योगीराज में फेल साबित हो रहा नौकरशाही का आदर्श माडल, प्रतापगढ़ की बाबागंज ब्लॉक में लोकतंत्र बना मजाक, न्यायालय की शरण में पहुंचे शिकायतकर्ता
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शिकायतकर्ता का आरोप सीडीओ, डीपीआरओ व खंड विकास अधिकारी जानकारी होने के बाद भी बने हैं अनजान!
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शिकायत के बाद भी संज्ञान लेने से चुके जिला अधिकारी।
जन एक्सप्रेस/विश्वामित्र पांडेय
लखनऊ/प्रतापगढ़। सूबे की सियासत में कई दिग्गज नाम देने वाले बेल्हा प्रतापगढ़ में उत्तर प्रदेश के सबसे सफलतम व कद्दावर मुख्यमंत्री के रूप में पहचान हासिल करने वाले गोरक्षपीठ के महंत योगी आदित्यनाथ की पूरी ब्यूरोक्रेट स्थानीय सियासत में रसूख जमाने वाले नेताओं के आगे घुटने टेक चुकी है। ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि जनपद प्रतापगढ़ की बाबागंज ब्लॉक में नव सृजित ग्राम पंचायत उतरार में बिना चुनाव के ही अवैधानिक रूप से चलाई जा रही प्रधानी खुद चिल्ला कर कह रही है। शिकायतकर्ता को इस बात का जवाब योगी आदित्यनाथ की सरकार का कोई भी जिम्मेदार नहीं दे पाया है, अंततः शिकायतकर्ता अब उच्च न्यायालय की शरण में पहुंच गए हैं।
शिकायतकर्ता की माने तो वर्ष 2023 में हुए नगर पंचायत के परिसीमन के बाद जनपद प्रतापगढ़ में हीरागंज नगर पंचायत का गठन हुआ, जिसमे बाबागंज ब्लॉक की गोगहर ग्राम पंचायत के कुछ भाग को नगर पंचायत में सम्मिलित किया गया और बाकी बचे क्षेत्र को नव सृजित ग्राम पंचायत उतरार में जोड़ दिया गया। आधे से ज्यादा ग्राम पंचायत सदस्यों की सदस्यता शून्य कर दी गई और बिना चुनाव के ही पुरानी प्रधानी को कायम रखा गया। शिकायतकर्ता द्वारा जिला अधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी, डीपीआरओ, खंड विकास अधिकारी आदि सक्षम अधिकारियों से शिकायत करने के बाद भी आज तक कोई कार्यवाही नही हुई, न ही इन अधिकारियों द्वारा इस तथ्य की जांच करने की जहमत उठाई गई।
अधिकारियों की सांठगांठ से कथित अवैध प्रधानी चलाने का आरोप
गोगहर ग्राम पंचायत की तत्कालीन प्रधान हंसराज देवी का निवास नगर पंचायत में सम्मिलित होने के नाते प्रधानी के पद पर बने रहना अवैधानिक होने के बावजूद अधिकारियों की सांठगांठ से आज तक वही प्रधानी चली आ रही है, जबकि प्रधान हंसराज देवी की पुत्र बधू उर्मिला देवी नव सृजित नगर पंचायत की गोगहर वार्ड नंबर 6 से ही पार्षद भी चुनी जा चुकी हैं। सबसे दिलचस्प बात यह है कि उतरार ग्राम पंचायत की कथित अवैध प्रधान और गोगहर वार्ड की सभासद महज रबर स्टांप बनकर रह गए हैं।
उक्त मामले में जिलाधिकारी प्रतापगढ़ से जानकारी जुटाने का प्रयास उनके सीयूजी नंबर पर फोन करके किया गया जिसपर फोन पीआरओ द्वारा उठाया गया और पूरा प्रकरण सुनने के बाद उन्होंने बताया कि पहले डीएम साहब मामले की पूरी जानकारी कर लें तब ही कुछ कह सकते हैं। वहीं खंड विकास अधिकारी बाबागंज ने सीधे तौर पर कहा कि शासन द्वारा जारी किसी भी नोटिफिकेशन की जानकारी विकास खंड स्तर से उपलब्ध नहीं है।
क्या कहता है नियम!
जानकारों की माने तो चुनाव के दौरान परिसीमन में यदि एक हजार या अधिक आबादी रह जाती है तो पुरानी ग्राम पंचायत यथावत बनी रहेगी किंतु नई ग्राम पंचायत के सृजन के बाद पुरानी ग्राम पंचायत के प्रधान का कार्यकाल बिना शासन द्वारा नोटिफिकेशन जारी किए नहीं बनी रह सकती। वह बर्खास्त कर दी जाती है।
गोगहर ग्राम प्रधान का निवास नगर पंचायत सम्मिलित हो जाने और नई ग्राम पंचायत उतरार बनाए जाने के नाते उतरार ग्राम पंचायत की प्रधानी खत्म करके इसे अन्य ग्राम पंचायत में अटैच कर देना चाहिए था फिर भी ऐसा नहीं हुआ जबकि यह नियमानुसार गलत है।
– उदय शंकर पांडेय, चेयरमैन प्रतिनिधि (हीरागंज नगर पंचायत)
अभी तक मामला मेरे संज्ञान में नहीं था, आपके माध्यम से जानकारी हुई है, इस प्रकरण की तत्काल जांच कराई जाएगी।
– नवनीत सहरा आईएएस, सीडीओ प्रतापगढ़
यदि एक हजार से अधिक जनसंख्या है तो ग्राम पंचायत बनी रहेगी, यदि सदस्यों की सदस्यता रद्द कर दी गई है तो जिला मजिस्ट्रेट के द्वारा नोटिफिकेशन जारी करके प्रधानी चलाई जा सकती है। शासन द्वारा नोटिफिकेशन जारी होना आवश्यक है। बाकी इस मामले की जांच कराई जाएगी।
– जिला पंचायत राज अधिकारी, प्रतापगढ़
यह ग्राम पंचायत का मामला है निर्वाचन आयोग का मामला है शासन का कोई नोटिफिकेशन आयेगा तो उनको आयेगा हमे नहीं, हमारा काम ग्राम पंचायतों के विकास कार्यों को चलाना है, इस संबंध में विकास खंड स्तर से कोई सूचना नहीं है।
– अरुण कुमार प्रजापति, खंड विकास अधिकारी बाबागंज
ग्राम पंचायत उतरार का हंसराज देवी द्वारा किया जा रहा प्रतिनिधित्व पूर्णतयः गलत है जो खत्म किया जाना चाहिए। जिसके लिए मेरे द्वारा निर्वाचन आयोग, चुनाव आयुक्त, जिला अधिकारी प्रतापगढ़, मुख्य विकास अधिकारी प्रतापगढ़, खंड विकास अधिकारी बाबागंज सहित मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी की गई थी लेकिन अधिकारियों द्वारा उक्त प्रकरण की जांच तक नहीं कराई गई, जिसके बाद हमने उच्च न्यायालय की शरण ली है।
– शिवलाल यादव, मुख्य शिकायतकर्ता