ठंड में ठिठुरने को मजबूर यूपी के बच्चे, जिम्मेदार मौन
जन एक्सप्रेस/जौनपुर। का वर्षा जब कृषि सुखानी… वाली कहावत इन दिनों शिक्षा विभाग पर सटीक बैठ रही है। प्रदेश के जौनपुर जिले समेत समस्त जिलों में बेसिक शिक्षा के अधीन संचालित सहायता प्राप्त प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे सर्दी में ठिठुर रहे हैं क्योंकि सरकार इन स्कूलों के बच्चों को स्वेटर मुहैया नहीं कराती है।
लेकिन हैरानी इस बात की है कि जिन स्कूलों के बच्चों को सरकार स्वेटर, खेल सामग्री आदि की सुविधाएं मुहैया कराती है वहां भी अभी तक बच्चों को स्वेटर नहीं मिल सके हैं। सर्दी अपने चरम पर है, लेकिन सरकारी पैसे से मिलने वाले स्वेटरों का कहीं अता-पता नहीं है। जब तक बच्चों को स्वेटर मिलेंगे सर्दी निकल चुकी होगी।
बच्चों के साथ भी सौतेला व्यवहार क्यों?
सरकार एक ओर परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए सर्दी में स्वेटर और यूनिफार्म के लिए डीबीटी के माध्यम से धन मुहैया कराती है। किताब-कॉपियां, खेल-कूद की सामग्री, मिड-डे-मील, अन्य सरकारी सहायता दी जाती है वहीं बेसिक शिक्षा के अधीन संचालित सहायता प्राप्त प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के साथ सौतला व्यवहार किया जाता है। जहां विभाग प्रबंधकीय व्यवस्था के नाम पर बच्चों के प्रति संवेदनाएं शून्य हो जाती हैं। इन स्कूली बच्चों को शासकीय मदद के रूप में मात्र मिड-डे-मील (एमडीएम) और निःशुल्क पुस्तकों के अलावा किसी भी अन्य प्रकार की सुविधाएं नहीं दी जाती हैं।
ये शिक्षक हैं सब जानते हैं…
बेसिक शिक्षा के अधीन संचालित सहायता प्राप्त प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिए सरकार का जोर रहता है, ताकि समाज को शिक्षित किया जा सके। लेकिन यदि स्कूल में पढ़ने आने वाले बच्चे बचपन से ही मूलभूत सुविधाएं से वंचित रहेंगे तो उनके अच्छे भविष्य की कल्पना करना थोती बाते हैं। बच्चों की समस्या से शिक्षक व बेसिक शिक्षा विभाग भी अवगत है लेकिन इसका समाधान नहीं हो पा रहा।
जिम्मेदारों पर कार्रवाई कब?
कहने को तो विभाग शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत होने का दावा करता है, लेकिन सिस्टम की लचर व्यवस्था के लिए जिम्मेदारों पर कार्रवाई नहीं की जाती, यही वजह है कि साल-दर-साल स्कूली बच्चों को मिलने वाली किताब-कॉपियां हों, जूते-मौजे हों, सर्दियों के लिए स्वेटर हों या फिर खेल सामग्री कभी भी समय पर उपलब्ध नहीं हो पाते हैं। जब तक इस लचर व्यवस्था के लिए जिम्मेदारों पर कार्रवाई नहीं होगी ये व्यवस्था ऐसे ही चलती रहेगी।
शासन के निर्देशो पर सभी बच्चों को स्वेटर समेत सभी सामग्री दी जा चुकी है बहरहाल फिर भी मामले की जांच कराकर जहां कमी पाई जाएगी सम्बंधित के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।
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