस बार पता चलेगा जब जदयू 40 में से 40 सीटें जीतेगी।’
क्या है 2009 और 2014 लोकसभा की सच्चाई
दरअसल 2014 का लोकसभा चुनाव बहुकोणीय हुआ था। तब जदयू ,कांग्रेस और राजद ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था। भाजपा के साथ लोजपा और रालोसपा भी थी। तब भाजपा 30 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ी और 22 पर जीत हासिल की। जदयू ने 38 पर चुनाव लड़ा और 2 सीटों पर चुनाव जीती। राजद ने 27 सीटों पर लड़ कर 4 पर जीत हासिल की।रालोसपा 3 सीटों पर लड़ी, लेकिन तीनों ही जीती। लोजपा सात लोकसभा सीटों से चुनाव लड़ी और छह सीटों पर जीत हासिल की। कांग्रेस 12 पर लड़ी और 2 सीटों पर जीत हासिल की। दरअसल कांग्रेस की रणनीति के हिसाब से राजद, लोजपा, कांग्रेस और राष्ट्रवादी काग्रेस पार्टी (राकांपा) एक साथ मिलकर चुनाव लड़तीं तो कम से कम 13 और सीटों पर यूपीए जीत सकता था।