ज़मीर बेच चुका सिस्टम: ज़हरकांड और अवैध गर्भपात पर भी चुप्पी क्यों?
तुलसी और ओम साईं हॉस्पिटल बने मौत के अड्डे, लेकिन अफसरों की आंखें अब भी बंद!

जन एक्सप्रेस लखनऊ (आशीष कुमार सिंह): उत्तर प्रदेश की राजधानी में स्वास्थ्य तंत्र की लापरवाही अब लापरवाही नहीं रही, यह अब आपराधिक षड्यंत्र का चेहरा ओढ़ चुकी है। दो मामलों ने पूरे प्रदेश को हिला दिया है — पहला, तुलसी हॉस्पिटल में जहर खाकर लाई गई महिला का गुपचुप इलाज और दूसरा, बिना पंजीकरण के चल रहे ओम साईं हॉस्पिटल में दो महीने के भ्रूण का अवैध रूप से गर्भपात।
जब जांच में दोष तय, तो कार्रवाई क्यों नहीं?
माल सीएचसी के अधीन सैदापुर चौराहे पर स्थित ओम साईं हॉस्पिटल के खिलाफ खुद सीएचसी अधीक्षक डॉ. जेपी सिंह की रिपोर्ट में यह बात सामने आई कि अस्पताल का कोई रजिस्ट्रेशन नहीं है। इसके बावजूद सीएमओ लखनऊ की कुर्सी पर बैठे अफसर ने चुप्पी साध रखी है। और तो और, एसडीएम मलिहाबाद भी जैसे किसी “आदेश विशेष” का इंतज़ार कर रहे हैं।
तुलसी हॉस्पिटल की बात करें तो वहां जहरकांड की सूचना तक पुलिस को नहीं दी गई — जो सीधा-सीधा कानून का उल्लंघन है। अब सवाल यह उठता है कि क्या लखनऊ का स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से ‘सुविधा शुल्क’ और ‘संबंध तंत्र’ की गिरफ्त में है?
सीएमओ और एसडीएम से जवाब तलब क्यों नहीं?
प्रदेश के जागरूक समाजसेवियों, संगठनों और आम जनता की अब एक ही मांग है — इन मौत के अड्डों पर तत्काल ताले लगने चाहिए। तुलसी हॉस्पिटल और ओम साईं हॉस्पिटल को तत्काल सील कर जिम्मेदार सीएमओ और एसडीएम पर आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जाए। क्योंकि अगर यह कार्रवाई अब नहीं हुई, तो जनता यह समझे कि यह मौन केवल लापरवाही नहीं, बल्कि एक सुनियोजित “आपराधिक सहमति” है।
अब चुप मत रहिए, ये सिर्फ एक जिला नहीं — पूरे प्रदेश की बेटियों की लड़ाई है
सवाल बड़ा और सीधा है — क्या कोई महिला तभी न्याय पाएगी जब वह किसी वीआईपी की बेटी होगी? क्या आम आदमी की जान अब सरकारी सिस्टम के लिए सिर्फ आंकड़ा बन चुकी है?सरकार अगर अब भी नहीं जागी, तो जनता चुप नहीं बैठेगी। ये लड़ाई अब केवल कागज़ी ज्ञापनों तक सीमित नहीं रहेगी — यह सड़क से लेकर संसद तक गूंजेगी।