चित्रकूट के बगदरा घाटी मे बनेगी सबसे बड़ी काऊ सफारी,डिप्टी सीएम ने किया ऐलान

जन एक्सप्रेस।चित्रकूट
मध्य प्रदेश सरकार भगवान राम की तपोस्थली चित्रकूट में प्रदेश की सबसे बड़ी काऊ सफारी बनाने जा रही है। बुधवार को मध्य प्रदेश के उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला चित्रकूट पहुंचकर काऊ सफाrajendraरी की घोषणा की है। कहा कि चित्रकूट के बगदरा घाटी में गोवंश संरक्षण के लिए काऊ सफारी के रूप में गौ अभयारण्य विकसित किया जाएगा। इसमें भारतीय गौ-वंश की नस्लों के संरक्षण एवं संवर्धन के व्यापक इंतजाम होंगे। सतना के प्रभारी कलेक्टर डॉ परीक्षित झाड़े व डीएफओ विपिन पटेल ने गौ अभ्यारण्य की कार्ययोजना प्रस्तुत की है।
मप्र के डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला ने बताया कि चित्रकूट का बगदरा घाटी क्षेत्र पुराने समय से गौ-माता के प्राकृतिक रहवास के रूप में जाना जाता रहा है। इसलिए यहां विचरण करने वाले गौवंशीय पशु स्वस्थ रहते हैं। डिप्टी सीएम ने कहा कि बगदरा घाटी में सड़क के दोनों ओर 20-20 हेक्टेयर क्षेत्र में जंगल क्षेत्र की फिनिशिंग कर वन्य प्राणियों से सुरक्षित करने का आश्वासन दिया।
करोड़ों की लागत से गओ अभयारण्य तैयार होगा। इसे अलग-अली चरणों में बनाया जाएगा। अभयारण में गाय के गोबर और गौ-मूत्र से कीटनाशक का निर्माण होगा। गौ-वंश के लिए चारागाहों का विकास किया जाएगा। लावारिस और दान में प्राप्त और पुलिस द्वारा जब्त गायों को भी यहां रखा जाएगा। यहां गायों को आहार के साथ गौ-वंश के निर्भय एवं स्वतंत्र विचरण के लिए पर्याप्त व्यवस्था रहेगी। गौ-वंश के लिए प्राकृतिक और स्वाभाविक वातावरण का निर्माण भी अभयारण का प्रमुख लक्ष्य है। मध्य प्रदेश सरकार की पहल पर शुरू होने जा रहे इस गौ-अभयारण में गाय से प्राप्त होने वाले गोबर, गौ-मूत्र, पंचगव्य आदि के इस्तेमाल पर शोध और अनुसंधान होगा। गौ-वंश के लिए जल की व्यवस्था के लिए तालाब भी बनेंगे। पशु-चारे के लिए मक्का तथा बरसीम की खेती होगी। वन विभाग चारा उत्पादन की योजना चलाएगा। अभयारण की बाउंड्रीवॉल के लिए खंतियां बनाई जाएंगी। इस पर वन विभाग वृक्षारोपण करेगा। गायों के लिए बनाए जाने वाले शेड्स पर सोलर पेनल स्थापित किए जाएंगे, जिसके माध्यम से अभयारण में प्रकाश की व्यवस्था रहेगी।
जनसहयोग से तैयार होगी सफारी
मध्य प्रदप्रदेश के उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ला ने बताया बसामन मामा गौ अभयारण्य की तर्ज पर बगदरा घाटी में भी काऊ सफारी विकसित की जाएगी। इसके लिए वन क्षेत्र के साथ आसपास उपलब्ध 50 एकड़ राजस्व का भी उपयोग किया जाएगा। शासकीय फंड के अलावा दानदाताओं और जनसहयोग से इस भूमि पर गौशाला सहित अन्य जरूरी सुविधाएं विकसित की जाएंगी।